प्रयागराज: झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाली बच्चियां बना रहीं हैं कोरोना वॉरियर्स के लिए राखियां, जानें- क्या है खास
प्रयागराज के कीडगंज इलाके की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाली 10 से 15 साल की लडकियां यमुना नदी के किनारे पक्के घाट पर बैठकर खास राखियों को तैयार कर रही हैं. इन राखियों को कोरोना वॉरियर्स की कलाइयों में बांधा जाएगा.
प्रयागराज: कोरोना की महामारी के बीच पड़ रहे रक्षाबंधन के त्यौहार पर इस साल कोरोना वॉरियर्स की कलाइयों पर राखी बांधकर उनकी हौसला अफजाई किए जाने की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं. संगम नगरी प्रयागराज में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाली लडकियां पिछले कई दिनों से दिन-रात मेहनत कर कोरोना वॉरियर्स के लिए खास राखियां तैयार कर रही हैं.
राखियां चाइनीज रेशम और दूसरी सामाग्रियों का बहिष्कार कर खास देसी सामानों से तैयार की जा रही हैं. इन राखियों में लड़कियों की भावनाएं भी शामिल है. राखियों को तैयार करने के लिए लड़कियों ने एक वर्कशाप में ट्रेनिंग भी ली है. तकरीबन पांच हजार राखियां तैयार कर इन्हें डॉक्टर्स और दूसरे मेडिकल स्टाफ के साथ ही पुलिस वालों और सफाई कर्मचारियों की कलाई पर बांधा जाएगा. राखियों को संबंधित विभागों के अफसरों के जरिए कोरोना वॉरियर्स के बीच पहुंचाया जाएगा.
प्रयागराज के कीडगंज इलाके की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाली 10 से 15 साल की लडकियां यमुना नदी के किनारे पक्के घाट पर बैठकर इन राखियों को तैयार कर रही हैं. इन लड़कियों को केंद्रीय विद्यालय की टीचर और सोशल वर्कर अंजलि विशाल ने वर्कशाप आयोजित कर राखी बनाने की ट्रेनिंग दी है. उन्होंने ही लड़कियों को रेशम की डोर और दूसरे सामान भी मुहैया कराए हैं. कोरोना वारियर्स के लिए तकरीबन पांच हजार राखियां तैयार किए जाने की योजना है. राखियां तैयार करने में चाइनीज सामानों से दूरी बनाकर रखी गई है.
अंजलि विशाल और बच्चियों का कहना है कि महामारी के मुश्किल दौर में कोरोना वॉरियर्स ही जीने की राह दिखा रहे हैं और लोगों में हिम्मत पैदा कर रहे हैं. उनके मुताबिक कोरोना वॉरियर्स के लिए राखियां तैयार करने का मकसद उनकी हौसला अफजाई करना है, ताकि वो और ज्यादा जोश के साथ काम कर सकें. बच्चियों की बनाई हुई राखियां खासी आकर्षक हैं और इन्हें काफी पसंद भी किया जा रहा है.
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