Uniform Civil Code: उत्तराखंड में यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार और अन्य राज्यों को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा घोषित यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का प्रयास करना चाहिए. चुनाव से पहले किए वादों में से एक को ध्यान में रखते हुए धामी के मंत्रिमंडल ने इस सप्ताह की शुरुआत में घोषणा की थी कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाएगी. अगर इसे लागू किया जाता है तो उत्तराखंड गोवा के बाद ऐसा करने वाला देश का दूसरा राज्य होगा.


गिरिराज सिंह ने अपने बयान में कहा, 'हम धामी जी को धन्यवाद देते हैं. देश के हर राज्य को इसे (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करना चाहिए. इसे एक राज्य, एक कानून होने दें.' उन्होंने इससे पहले अपने एक ट्वीट में कहा, 'प्रान्त और धर्म के नाम पर देश को कोने-कोने से तोड़ने का प्रयास प्रतिदिन किया जा रहा है. हालात ऐसे बनाए जा रहे हैं कि समान नागरिक संहिता (uniform civil code) समय की मांग बन गई है. अब कुछ खास वर्ग के लोग ने देश का कानून तय करना शुरू कर दिया है.' बता दें कि इससे पहले भी गिरिराज सिंह कई बार यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग उठा चुके हैं.



क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?


यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब अलग-अलग धर्म ग्रंथों और रीति-रिवाजों पर आधारित पर्सनल लॉ की जगह देश में हर एक नागरिकों पर लागू होने वाला एक समान नागरिक संहिता कानून है. अगर आम भाषा में इस लॉ को समझें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड का सीधा मतलब है देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून. वो फिर भले ही किसी धर्म या जाति से संबंधित क्यों हो. बता दें कि देश में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ मौजूद हैं.


भारत में अभी कौन से कानून हैं?


भारत में अभी हिंदू विवाह कानून, हिंदू उत्तराधिकार कानून, भारतीय क्रिश्र्चियन विवाह कानून, पारसी विवाह कानून, और तलाक कानून जैसे कई लॉ मौजूद हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ उनके धार्मिक शरिया कानून पर आधारित है, जिसमें एकतरफा तलाक और बहुविवाह जैसी प्रथाएं शामिल हैं.


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