मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान से गाजीपुर की सियासत में नया मोड़ आ गया है. सीएम की रैली के एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा में इतिहास का जिक्र करते हुए हुए ब्रिगेडियर उस्मान का नाम लिया था. पीएम ने कहा था कि यह धरती पराक्रम और शौर्य से परिचित कराती है. पीएम ने गाजीपुर में जनसभा के दौरान परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद, डॉक्टर शिवपूजन राय, रामउग्रह पांडे और ब्रिगेडियर उस्मान का नाम लिया था. पीएम ने कहा था कि गाजीपुर में वीरता की परंपरा और गहमर गांव का नाम ही काफी है.
पीएम मोदी की रैली के अगले दिन जब सीएम की जनसभा हुई तो उन्होंने इसी बात को आगे बढ़ाया और मुख्तार अंसारी के परिजनों के दावों को झूठा करार दे दिया. सीएम ने कहा कि माफिया परिवार का ब्रिगेडियर उस्मान के परिवार से कोई संबंध नहीं है.जो कहता है, वह कोरा झूठ बोलता है.
यह सर्वविदित है कि मुख्तार का परिवार खुद का रिश्ता ब्रिगेडियर उस्मान से जोड़ता है. सीएम ने जनसभा में कहा कि यहां का भी माफिया है जब अपने काले कारनामों को छिपाने की जगह नहीं मिलती तो कहता है हम ब्रिगेडियर उस्मान के परिवार से हैं. इस माफिया परिवार का ब्रिगेडियर उस्मान से कोई संबंध नहीं है. इससे कोरा झूठ कोई नहीं हो सकता है. कोई नहीं हो सकता है.
सीएम ने दावा किया कि शौर्य एवं पराक्रम की भूमि गाजीपुर की जनता-जनार्दन सुरक्षा और सुशासन के लिए भाजपा को प्रचंड मतों से विजयी बनाने जा रही है। यहां के जन-जन का उत्साह प्रमाण है कि '4 जून को 400 पार' में गाजीपुर लोक सभा क्षेत्र का एक 'कमल' भी शामिल होगा.
कौन थे ब्रिगेडियर उस्मान?
मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को साल 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी वीरता के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. 'नौशेरा का शेर' कहे जाने वाले ब्रिगेडियर उस्मान साल 1932 में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए थे और विभाजन के बाद भारत में रहे. ब्रिगेडियर उस्मान ने तमाम दिक्कतों के बाद नौशेरा पर पाकिस्तानी हमले को विफल कर दिया था और झंगर पर फिर से कब्जा हासिल किया था. इस इलाके भारत के पास होना जम्मू और कश्मीर के लिए बहुत रणनीतिक महत्व था. पाकिस्तानी सेना ने उनके सिर पर 50,000 रुपये का इनाम रखा था. ब्रिगेडियर उस्मान ने लड़ते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया.