Ghazipur News: गाजीपुर के हरिहरपुर गांव में ग्रामीण पेड़ पर रस्सी के सहारे लटकी चारपाई की मचान पर जीवन बिताने को मजबूर हैं. इस  गांव में ज्यादातर घर कच्चे हैं जहां मकान के रूप में लोगों के पास झोपड़ी है जो कि बरसात के दिनों में असुरक्षित हो जाती है. सांप-बिच्छु के डर लोग पेड़ पर मचान डालकर रह रहे हैं. गांव वालों को आजतक एक भी पीएम आवास नसीब नहीं हुआ है. दस हजार की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर मजदूरी करने वाले लोग रहते हैं. सरकार की आवास योजना का लाभ भी ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है. हालांकि अब अधिकारी गांव के नाम को पीएम आवास सूची में डालने का दावा कर रहे हैं.


जानकारी के मुताबिक, मनिहारी ब्लाक का हरिहरपुर गांव जिला मुख्यालय से मात्र 10 से 12 किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन इस गांव तक सरकार की आवास योजना नहीं पहुची है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों की वजह से उनका गांव अडानी और अम्बानी जैसे लोगों का गांव बन गया है, जहां सभी धनी लोग रहते हैं और जिनको आवास की जरूरत ही नहीं है. ग्रामीणों ने अडानी, अम्बानी और अन्य उद्योगपतियों के नाम की तख्ती लगाकर विरोध प्रदर्शन भी किया.


अधिकारियों ने नहीं ग्रामीणों की समस्या
ग्रामीण बताते हैं कि वो ग्राम प्रधान से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों के कई बार इस बात की शिकायत कर चुके हैं लेकिन उनके गांव का नाम पीएम आवास लाभार्थी सूची में नहीं जोड़ा गया. यही वजह है कि उनके गांव के पात्र लोगों को आजतक आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया और अब वो पेड़ पर लटककर अपना जीवन बिताने को मजबूर हो गये हैं.  पेड़ के सहारे चारपाई की मचान बनाकर रह रहे सलटू राम बताते हैं कि वो पिछले एक साल से इसी तरह पेड़ पर रस्सी के सहारे मचान पर लटके हुए हैं.  उन्होंने एक तख्ती भी लगा रखी है जिसमें लिखा है कि "कबतक पेड़ पर पेड़ पर टंगे रहेंगे साहब अब तो आवास दे दीजिए."


 



ग्रामीणों ने हाथों में थामा उद्योगपति के नाम का पोस्टर


ग्रामीणों की लड़ाई में उनका साथ दे रहे समाजसेवी सिद्धार्थ राय बताते हैं कि जब से पीएम आवास योजना शुरू हुई है तबसे तकनीकी त्रुटि की वजह सेअभी तक इस गांव में एक भी आवास नहीं बना है.मानक की बात करें तो प्रतिवर्ष इस गांव को 20 आवास मिलना चाहिये था.पीएम आवास योजना 2015-16 में शुरू हुई थी और इस हिसाब से इस गांव में अबतक 180 के करीब आवास बनने चाहिये थे.


परियोजना अधिकारी ने क्या कहा?
जब एबीपी न्यूज़ ने इस बारे में जिले  के परियोजना निदेशक राजेश यादव से बात की तो उनका कहना था कि इस गांव का नाम कई बार आवास सूची में जोड़ने के लिये भेजा गया लेकिन नाम नहीं जुड़ पाया. अब इस गांव के लिये अलग से सर्वे अधिकारी को नियुक्त कर दिया गया है. अब नयी सूची में इस गांव का नाम जोड़ दिया जायेगा.


ये भी पढ़ें: Kasganj: कासगंज में हत्या की आशंका पर साढ़े तीन महीने बाद कब्र से निकाला शव, पुलिस ने पीएम के लिए भेजा