UP News: गाजियाबाद की नंदग्राम पुलिस ने कचरा संग्रहण और निपटान के मामले में बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मालिक, प्रबंधक और कर्मचारियों समेत छह लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है. धोखाधड़ी, लापरवाही, द्वेषपूर्ण ढंग से काम करने और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस ने कार्रवाई नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी की शिकायत पर की. नंदग्राम के सहायक पुलिस आयुक्त एसीपी रवि कुमार सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से जीरोन कंपनी के मालिक, प्रबंधक अंकित अग्रवाल और कर्मचारियों पर मामला दर्ज होने की पुष्टि की है.
रवि कुमार सिंह ने बताया कि कुल छह लोगों पर भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 269 (लापरवाही से किया गया काम), 270 (द्वेषपूर्ण कार्य) और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15-16 और वायु (प्रदूषण निवास एवं कौरबटी) अधिनियम 1981 की धारा दो और 40 के तहत शुक्रवार की रात मामला दर्ज किया गया. उन्होंने बताया कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मिथिलेश कुमार की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई. शिकायत के अनुसार, गाजियाबाद नगर निगम की तरफ से कचरा संग्रहण और निपटान के लिए जीरोन कंपनी को अनुबंध दिया गया था.
जीरोन कंपनी के मालिक, प्रबंधक समेत छह पर केस
दिल्ली नगर निगम अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने वाली कंपनी ने निपटान वाहनों को गाजियाबाद में कचरा फेंकने की अनुमति दी थी. 24 जून 2022 को जीरोन कंपनी को पांच साल की अवधि के लिए ठेका दिया गया था. पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया है कि नगर निगम के बिल में एमसीडी के कूड़े का वजन चोरी-छिपे 425 रुपये प्रति टन के हिसाब से जोड़ दिया गया. दर्ज प्राथमिकी में प्रबंधक अंकित अग्रवाल के अलावा और किसी का नाम नहीं दिया गया है जबकि मालिक, साझीदार, कर्मचारी और ठेकेदार का जिक्र किया गया है. शनिवार को जीएनएन की टीम ने गुप्त सूचना पर मोरटा गांव में कूड़ा निस्तारण स्थल के पास एमसीडी की तीन गाड़ियों को पकड़ा. चालकों ने कबूल किया कि गाड़ियां पिछले तीन महीने से गाजीपुर दिल्ली से कूड़ा लाकर फेंक रही थीं.