UP Bypoll 2023: आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश के मऊ (Mau) जिले में घोसी विधानसभा सीट (Ghosi Assembly Seat) पर हुए उपचुनाव में जीत ने समाजवादी पार्टी (SP) का उत्साह बढ़ा दिया है. इसके नतीजों ने न सिर्फ गठबंधन की ताकत में इजाफा किया है, बल्कि सैफई परिवार की एकता को एक और सफलता दे दी है. घोसी उपचुनाव की जंग में चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने भतीजे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के भरोसे को कायम रखा. सियासी जानकारों का कहना है कि सपा ने मैनपुरी उपचुनाव से सबक लेना शुरू कर दिया था. उसे पता था कि शिवपाल के बगैर पार्टी का चुनावी प्रदर्शन बेहद मुश्किल होगा.
मैनपुरी उपचुनाव में अखिलेश ने अपनी रणनीति बदली थी और शिवपाल को जिम्मेदारी दी थी, जिसका फायदा मिला था. इससे सपा को अपना परंपरागत वोट को बचाने और अन्य वर्गों के वोट को जोड़ने में मदद मिली. सपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि शिवपाल यादव संगठन के पुराने माहिर खिलाड़ी हैं. उन्होंने इस उपचुनाव में भी अपने को सिद्ध कर दिया है. घोसी में वह अपने पुराने अंदाज में डटे नजर आए. उन्होंने हर बूथ पर मजबूती को कायम रखी. इसी का नतीजा रहा कि सपा को 2022 के मुकाबले ज्यादा वोट मिला है. वोट प्रतिशत भी बढ़ा.
'डिंपल यादव को जिताने के लिए कर दिया था रात-दिन एक'
सपा नेता ने बताया कि इससे पहले शिवपाल यादव ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को जिताने के लिए रात-दिन एक कर दिया था. छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाएं और घर-घर जाकर संपर्क किया. ठीक उसी तर्ज पर वह घोसी में उतरे और उन्होंने सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को जिताने के लिए पसीना बहा दिया और नतीजा भी सार्थक रहा.
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि मैनपुरी के बाद घोसी में भी अखिलेश का पूरा परिवार मैदान में प्रचार के लिए उतरा था. अखिलेश, शिवपाल और रामगोपाल सहित पार्टी के प्रमुख नेताओं खूब मेहनत की. ऐसे में सैफई परिवार की एकता की कवायद और मजबूत होगी. इसमें शिवपाल भी मजबूत होंगे. पार्टी के विधायक और विधानसभा के मुख्य सचेतक मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि परिवार की एकता को पार्टी को फायदा मिल रहा है. पहले परिवार में टूटन की बातें होती थी, जिससे कार्यकर्ताओं का आत्मबल कमजोर होता था, लेकिन अब पूरा परिवार एक जुट है तो सभी में उत्साह है. पार्टी को इसका फायदा मिल रहा है.
'अखिलेश यादव ने शिवपाल को फ्री हैंड दिया'
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं कि 2017 के पहले तक जब पार्टी के अंदर कलह ने पार्टी को कमजोर नहीं किया था, तब तक अखिलेश यादव भी मजबूत थे. उनके प्रति लोग पॉजिटिव थे. उनकी कमियों को लोग नजरंदाज करते थे लेकिन परिवार को आपसी कलह में पार्टी में टूट के साथ कमजोर भी हुई. अब अखिलेश को किसी व्यक्ति ने समझाया होगा, जिससे उनके परिवार का रुख बदला है. घोसी के उपचुनाव में अखिलेश ने शिवपाल को फ्री हैंड दिया. शिवपाल ने अपने हिसाब से गोटियां सेट की. परिवार की एकता का लाभ मिला. एकता रहने से आगे चलकर भी सपा को फायदा होगा.
एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा का कहना है कि मुलायम सिंह जब राजनीति करते थे, वह पार्टी का चेहरा होते थे लेकिन जमीन में काम शिवपाल करते थे. लोगों से जुड़ाव उनका ज्यादा था. उनका पूरे प्रदेश में राजनीतिक कनेक्शन पार्टी में भी और बाहर बहुत है. ऐसे बहुत काम होते हैं, जो शिवपाल कर सकते हैं और अखिलेश नहीं कर सकते थे. परिवार जब एक हुआ शिवपाल आए, उन्होंने एक प्रकार के गैप को खत्म किया. शिवपाल नुकसान भी अखिलेश का ही कर रहे थे. परिवार के एक होने से पार्टी की कनेक्टविक्टि बढ़ी. एक अभाव खत्म हुआ. इसका नतीजा घोसी में देखने को मिला है. आगे आने वाले समय में भी सपा को शिवपाल का राजनीतिक लाभ मिलेगा.
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