Ghazipur: 21 साल बाद आमने-सामने होंगे पूर्वांचल के दो बड़े माफिया मुख्तार अंसारी-बृजेश सिंह, 3 जनवरी को कोर्ट होगी में पेशी
उसरी चट्टी कांड में माफिया मुख्तार अंसारी गवाह के तौर पर पेश होने वाला है. गाजीपुर कोर्ट में यह पेशी होनी है. खास बात यह है कि इस दौरान माफिया बृजेश सिंह भी मौजूद रहेगा.
UP News: पूर्वांचल के माफिया डॉन के तौर पर बदनाम दो बाहुबली मंगलवार को ग़ाज़ीपुर में आमने सामने होंगे. बाहुबली मुख्तार अंसारी और माफिया के तौर पर बदनाम बृजेश सिंह तकरीबन 21 साल बाद एक दूसरे का सामना करेंगे. हालांकि बृजेश सिंह का सामना करने से पहले बाहुबली मुख्तार अंसारी ने एक बार फिर से अपनी जान का खतरा बताया है और सरकार से लेकर कोर्ट तक सुरक्षा की गुहार लगाई है.
माफिया मुख्तार अंसारी के परिवार ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी भेजकर पेशी के लिए बांदा जेल से गाजीपुर कोर्ट ले जाने के दौरान सुरक्षा में पैरामिलिट्री फोर्स तैनात किए जाने- बुलेट प्रूफ जैकेट दिए जाने और साथ ही बुलेट प्रूफ एंबुलेंस मुहैया कराए जाने की गुहार लगाई है. हालांकि माफिया की इस वीआईपी कल्चर वाली फरमाइश पर कोर्ट ने अभी कोई आदेश जारी नहीं किया है.
मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह दोनों को गाजीपुर की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने मंगलवार 3 जनवरी को तलब किया है. दोनों को 21 साल पुराने मुकदमे में तलब किया गया है. उसरी चट्टी मर्डर केस के नाम से चर्चित इस मुकदमे में मुख्तार अंसारी वादी है, जबकि बृजेश सिंह आरोपी. मंगलवार को कोर्ट में पेशी के दौरान बृजेश सिंह आरोपी की हैसियत से कटघरे में खड़ा रहेगा, जबकि मुख्तार अंसारी वादी और चश्मदीद गवाह के तौर पर आरोपी बृजेश सिंह को पहचानने की कोशिश करेगा.
21 साल पुराना है मामला
उसरी चट्टी का चर्चित मामला 21 साल पुराना है. 15 जुलाई 2001 के वक़्त यूपी में पंचायत चुनाव चल रहे थे. मुख्तार अंसारी अपने समर्थकों का प्रचार करने के लिए रविवार की छुट्टी के दिन भी अपने गांव मोहम्मदाबाद से काफिले के साथ निकला हुआ था. मोहम्मदाबाद से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उसरी चट्टी गांव में कुछ लोग एक ट्रक पर छिपे हुए थे. मुख्तार का काफिला नजदीक आने पर ट्रक पर सवार लोगों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस हमले में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि मुख्तार समेत दर्जनभर लोग घायल हुए थे. मुख्तार अंसारी ने इस मामले में बृजेश सिंह और उसके साथी त्रिभुवन सिंह को नामजद कराते हुए कुल 17 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई थी. बृजेश और त्रिभुवन के अलावा बाकी 15 लोग अज्ञात थे.
बृजेश सिंह तमाम पुराने मुकदमों के साथ ही इस मामले में भी लंबे समय तक फरार रहा. पांच लाख रुपये का ईनाम घोषित होने के बाद 24 फरवरी 2008 को उसे उड़ीसा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया था. इस चर्चित मामले में साल 2019 में आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए गए थे. सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में गाजीपुर की ट्रायल कोर्ट को एक साल में सुनवाई पूरा कर फैसला सुनाने का आदेश दिया था. एक साल में सुनवाई पूरी नहीं होने की वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल 3 अगस्त को बृजेश सिंह को जमानत पर जेल से रिहा किए जाने का आदेश दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी बृजेश सिंह को जमानत देते वक्त गाजीपुर कोर्ट को मुकदमे का ट्रायल जल्द से जल्द खत्म करने को कहा था.
3 जनवरी को होगी पेशी
गाज़ीपुर की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने इसी मामले में मंगलवार 3 जनवरी को मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह को कोर्ट में पेश होने को कहा है. स्पेशल कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुख्तार अंसारी की पेशी हर हाल में सुनिश्चित कराई जाए, ताकि गवाही की प्रक्रिया पूरी हो सके और अदालत मुकदमे की सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुना सके. मंगलवार को होने वाली गवाही के दौरान मुख्तार अंसारी अगर बृजेश सिंह को पहचानने में कामयाब रहा तो आने वाले दिनों में बृजेश की मुश्किलें बढ़ना तय रहेंगी. बृजेश सिंह को अब तक किसी भी मामले में सजा नहीं हुई है. अगर मुख्तार अंसारी बृजेश के खिलाफ गवाही देता है तो उसे दोषी करार देकर सजा मिलना लगभग तय हो जाएगा.
बृजेश और मुख्तार की पेशी और दोनों के एक ही कोर्ट में मौजूद रहने के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं. पूरा गाजीपुर कोर्ट छावनी में तब्दील रहेगा. इसके साथ ही खुफिया एजेंसियों को भी अलर्ट कर दिया गया है. दोनों के साथ ही उनके करीबियों की भी निगरानी की जा रही हैं. मुख्तार और बृजेश 15 जुलाई 2001 को उसरी चट्टी हत्याकांड के दिन ही आमने-सामने हुए थे. उसके बाद से बृजेश सिंह लगातार फरार चल रहा था और उसकी गिरफ्तारी से पहले ही मुख्तार अंसारी लगातार जेल में है.
पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की अदावत किसी से छिपी नहीं है. दोनों के गैंग में कई बार टकराहट हो चुकी है. तमाम लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी हैं. बृजेश सिंह इन दिनों जेल से बाहर है. वह विधान परिषद का सदस्य रह चुका है. सत्ता पक्ष के कई लोगों से उसकी नज़दीकियां हैं. यही वजह है कि मुख्तार अंसारी को बृजेश और उसके गुर्गों से डर लग रहा है और वह सुरक्षा की गुहार लगा रहा है.
एबीपी गंगा चैनल के पास मुख्तार अंसारी के बेटे उमर की वह चिट्ठी भी है, जो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के साथ ही सरकार व बांदा के अफसरों को भी भेजी गई है. चिट्ठी की कॉपी इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन को भी भेजी गई है. इस चिट्ठी में मुख्तार के परिवार ने कई चौंकाने वाली मांगे सामने रखी हैं. चिट्ठी के जरिए गुहार लगाई गई है कि बांदा जेल से गाजीपुर ले जाते वक्त मुख्तार को पुलिस के साथ ही पैरामिलिट्री फोर्स के कम से कम 15 कमांडो की सुरक्षा दी जाए. इसके साथ ही उसे बुलेट प्रूफ जैकेट दी जाए. मुख्तार के लिए बुलेट प्रूफ एंबुलेंस मुहैया कराए जाने की भी मांग की गई है. दलील यह दी गई है कि मुख्तार अंसारी कई बीमारियों से ग्रसित है, इसलिए उसे एंबुलेंस से ही गाजीपुर तक लाया और वापस बांदा जेल छोड़ा जाए. अगर एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं होती है तो किसी दूसरे बुलेटप्रूफ वाहन की इंतजाम किये जाने की भी गुहार लगाई गई है.
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