Ghazaipur News: सरकारी महकमों के अधिकारी और कर्मचारी की लापरवाही का नतीजा किस तरह से आम लोगों को उठाना पड़ता है उसका नजारा यूपी के गाजीपुर में स्थित श्मशान घाट में देखने को मिला, जहां पुलिस विभाग की लापरवाही के परिजनों को किसी और शव दे दिया गया. जंगीपुर थाना के सआदतपुर गांव के रहने वाले रविंद्र यादव की मौत 1 दिन पहले सड़क दुर्घटना में हो गई थी, जिसके बाद पुलिस ने उसका शव पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया. लेकिन वहां से किसी और के शव को परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया.
पोस्टमार्टम हाउस रविंद्र यादव की जगह पर किसी अन्य व्यक्ति का शव परिजनों को दे दिया गया. परिजनों ने उसके अंतिम संस्कार की सारी रस्में भी निभाई, जैसे ही परिजन चिता को आग लगाने जा रहे थे, तभी उनकी नजर शव के चेहरे पर पड़ी, जिसके बाद हंगामा होना शुरू हो गया.
परिजनों को सौंपा किसी और शव
पुलिस के द्वारा पोस्टमार्टम के लिए जब शव को भेजा जाता है तो थाने से ड्यूटी पर पुलिस कांस्टेबल और होमगार्ड भी लगाए जाते हैं. इन सबकी देखरेख के बावजूद मगंलवार दोपहर रविंद्र यादव के परिजनों को जब शव को सौंपा गया उसी वक्त परिवार के लोग उसका चेहरा देखना चाहते थे, लेकिन पोस्टमार्टम हाउस पर तैनात कर्मचारियों ने चेहरा देखने से मना कर दिया और कहा कि ये काफी वीभत्स है, जिसके बाद परिजनों ने शव को लेकर श्मशान घाट पहुंचे इसी दौरान मृतक का एक भाई जो विदेश में नौकरी करता है लेकिन इस दुखद घटना के बाद भी वह नहीं पहुंच पाया था तो उसने वीडियो कॉलिंग कर भाई के अंतिम दर्शन करने को कहा.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
जिसके बाद परिवार के लोगो ने मृतक का चेहरा दिखाया तो उसने कहा कि ये तो मेरा भाई नहीं है. इसके बाद जब परिवार के साथ गांव के लोगों ने भी देखा तो उन्हें भी पता चला कि यह तो किसी और का शव है. जिसके बाद इन सभी लोगों ने इसकी जानकारी स्थानीय थाने में दी तो थानेदार भी तत्काल मौके पर पहुंच गए. जिसके बाद परिजनों को पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया, मृतक रविंद्र के शव की खोजबीन शुरू हुई. तब जाकर पता चला कि उसका तो पोस्टमार्टम हुआ ही नहीं है. जिसके बाद पुलिस परिजनों की देखरेख में शव का पोस्टमार्टम कराया.
इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो तो मीटिंग में थे, उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
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