उत्तर प्रदेश की घोसी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता हरिनारायण राजभर सांसद हैं, साल 2014 में ये सीट भाजपा ने बसपा के कद्दावर नेता दारा सिंह को 146015 वोटों से हराकर अपने नाम की थी। पूर्वांचल की महत्वपूर्ण सीटों में से एक घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र मऊ जिले का हिस्सा है, आज मऊ और बुनाई एक दूसरे के पर्यायवाची बन चुके हैं, मऊ में बुनाई की शुरुआत मुग़ल सम्राट जहांगीर के काल में हुई थी, 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने इसे भारत का मैनचेस्टर बताया था, तमसा नदी के किनारे यह इलाका खुद में रामायण और महाभारत काल की सांस्कृतिक और पुरातात्विक अवशेष को भी समेटे हुए है।


घोसी तहसील मऊ जिले का हिस्सा है, यहां की साक्षरता दर की बात करें तो मऊ की औसत साक्षरता दर 75.16% है, मऊ की 77.34% जनता ग्रामीण इलाकों में जबकि 22.66% जनता शहरों में रहती है, यहां पहली बार 1957 में आम चुनाव हुए थे, जिसे कांग्रेस ने जीता था, 1962 से 1971 तक यहां कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का राज रहा, इसके बाद 1977 में यहां जनतादल का खाता खुला लेकिन साल 1980 में एक बार फिर से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने जीत के झंडे गाड़े।


1984 से 1991 तक यहां कांग्रेस का राज रहा और कल्पनाथ राय घोसी के सांसद बने, मऊ जिले के निर्माण में कल्पनाथ राय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1999 में बहुजन समाज पार्टी के बाल कृष्ण चौहान ने कल्पनाथ राय का विजयरथ रोका और जीत हासिल करके संसद पहुंचे, 2004 में समाजवादी पार्टी और 2009 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी इस सीट पर विजयी हुए लेकिन साल 2014 में यहां सत्ता का पासा पलटा और हरिनारायण राजभर यहा के सांसद चुने गए, उन्होंने घोसी में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार जीत दिलाई।


हरिनारायण राजभर का लोकसभा में प्रदर्शन पहली बार निर्वाचित हुए राजभर सोलहवीं लोकसभा में विज्ञान-तकनीक,पर्यावरण और वन सम्बन्धी मामलों की स्थाई समिति के सदस्य भी हैं। पिछले 5 सालों के दौरान उनकी लोकसभा में उपस्थिति 97 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने 31 डिबेट में हिस्सा लिया और 157 प्रश्न पूछे हैं। घोषी एक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं, जहां अल्पसंख्यकों की आबादी 61 प्रतिशत और हिंदुओं का आबादी 38 प्रतिशत है, साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर दो पर बसपा, नंबर 3 पर QED, नंबर 4 पर सपा और नंबर 5 पर कांग्रेस थी। उस साल यहां 1891112 मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें 55 प्रतिशत पुरुष और 45 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं।


इस बार ये है मैदान में


भाजपा ने सांसद हरि नारायण राजभर को ही इस बार भी चुनाव मैदान में उतारा है। लोग नाराजगी जताते हैं, लेकिन कहते हैं कि वोट तो उन्हें देना ही होगा, मोदी का मामला है। दूसरी ओर सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में है। बसपा ने अतुल राय को टिकट दिया है, जिनके खिलाफ एक महिला ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया है और इसकी वजह से वह क्षेत्र में नहीं घूम पा रहे। लेकिन, सपा-बसपा के लोग खुलकर यह कहते हैं कि वोट तो हम उन्हें ही देंगे। उनकी आस्था अखिलेश यादव और मायावती में है। कांग्रेस ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को खड़ा किया है। उनकी कोशिश मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की है।