गाजीपुर: इतिहास और कुछ नहीं बल्कि समाज और सभ्यताओं की स्मृति है, स्मृति अप्रत्यक्ष रूप से उसके भग्नावशेषों में रहती है. इतिहास को जानने समझने के लिए पुरानी कलाकृतियां सभ्यताओं से जुड़े अवशेषों को सुरक्षित रखना बेहद ही जरूरी होता है. इसी तरह के काम को अंजाम दे रहे हैं दिलदार नगर के रहने वाले कुंअर नसीम रजा खान.


पुश्तैनी है शौक
नसीम रजा खान के पास संग्रह के बहुत सारे सामान उपलब्ध हैं. उन्हीं सामानों में लगभग 100 साल तक के इलाकाई लोगों के हजारों निमंत्रण पत्रों में शादियों के कार्ड भी उपलब्ध हैं. इन कार्डो में दादा, नाना आदि के शादी के कार्ड मिलते हैं. इन कार्डों में हाथों से लिखे हुए, साइक्लोस्टाइल टाइप राइट, प्रिंटिंग प्रेस, कंप्यूटराइज्ड ऑफसेट और डिजिटल फोटोग्राफी प्रिंट के कार्ड उपलब्ध हैं. संग्रह करने का इनका शौक पुश्तैनी है. पहले ये काम इनके दादा, पिता करते थे और अब अपने पुरखों के इस काम को नसीम खान ने आगे बढ़ाया है.



लोगों से मांग लेते हैं कार्ड
कुंअर नसीम खान जब एक दिन अपने घर से बाहर कहीं जा रहे थे तब इन्हें कूड़े के ढेर में शादी के कार्डों पर कुरआन की आयतें लिखी हुईं और गणेश भगवान की तस्वीर दिखी. उसी दौरान उन्होंने कार्डों को वहां से निकाला और उसके बाद उनका ये काम आगे चलकर शौक में तब्दील हो गया. अब स्थिति ये है कि जहां कहीं भी शादी के कार्ड या अन्य दावतनामों के कार्ड इन्हें मिलते हैं या दिखते हैं तो ये लोगों से खुद मांग कर उन्हें अपने संग्रह में शामिल कर लेते हैं.



ये दावतनामा है खास
नसीम खान के पास उर्दू, हिंदी और इंग्लिश में लिखे हुए शादी के कार्डों और दावतनामों का एक बड़ा संग्रह बन चुका है. नसीम के पास 1905 की वो दावतनामा भी है जब इलाके के लोगों के नाम की लिस्ट बनाकर उनसे दावतनामे में हस्ताक्षर कराया जाता था. मौजूदा समय में चल रहे कंप्यूटराइज डिजिटल प्रिंटिंग प्रेस तक के हजारों कार्डों का संग्रह नसीम के पास उपलब्ध है.



शादी के कार्डों वाले बाबा के नाम से फेमस
कुंअर नसीम रजा खान बताते हैं कि इलाके के बहुत सारे लोगों को जब अपने वालदेन को शादी के सालगिरह का तोहफा देना होता है तो वो उनके पास आते हैं और अपने वालदेन के शादी या निकाह की तारीख मालूम कर उनको तोहफा देते हैं. एक तरह से देखा जाए तो नसीम रजा खान के पास इलाके के सैकड़ों हस्तियों के रिकॉर्ड मौजूद हैं. नसीम अब अपने इलाके में शादी के कार्डों वाले बाबा के नाम से भी जाने जाते हैं.



ले रहे हैं सोशल मीडिया का सहारा
नसीम रजा शादी के कार्डों के साथ ही अन्य आयोजनों के कार्ड न सिर्फ लोगों से मिलकर एकत्रित कर रहे हैं बल्कि इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया का भी सहारा लेना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में उन्होंने कुछ दिनों पूर्व झांसी की रानी के शादी का निमंत्रण कार्ड देखा तो उन्होंने उस शादी के निमंत्रण का प्रिंट इस उद्देश्य से निकालकर रख लिए ताकि उसे अपने संग्रह में शामिल कर सकें और लोगों को पता चल सके कि उस वक्त शादी के निमंत्रण कार्ड कैसे लिखे जाते थे.


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