Ghazipur News: विभागीय कर्मचारी की शादी के नाम पर मांगा जा रहा राशन, मामले की पुलिस से की गई शिकायत
Ghazipur news: गाजीपुर में कुपोषण को दूर करने के लिए आंगनबाड़ियों से दाल और तेल की मांग विभागीय कर्मचारी की शादी के नाम पर की जा रही है. इन दिनों एक स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है .
Ghazipur News: बाल विकास और पुष्टाहार विभाग के द्वारा कुपोषण को दूर करने को लेकर तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. ताकि कुपोषण मुक्त भारत हो सके लेकिन गाजीपुर में विभागीय अधिकारी और कर्मचारी खुद कुपोषित हो गए हैं. अपने कुपोषण को दूर करने के लिए आंगनबाड़ियों से दाल और तेल की मांग विभागीय कर्मचारी की शादी के नाम पर मांगा जा रहा है. वह भी विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से, जिसका स्क्रीनशॉट इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसको लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जिलाधिकारी से मिलकर इस मामले में कार्रवाई के लिए प्रार्थना पत्र भी सौंपा हैं.
क्या है पूरा मामला?
गाजीपुर का बाल विकास परियोजना शहर है जहां से शहरी इलाकों पर आंगनबाड़ी केंद्रों को संचालित किया जाता है. इन इलाकों में कुपोषित बच्चों के साथ ही गर्भवती और धात्री के लिए पुष्टाहार का भी वितरण किया जाता है, लेकिन इस परियोजना के एक व्हाट्सएप ग्रुप का स्क्रीनशॉट इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें यहां के सीडीपीओ सोना सिंह के द्वारा विभाग के ही एक बाबू अभिनव के शादी के नाम पर सभी आंगनबाड़ियों से दो किलो दाल और 2 किलो रिफाइंड तेल मांगा गया है. इसमें लिखा गया है कि आपकी थोड़ी सी मदद से एक बेचारे की शादी सकुशल संपन्न हो जाएगी यह शादी अप्रैल 2022 में थी.
इसके अलावा सीडीपीओ सोना सिंह के द्वारा आंगनबाड़ियों को लगातार इसी तरह के भ्रष्टाचार के लिए टॉर्चर किया जाता है, जिसको लेकर आंगनबाडी कार्यकर्ता ने जिलाधिकारी से मिलकर शिकायत पत्र सौंपा है और सीडीपीओ को तत्काल इस परियोजना से हटाए जाने की मांग की है. वहीं जब बाल विकास और पुष्टाहार विभाग में कार्यरत लिपिक अभिनव से बात की गई कि उनकी शादी में कितने किलो दाल और कितने किलो तेल प्राप्त हुआ तो उन्होंने बताया कि इसके बारे में तो उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. जब यह खबर सोशल मीडिया और मीडिया में आई तब उन्हें जानकारी हुई है कि उनकी शादी के नाम पर इस तरह की वसूली की गई है.
दोषी होने पर होगी कार्रवाई
बता दें कि विभाग की तरफ से कुपोषित गर्भवती और धात्री के लिए चने की दाल, रिफाइंड तेल और अन्य सामग्रियां सीडीपीओ कार्यालय से स्वयं सहायता समूह के माध्यम से आंगनबाडी केंद्रों पर और स्वयं सहायता समूह की महिला कार्यकर्ताओं के द्वारा वितरित की जाती है. वहीं इस पूरे प्रकरण पर जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले की जानकारी उन्हें भी हुई है और उन्होंने विभागीय जांच कराई है. विभागीय जांच में सीडीपीओ सोना सिंह प्रथम दृष्टया दोषी पाई गई हैं और अब उन्हें उनके मूल पद मुख्य सेविका के पद पर करने के लिए कार्रवाई चल रही है क्योंकि वह प्रभारी सीडीओ के पद पर पिछले कई सालों से कार्यरत रही हैं.
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