UP Bypoll 2023: उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को 42 हजार से ज्यादा वोटों के हरा दिया है. इस तरह सपा ने घोसी विधानसभा सीट अपने पास बरकरार रखी. सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने बीजेपी के दारा सिंह चौहान को 42,759 मतों से हराया. सुधाकर सिंह को कुल 1,24,427 मत मिले, वहीं दारा सिंह चौहान 81,668 मत हासिल कर सके.


घोसी उपचुनाव में सपा की जीत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उपचुनाव यूपी में एनडीए और इंडिया के बीच पहला इत्मिहान था. दारा सिंह चौहान 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव के पहले सपा में शामिल हुए थे. उसके बाद सपा के टिकट पर जीत हासिल की थी. फिर उन्होंने इस साल जुलाई में सपा छोड़ दी और विधायकी पद से भी इस्तीफा दे दिया. ऐसे में घोसी सीट खाली हुई. उन्होंने वापस बीजेपी का दामन थाम लिया. इसे देखते हुए बीजेपी ने उन्हें घोसी उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया.


बीजेपी ने भी की पूरी कोशिश


बीजेपी स्पष्ट रूप से चौहान की जीत को लेकर अति आश्‍वस्त थी, भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित उसके पूरे नेतृत्व ने उपचुनावों में जोरदार प्रचार किया था. बीजेपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने दावा किया था कि वह इस उपचुनाव के बाद यादव परिवार को वापस इटावा भेज देंगे. राजभर भी हाल ही में बीजेपी से गठबंधन करते हुए एनडीए में शामिल हुए थे.


हालांकि, यह दारा सिंह चौहान की 'अविश्‍वसनीय दलबदलू' की छवि थी जो उनके खिलाफ गई और मतदाताओं ने सुधाकर सिंह को चुना, जिन्होंने इस बार अपना दूसरा चुनाव जीता. 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों से पहले दारा सिंह चौहान और एसबीएसपी का इतिहास एक जैसा रहा है. चौहान योगी सरकार में मंत्री थे, लेकिन 2022 के चुनाव से कुछ समय पहले उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और सपा में शामिल हो गए. एसबीएसपी भी पहले बीजेपी की सहयोगी थी लेकिन 2022 में उसने एसपी के साथ गठबंधन कर लिया. ऐसे में राजभर का भी इधर से उधर और उधर से इधर जाना काफी महंगा पड़ा.


अखिलेश यादव ने अजमाया पीडीए फॉर्मूला


दारा सिंह चौहान ओबीसी हैं जबकि सुधाकर सिंह ठाकुर हैं. सुधाकर सिंह को मैदान में उतारकर, अखिलेश यादव ने घोसी उपचुनाव में 'उच्च जाति प्लस पीडीए' फॉर्मूले को आजमाने का प्रयास किया था. एसपी ने अपनी पार्टी के लिए नया पीडीए फॉर्मूला 'पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक' रखा है. इसके बाद भी राजभर लगातार जीत का दावा कर रहे थे.


बाहरी बनाम स्थानीय के मुद्दे पर भी राजभर ने कहा कि सपा यह दुष्प्रचार कर रही है. कमल के फूल पर वोट देने के लिए लोग रजामंद हैं. यहां पर लड़ाई बाहरी भीतरी नहीं, बल्कि अखिलेश और ओमप्रकाश के बीच है. यानी खुद को अखिलेश याजन के सामने भी खड़ा करने की कोशिश की. उन्होंने कहा था कि हमने एसी से निकलकर जमीन पर काम करने का सुझाव दिया था, लेकिन तब नहीं सुने और अब जिस राजभर के कपड़े से उन्हें बदबू आती थी उन्हीं राजभर मतदाताओं के बीच जीवन में पहली बार प्रोफेसर रामगोपाल वोट मांग रहे हैं. जब पुलिस की भर्ती होती थी तो हिस्सा लेने के लिए नहीं पूछते थे. घोसी के चुनाव में सपा के बड़े नेताओं के निशाने पर ओमप्रकाश राजभर हैं. न तो योगी जी न तो मोदी जी न कोई है. यह साबित हो गया कि हम लोग ताकत में हैं चुनाव जीत रहे हैं.


राजभर ने क्या-क्या दावा किया था?


राजभर ने बताया था कि घोसी में 520 बूथ हैं, 234 पोलिंग स्टेशन हैं. एक-एक बूथ और एक-एक पोलिंग स्टेशन पर हमने सर्वे करवाया है. 548 हमारी पार्टी के जिम्मेदार नेता काम कर रहे हैं. 388 बूथ पर 60, 70, 80, 90, 100 फीसद वोट पाएंगे. शेष 86 बूथ पर वो लोग 80 प्रतिशत पा सकते हैं. कुछ बूथों पर हम आमने सामने होंगे. अगर जातिगत समीकरण देखें तो 80 हजार मुस्लिम और सिर्फ 20 हजार यादव हैं, जिसमें हमें कुछ फीसद मुस्लिम का वोट भी मिलेगा.


सुभासपा अध्यक्ष ने कहा था कि इन दोनों के वोट बैंक के बदले हमारे पास 65 हजार राजभर, 55 हजार चौहान, यही वोट विपक्ष का मुकाबला कर लेगा. निषाद 17 से 18 हजार और सामान्य वर्ग भी इतने हैं. सामान्य वर्ग में भूमिहार का 90 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिलेगा. अभी कुछ छोटी जातियां जैसे, बंजारा, गोंड, मौर्या, प्रजापति हैं. यह वोट भी हमें मिलेगा. सपा का वोट है कहां. इसके बाद अगर राजपूत की बता करें तो 60-40 का रेशियो रहेगा. अब सपा को कौन सा वोट मिल रहा है. लड़ाई नाम की कोई चीज नहीं है.


उन्होंने दावा किया कि हम लोग 50 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीतने जा रहे हैं. लेकिन, हुआ इसके उलट और सपा ने 42 हजार से ज्यादा वोटों से एनडीए को हरा दिया. ऐसे में राजभर का सारा गुणा-भाग फेल हो गया और अखिलेश यादव की रणनीति कम कर गई.


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