Uttar Pradesh News: सरकारी महकमे में फाइलें चींटी की चाल चलती हैं जिसे अपने गंतव्य तक पहुंचने में कई साल लग जाते हैं. ऐसे में बीते हुए सालों में उन फाइलों पर कोई निर्णय नहीं लेने की वजह से कई लोगों की जान जोखिम में पड़ती है. कुछ ऐसा ही नजारा उत्तर प्रदेश में गाजीपुर (Ghazipur) जिले के नूरुद्दीनपुर प्राथमिक विद्यालय (Primary School) का है जहां पर 2 साल पहले विद्यालय के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पूरी हो चुकी है लेकिन अभी तक विद्यालय का ध्वस्तीकरण नहीं हुआ जिसके चलते छात्र और अध्यापक डर के साए में रहने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं इस विद्यालय को हर साल बारिश के मौसम में पलायन का दंश भी झेलना पड़ता है.
एक कमरे में पढ़ रहे 5 कक्षा के छात्र
जनपद गाजीपुर में नूरुद्दीन पूरा प्राथमिक विद्यालय है. जहां पर विद्यालय के नाम पर तीन से चार कमरे बनाए गए थे लेकिन सभी कमरे पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. छत के बीम लटके पड़े हैं ऐसे में मात्र एक कमरा सही होने के कारण उसी में एक से लेकर कक्षा 5 तक के छात्रों की पढ़ाई एकसाथ कराई जाती है. इसमें छात्रों की संख्या तकरीबन 100 के पार है. बड़ा सवाल है कि कमरों की वजह से छात्र और टीचर डर के साए में रहते हैं. कभी-कभी छात्र जर्जर रूम में जाकर खेलते हैं जिससे हमेशा हादसे का अंदेशा बना रहता है.
विद्यालय के प्रिंसिपल ने क्या बताया
वहीं विद्यालय के प्रिंसिपल ने बताया कि, इस विद्यालय के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई 2 साल पहले पूरी हो चुकी है लेकिन ना जाने किन कारणों से अभी तक इसे ध्वस्त नहीं किया गया है. इतना ही नहीं यह विद्यालय प्रत्येक वर्ष बारिश के मौसम में पानी से पूरी तरह से भर जाता है जिसके चलते यहां के छात्रों और शिक्षकों को पलायन करके पास के विद्यालय पर शरण लेना पड़ता है. इन सभी समस्याओं को लेकर एबीएसए को कई बार पत्र लिख चुके हैं लेकिन अभी तक समस्याओं का कोई निपटारा नहीं हुआ है.
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने क्या कहा
वहीं इस मामले पर बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जर्जर विद्यालयों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पूरी की जा चुकी है. बहुत जल्द उन विद्यालयों का ध्वस्तीकरण करा दिया जाएगा. ऐसे में वहां के जो भी छात्र और टीचर हैं उन्हें दूसरे विद्यालयों में शिफ्ट कर उनके शिक्षा की पूरी व्यवस्था की जा रही है.