(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ghazipur: सूचना देने में देरी पर आयुक्त ने लगाया अनोखा जुर्माना, ढाई सौ बच्चों को खिलाना पड़ा खाना
जन सूचना अधिकारी ने आगे बताया, आयुक्त महोदय ने सूचना देने में देरी होने के कारण नोनरा प्राथमिक विद्यालय के सभी छात्रों को भोजन करवाने का निर्देश दिया. जिसका अनुपालन हम खुशी से कर रहे हैं.
UP News: जनसूचना के एक मामले में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के राज्य सूचना आयुक्त ने सूचना देने में देरी किए जाने पर गाजीपुर (Ghazipur) के एक जन सूचना अधिकारी पर ढाई सौ बच्चों या प्राथमिक विद्यालय में मौजूद सभी बच्चों को भोजन कराने का जुर्माना लगाया. इसका अनुपालन जन सूचना अधिकारी विकास खण्ड मरदह गाजीपुर ने 2 दिन पूर्व किया. उन्होंने विद्यालय में मौजूद सभी बच्चो को अपने खर्च से मध्यान्ह भोजन और फल भी खिलाया.
क्या था मामला
मामला गाजीपुर के मरदह ब्लॉक के नोनरा ग्रामसभा का है. राज्य सूचना आयोग ने स्थानीय कोटेदार भूपेंद्र कुमार पांडेय की आरटीआई अर्जी पर सुनवाई करते हुए ये मानते हुए आदेश किया है कि वर्तमान जन सूचना अधिकारी चंद्रिका प्रसाद (ग्राम्य विकास अधिकारी/सेक्रेटरी) ने जानकारी देने में जानबूझकर देर नहीं की है, अपरिहार्य कारणों से देरी हुई है, इसलिए उन्हें प्राथमिक विद्यालय, नोनरा, मरदह, गाजीपुर के दो सौ पचास बच्चों को मिड डे मील में भोजन कराकर वीडियो रिकॉर्डिंग कर आयोग को भेजा जाए.
जन सूचना अधिकारी ने क्या बताया
इस मामले में जन सूचना अधिकारी चंद्रिका प्रसाद ने बताया कि 2016 में नोनरा ग्राम सभा के भूपेंद्र कुमार पांडे जो स्थानीय कोटेदार भी हैं ने ग्राम विकास में सरकारी धन के सापेक्ष कार्यों के संदर्भ में 8 बिंदु की सूचना नियमानुसार मांगी थी, जिसे तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी/जन सूचना अधिकारी ने किन्ही कारण वश उपलब्ध नहीं कराया और यह मामला चलता रहा.
जन सूचना अधिकारी ने आगे बताया, उनके ट्रांसफर के बाद मैं जनवरी 2021 में जब आया तो कुछ महीने बाद मुझे भी इस मामले की जानकारी हुई, तो हमने 8 बिंदुवार सूचनाएं दे दी, जिसमें विगत 25 अप्रैल को राज्य सूचना आयुक्त, लखनऊ महोदय के यहां हम और सूचना मांगने वाले भूपेंद्र पांडे उपस्थित हुए तो आयुक्त महोदय ने सूचना देने में देरी होने के कारण नोनरा प्राथमिक विद्यालय के सभी छात्रों को भोजन करवाने का निर्देश दिया. जिसका अनुपालन हम खुशी से कर रहे हैं.
सूचना मांगने वाले ने क्या कहा
सूचना मांगने वाले भूपेंद्र पांडे का कहना है कि उन्होंने जिनसे सूचना मांगी थी वो अधिकारी 5 साल दौड़ाते रहे, मैंने इसकी शिकायत आयोग में की. जनवरी 2021 में जब दूसरे अधिकारी आए तो इन्होंने सूचनाएं दी, और इन्ही को जुर्माना भी लगा. जिसने लापरवाही की उसको कोई दंड या जुर्माना नहीं लगा क्योंकि उनका दूसरे विकास खण्ड में ट्रांसफर हो गया है.