Ghosi Bypoll: यूपी की घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को 2024 से पहले एनडीए (NDA) बनाम इंडिया (INDIA) गठबंधन की जंग के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में बीजेपी (BJP) को टक्कर देने के लिए सपा ने पूरी तैयारी कर ली है. इस सीट को सपा (SP) ने अपनी नाक का सवाल बना लिया है, ऐसे में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. आज वो खुद इस सीट पर चुनाव प्रचार के लिए मऊ जाएंगे और लोगों से सपा के पक्ष में मतदान करने की अपील करेंगे. दीगर है कि अखिलेश इससे पहले उपचुनावों में प्रचार नहीं करते थे. हालांकि घोसी सीट पर सपा की प्रतिष्ठा दांव पर है, ऐसे में सपा प्रमुख आज जनसभा कर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेंगे.


घोसी विधानसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव का चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतरना इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले अक्सर सपा अध्यक्ष उपचुनाव में प्रचार नहीं करते थे. लेकिन मैनपुरी उपचुनाव के दौरान उन्होंने इस प्रथा को तोड़ा और डिंपल यादव के लिए घर-घर जाकर प्रचार किया था. इसकी नतीजा ये हुआ कि डिंपल यादव को भारी वोटो से जीत मिली थी. यही वजह है कि अब अखिलेश यादव ने घोसी में भी चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है. 


अखिलेश यादव आज करेंगे प्रचार


घोसी उपचुनाव में सपा ने सुधाकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर 5 सितंबर को मतदान होना है, ऐसे में आज अखिलेश यादव यहां चुनाव प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं. अखिलेश यादव आज घोसी में जनसभा करेंगे और सपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करेंगे. सपा इस सीट को लेकर कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि स्थानीय नेताओं के साथ-साथ सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव और रामगोपाल यादव जैसे नेताओं ने भी यहां कई दिनों से डेरा डाला हुआ है. 


कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाएंगे


अखिलेश यादव के इस फैसले को लेकर स्थानीय नेताओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस कदम से पार्टी के लोगों में जोश बढ़ेगा और मतदाताओं के बीच भी अच्छा संदेश जाएगा. घोसी सीट पहले सपा के ही पास थी, लेकिन सपा विधायक दारा सिंह चौहान इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके बाद ये सीट खाली हो गई. बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को ही इस सीट से मैदान में उतारा है. घोसी उपचुनाव की लड़ाई में बाहरी बनाम स्थानीय के बीच लड़ाई हो रही है. सुधाकर सिंह यादव को स्थानीय होने का फायदा मिल सकता है.


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