गाजियाबाद में निर्भया कांड जैसी गैंगरेप की खबर की चर्चा थी. इस मामले का आज गाजियाबाद ने पर्दाफाश कर दिया. पुलिस ने इस मामले को मनगढ़ंत और संदेहास्पद बताया है. यह मामला गाजियाबाद के नंदग्राम थाना क्षेत्र के आश्रम रोड का है. वहां 18 अक्टूबर को एक महिला बोरी में हाथ पैर और मुंह पूरी तरह से बंधे हुई मिली थी. इसकी सूचना एक राहगीर ने डायल 112 को दी थी. मेरठ रेंज के आईजी प्रवीण कुमार और गाजियाबाद के एसएसपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले की विस्तार से जानकारी दी. 


पुलिस ने क्या जानकारी दी है


राहगीर की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस महिला को भर्ती कराने के लिए गाजियाबाद एमएमजी अस्पताल लेकर गई. लेकिन महिला ने वहां अपना इलाज कराने से इनकार कर दिया. इसके बाद उसे मेरठ मेडिकल में इलाज के लिए कहा जाता है, लेकिन महिला वहां भी जाने से इनकार कर दिया. पुलिस ने बताया कि महिला अपना इलाज दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में अपना कराना चाहती थी. इसके बाद उसे वहां भर्ती कराया गया. 






पूछताछ में पीड़ित महिला ने बताया कि पांच जानकार लोगों ने ही उसके साथ गैंगरेप किया है. पुलिस ने कहा कि महिला ने बताया कि आरोपियों के साथ उसका संपत्ति विवाद चल रहा है. उसने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उसे दो दिन तक बंधक बनाए रखा और लगातार रेप किया. उसका कहना था कि आरोपी उसके गुप्तांग में लोहे की रॉड घुसा कर उसे सड़क पर फेंक कर फरार हो गए. 


शक के दायरे में है वारदात


गाजियाबाद पुलिस ने आज इस मामले का खुलासा किया. इसमें बहुत चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. पुलिस का कहना है कि महिला से गैंगरेप की वारदात अभी शक के दायरे में है. पुलिस का कहना है कि महिला को इस हालत में पहुंचाने वाले खुद महिला और उसके 3 साथी हैं. पुलिस का कहना है कि इस आजाद, गौरव और अफजल की मुख्य भूमिका थी. आजाद पीड़ित महिला का मित्र है. इन तीनों ने मिलकर संपत्ति विवाद को खत्म करने के लिए यह षड्यंत्र रचा. इसका आज गाजियाबाद पुलिस ने खुलासा कर दिया. पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि पीड़िता के स्वस्थ्य होने के बाद उसे भी पुलिस कार्रवाई से गुजरना पड़ सकता है. 


गाजियाबाद के एसएसपी मुनिराज ने बताया कि महिला का प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा था. पहले भी लोकल पुलिस से भी कई बार मिले, लेकिन अब उन्होंने योजना बना कर इस तरह की घटना की साजिश रची है, ताकि दूसरे पक्ष के लोगों को जेल भेजा जा सके. 


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