गाजीपुर: 70 फीट का रावण हुआ 30 फीट का, लंका मैदान में होगा दहन
गाजीपुर में 400 सालों से चलायमान रामलीला होती चली आ रही है वो इस वर्ष कोविड-19 की वजह से रामलीला सीमित जगहों पर संपन्न हुई है.
गाजीपुर: कोविड-19 जिसका असर पूरे देश में देखने को मिला है उसकी गति अब धीमी पड़ गई है जिसके चलते बाजार और आमजन सामान्य दिनों की तरह अपनी दिनचर्या जी रहे हैं. वहीं, कोविड-19 नियमों और सावधानियों को बरतते हुए अभी भी लगातार कार्य किए जा रहे हैं. ऐसा ही कुछ गाजीपुर में देखने को मिला है.
30 फीट के रावण का होगा दहन
दरअसल, गाजीपुर में जहां पिछले 400 सालों से चलायमान रामलीला होती चली आ रही है वो इस वर्ष कोविड-19 की वजह से रामलीला सीमित जगहों पर संपन्न हुई है. शहर में जहां प्रतिवर्ष 65 से 70 फीट का रावण लोगों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था वहीं इस बार मात्र 30 फीट का रावण सीमित लोगों के बीच दहन किया जाएगा. इसके अलावा जहां लंका मैदान में सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में रावण का दहन होता था वहीं इस साल सीमित लोग ही हो सकेंगे शामिल.
रावण दहन करने वाले जनप्रतिनिधियों पर लगता है ब्रम्हदोष
रावण दहन की बात करें तो वैसे तो प्रत्येक साल जनपद के लंका मैदान में रावण का दहन किया जाता रहा है लेकिन रावण दहन का एक इतिहास लोगों में और खासकर राजनीतिज्ञ और जनप्रतिनिधियों में देखने को मिल रहा है. जिस जनप्रतिनिधि, विधायक, मंत्री ने रावण का दहन किया ऐसा माना जाता है कि इन्हें ब्रह्म दोष लग जाता है और इनकी राजनीति पर असर पड़ जाता है. यानी कि इन लोगों का या तो टिकट कट जाता है या फिर यह चुनाव हार जाते हैं. इसलिए कई जनप्रतिनिधियों के साथ ऐसा होता जनपद के लोग देख चुके हैं. शायद यही कारण है कि अब रावण का दहन प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों रामलीला कमेटी संपन्न करवाती है.
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