Ghazipur News: गाजीपुर का जिला अस्पताल जो करीब 8 साल पहले नए भवन गोरा बाजार में संचालित हुआ और बाद में इसे महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज में अटैच कर दिया गया. यहां पर 200 बेड का अस्पताल संचालित होता है, जिसके लिए अग्नि शमन विभाग का एनओसी लिया जाना जरूरी होता है. लेकिन अस्पताल प्रशासन और उसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन के द्वारा अग्निशमन विभाग से फायर के लिए कोई एनओसी नहीं लिया गया.
झांसी के राजकीय मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में अचानक से आग लग जाने के कारण करीब 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी. उस मौत के बाद अग्नि सम्मान विभाग पूरी तरह से एक्टिव हो गया. पूरे प्रदेश के निजी और सरकारी अस्पतालों का फायर एनओसी जब जांच करना शुरू किया. वहीं गाजीपुर के 200 बेड वाले पुरुष अस्पताल पर तो अस्पताल के बाहर फायर सिस्टम के लिए फायर हाइड्रेंट सिस्टम लगाया गया है जो अब तक उपयोग नहीं होने के कारण धीरे-धीरे जंग खाकर खत्म होना शुरू हो गया है.
सारे उपकरण खत्म भी हो चुके
अग्निशमन विभाग के अधिकारी पूरे अस्पताल में लगे फायर सिस्टम को गहनता से जांच किया तो फायर सिस्टम लगभग सभी वार्डों में लगे हुए हैं. लेकिन इसका आज तक उपयोग नहीं होने के कारण धीरे-धीरे जंग खा रहे हैं या बहुत सारे उपकरण खत्म भी हो चुके हैं. भवन बनने के वक्त हैंडोवर के समय जो एनओसी ली गई थी, उसके बाद से अस्पताल प्रशासन ने इन 8 सालों में कभी भी एनओसी लिए जाने के लिए कोई अप्लाई किया ही नहीं है.
जिला अग्निशमन अधिकारी भारतेंदु जोशी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के 100 बेड के महिला अस्पताल में लगे फायर सिस्टम ठीक मिला और उसका एनओसी भी जारी किया गया है क्योंकि अभी वह कुछ ही दिन पहले संचालित हुआ है. वही 200 बेड के पुरुष अस्पताल में उसके बनने के बाद से अब तक मेडिकल कॉलेज प्रशासन की तरफ से कभी भी एनओसी के लिए अप्लाई नहीं किया गया है.
हालांकि इस जांच के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एनओसी के लिए अप्लाई किया हुआ है. साथ ही उन्होंने बताया कि जनपद के बहुत सारे निजी अस्पतालों में भी फ़ायर का एनओसी नहीं है, सिर्फ उन्ही अस्पतालों का एनओसी है जहां पर आयुष्मान भारत योजना के तहत कार्य किया जा रहा है.
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