UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में गाजीपुर (Ghazipur) सहित कुल 54 सीटों पर 7 मार्च को मतदान हुआ. इस मतदान के बाद गाजीपुर जनपद की सातों सीटों पर अलग-अलग दृश्य देखने को सामने आ रहे हैं. जनपद के 7 विधानसभा सीटों में 5 सीटों पर आमने-सामने की टक्कर है तो वहीं 2 विधानसभा की सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है. जनपद की सदर विधानसभा सीट जहां से भारतीय जनता पार्टी सरकार की राज्य मंत्री डॉ संगीता बलवंत, समाजवादी पार्टी से जय किशन साहू और बहुजन समाज पार्टी से डॉ राजकुमार गौतम चुनाव के मैदान में रहे. 


सदर सीट पर सपा बनाम बीजेपी
शुरू में यह टक्कर त्रिकोणीय नजर आ रही थी लेकिन चुनाव के नजदीक आते-आते या लड़ाई सपा बनाम बीजेपी की हो गई. इस दौरान बीजेपी प्रत्याशी डॉ संगीता बलवंत ने देर शाम जमानिया विधानसभा के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज पर अपना मतदान किया और मतदान करने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि सुनीता सिंह के पक्ष में हमने मतदान किया है. पिछली बार तो हम 3 सीट मिली थीं इस बार सातो सीट जीतेंगे. उन्होंने कहा कि 10 तारीख को सब कुछ साफ हो जाएगा 


मोहम्मदाबाद सीट पर किनमें मुकाबला
मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर जहां एक ओर अंसारी परिवार जो कभी सपा तो कभी बसपा और एक बार कौमी एकता दल के बैनर तले चुनावी ताल ठोकते रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के स्व0  विधायक कृष्णानंद राय और उसके बाद उनकी पत्नी अलका राय जो निवर्तमान बीजेपी विधायक भी हैं. इनके बीच लगातार लड़ा जाता रहा है. इस बार इस सीट पर पूर्व विधायक शिवगतुल्ला अंसारी के पुत्र मन्नू अंसारी सपा से किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी विधायक अलका राय अपनी लड़ाई अपराधियों से बताती हैं. मतदान के दिन बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने दावा किया कि जिले की सातो विधानसभा सीट पर बीजेपी का कमल नहीं खिल पाएगा.


जंगीपुर सीट पर किनमें मुकाबला
जंगीपुर विधानसभा 2012 में नए परिसीमन के दौरान बनाया गया था. इस सीट पर अब तक सपा का लगातार कब्जा होता आया है. ऐसे में 2022 का चुनाव एक बार फिर से सपा के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है. इस सीट पर बीजेपी के रामनरेश कुशवाहा जो 2017 के चुनाव में करीब 2,800 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे लेकिन इस बार के चुनाव में जीत का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि पिछली बार जो हार का अंतर था उससे कहीं बड़ा जीत का अंतर होगा.  वहीं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और विधायक डॉ वीरेंद्र यादव भी अपनी इस परंपरागत सीट को महफूज रखने का दावा कर रहे हैं.


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जमानिया सीट पर किनमें मुकाबला
जमानिया विधानसभा सीट गंगा और कर्मनाशा नदी के बीच में है. इस सीट पर समाजवादी पार्टी से पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह, बीजेपी से सुनीता सिंह और बसपा से परवेज खान प्रत्याशी रहे. इस सीट पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका में रहेगा क्योंकि जानकार बताते हैं कि यहां के मुसलमान जिनका वोट 50% से ऊपर है जिसे भी अपना मत देंगे उसकी जीत लगभग तय मानी जाती है.


सैदपुर में किनके बीच रहा मुकाबला
सैदपुर विधानसभा  पर यादव मत निर्णायक भूमिका में रहा है. यहां से बीजेपी के प्रत्याशी सुभाष पासी जो 2012 और 2017 के चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव जीते थे और चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी में चले गए थे. ऐसे में यादव मतदाता सिटिंग विधायक से काफी नाराज हो सकता है. इस चुनाव में सुभाष पासी को इस नाराजगी का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. जानकारों की बात करें तो सुभाष पासी हर खेल के माहिर हैं. जो खेल के अंतिम वक्त में भी अपनी तरफ रुख मोड़ने का माद्दा रखता हैं. वहीं समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी अंकित भारती रहे.


जखनिया विधानसभा पर किसमें रहा मुकाबला
जखनिया विधानसभा सीट जहां अभी तक 1952 के बाद से बीजेपी का कमल नहीं खिल पाया है लेकिन इस बार बीजेपी ने ऐसी रणनीति अपनाई है जिसके आगे सारे समीकरण ध्वस्त होते नजर आ रहे हैं. मुसहर समाज जो आजादी के बाद से पहली बार किसी राजनीतिक दल के द्वारा प्रत्याशी बनाया गया है. बीजेपी प्रत्याशी रामराज बनवासी रहे तो दूसरी ओर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से बेदी राम को प्रत्याशी बनाया गया है जिनपर कई तरह के आरोप बताए जा रहे हैं.  वहीं इसी विधानसभा सीट से 2 बार के विधायक रहे विजय राम भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इन तीनों प्रत्याशी में से कोई भी जखनिया विधानसभा का निवासी नहीं है.


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जहूराबाद सीट पर कौन था मैदान में
गाजीपुर जनपद ही नहीं पूरे प्रदेश की हॉट सीट में शुमार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर जहूराबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. जहां  इनको शिकस्त देने के लिए बीजेपी ने दो बार के विधायक रहे कालीचरण राजभर पर दांव आजमाया था तो वहीं चुनाव के अंतिम समय में टिकट नहीं मिलने के कारण प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शादाब फातिमा ने बगावत कर बसपा की हाथी की सवारी कर ली और लगातार चुनाव प्रचार में जुटी रहीं. हालांकि यहां की जनता शादाब फातिमा के कार्यों से प्रभावित नजर आई लेकिन प्रभाव वोट में कितना बदल पाएगा यह तो आने वाला 10 मार्च बता पाएगा. वहीं स्थानीय लोगों की बात मानें तो ओमप्रकाश राजभर ने अपने कार्यकाल के दौरान अपने विधानसभा के लिए कोई काम नहीं किए हैं. जिससे वहां की स्थानीय जनता नाराज है. 


बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में जनपद की 3 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी, 2 सीटों पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और 2 सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा  रहा है. ऐसे में 2022 के चुनावी जंग का वोटरों ने फैसला कर दिया है. इसका रिजल्ट 10 मार्च को आएगा तब पता चल पाएगा जनता किसे अपना रहनुमा चुनी है और किसे दरकिनार कर दिया है.


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