आगरा: भूख और बीमारी से बच्ची की मौत के बाद सुर्खियों में आए नैनाना जाट पंचायत की स्थिति ठीक नहीं है. अभी भी तमाम परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. आयुष्मान कार्ड उनके लिए सपना बना हुआ है. ढाई हजार परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं. आधार कार्ड न होने पर बच्चों का स्कूल छूट रहा है. चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस संबंध में डीएम को दस बिन्दुओं पर शिविर लगाकर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की मांग की है.
आस-पास के और भी गावों की स्थिति खराब
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट व महफूज सुरक्षित बचपन के समन्वयक नरेश पारस ने डीएम को भेजे पत्र में कहा है कि ब्लाक बरौली अहीर ग्राम पंचायत नैनाना जाट के गांव विधिचंद में भूख और बीमारी से बालिका सोनिया की मौत हो गई थी. उस परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. प्रशासन ने इस परिवार की मदद की लेकिन जब इस ग्राम पंचायत के लोगों से बात की तो सामने आया कि 5 गांवों में अभी भी कई परिवार ऐसे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है.
नैनाना ग्राम पंचायत में ढाई हजार परिवारों के राशन कार्ड नहीं बने हैं
नैनाना जाट ग्राम पंचायत में पांच गांव नगला विधिचंद, अंबेडकर नगर, स्वरूप नगर, हरि नगर और नैनाना जाट हैं जिनमें अधिकांश दलित परिवार रहते हैं. ढाई हजार परिवारों के राशन कार्ड नहीं बने हैं. पांच हजार परिवारों में से केवल 191 आयुष्मान कार्ड ही बने हैं. 25 फीसदी लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है. गैस और बिजली कनेक्शन नहीं हैं. आधार कार्ड न होने से बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया है.
वहीं अधिकांश लोग टीबी की बीमारी से ग्रसित हैं. बाल विवाह की दर अधिक है. एक के साथ एक नाबालिग बेटी का विवाह कर दिया जाता है. लाकडॉउन में कम उम्र में विवाह कराए गए हैं. अधिकांश दिहाड़ी और असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं. इनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
आगरा में नगला विधिचंद के रहने वाले पप्पू की बेटी की मौत के बाद एक तरफ सरकार और प्रशासन उस पीड़ित परिवार की सुध ले रहा है, तो वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग ने भी संज्ञान लिया है. लेकिन सवाल ये है कि जो हाल पप्पू का है, वही हाल नैनाना जाट ग्राम पंचायत के पता नहीं कितने घरों का है. ऐसे में अंत्योदय की विचारधारा पर चलने वाली योगी सरकार इन लोगों की कब सुध लेगी.
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