ऐसे में घोसी में ऐसा क्या है कि बीजेपी और सपा ने इस सीट की जीत हार को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है? दोनों दल आखिर एक विधानसभा सीट पर शक्ति प्रदर्शन क्यों करते दिखाई दिए? बीजेपी की तरफ से खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, महामंत्री संगठन, प्रदेश अध्यक्ष, दर्जन भर से ज्यादा मंत्री, दर्जनों विधायक और पार्टी के सैकड़ों पदाधिकारियों ने चुनाव प्रचार के लिए गांव-गांव पसीना बहाया. समाजवादी पार्टी ने भी कम मेहनत नहीं की. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, महासचिव शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव समेत पार्टी के तमाम बड़े चेहरों ने पार्टी प्रत्याशी सुधाकर सिंह को जिताने की हरसंभव कोशिश की. बीजेपी के सहयोगी दलों के नेताओं ने भी अपने अपने तरीके से वोटरों को रिझाने का प्रयास किया.
उपचुनाव तय करेगा ओपी राजभर का राजनीतिक भार
घोसी का चुनाव भले महज एक विधानसभा का उप चुनाव हो लेकिन इसको NDA बनाम I.N.D.I.A की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है. घोसी के नतीजे दारा सिंह चौहान के साथ साथ ओम प्रकाश राजभर के भविष्य को तय करने वाले हो सकते हैं. राजनीतिक कलाबाजी में माहिर ओपी राजभर बीजेपी के साथ खड़े हैं और इस इलाके में उनकी राजनीतिक पैठ मानी जाती है. अगर दारा सिंह चौहान जीतते हैं तो उनका राजनीतिक वजन बढ़ेगा लेकिन अगर सपा जीत जाती है तो उनको राजनीतिक झटका लग सकता है.
कैसे किया बीजेपी ने माइक्रो मैनेजमेंट?
पहले बात करते हैं बीजेपी के माइक्रो मैनेजमेंट की. बीजेपी ने बूथ को हमेशा तरजीह दी है. घोसी में भी यही दिखा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां घोसी में बड़ी जनसभा कर वोटरों से दारा सिंह चौहान को जिताने की अपील की तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने संगठन को एकजुट रखने के लिए घोसी में डेरा जमा लिया. दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने भी जनसभाएं कीं. दर्जन भर से ज्यादा मंत्रियों ने भी गांव-गांव घूम कर छोटी छोटी चौपाल लगाई. तमाम विधायक और संगठन के पदाधिकारी भी वोटरों के बीच पहुंच दारा सिंह को जिताने में अपनी भूमिका निभाते नजर आए.
कौन-कौन मंत्री घोसी पहुंचे
मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों के अलावा मंत्रियों की ड्यूटी भी घोसी में लगाई गई. ऊर्जा और नगर विकास मंत्री एके शर्मा, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद, श्रम मंत्री अनिल राजभर, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, पिछड़ा वर्ग मंत्री नरेंद्र कश्यप, उद्योग मंत्री नंद गोपाल नंदी, अल्पंसख्यक कल्याण मंत्री दानिश अंसारी आजाद, समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री गिरीश चन्द्र यादव और ग्राम विकास राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी को घोसी में उतारा गया. इनके अलावा बीजेपी के सहयोगी दलों से निषाद पार्टी के अध्यक्ष और मंत्री डॉ संजय निषाद, अपना दल से आशीष पटेल और सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर ने जमकर घोसी में पसीना बहाया है.
समाजवादी पार्टी ने भी लगाई ताकत
आम तौर पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उप चुनावों में प्रचार करते नहीं दिखते हैं, लेकिन घोसी ने ये मिथक तोड़ दिया. अखिलेश यादव ने बड़ी रैली करके घोसी में अपनी ताकत दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. पार्टी महासचिव शिवपाल यादव और राम गोपाल यादव ने घोसी में डेरा डाल रखा है. सपा के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश सिंह, महिला सभा की अध्यक्ष जूही सिंह, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, बलराम यादव, राजीव राय, दुर्गा यादव, मनोज पांडेय, इंद्रजीत सरोज, राजपाल कश्यप समेत तमाम फ्रंटल संगठनों के पदाधिकारी घोसी पहुंच कर प्रचार करने में लगे हुए दिखाई दिए. I.N.D.I.A गठबंधन का हिस्सा होने के नाते सपा को कांग्रेस और वाम दलों ने भी घोसी में अपना समर्थन दिया है. उसके अलावा सुभासपा के अलग होकर पार्टी बनाने वाले नेताओं ने भी सपा के पक्ष में प्रचार किया.
घोसी में कब है चुनाव
मऊ जिले की घोसी सीट पर 5 सितंबर को वोट डाले जाएंगे और नतीजे 8 सितंबर को आएंगे. घोसी सीट विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे की वजह से ख़ाली हुई है. दारा सिंह चौहान 2017 में मऊ जिले की मधुबन सीट से बीजेपी के विधायक बने थे और योगी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया. 2022 के चुनाव से पहले दारा सिंह ने सपा का दामन थाम लिया और उन्हें घोसी से उम्मीदवार बनाया गया और इस चुनाव में दारा सिंह 22 हजार वोटों से चुनाव जीत गए. करीब सवा साल बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर वापस बीजेपी की सदस्यता ले ली. बीजेपी ने दारा सिंह को ही टिकट देकर मैदान में उतार दिया. समाजवादी पार्टी ने 2012 में विधायक रहे सुधाकर सिंह पर दांव लगाया है. सुधाकर सिंह स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे पर बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
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