Yogi Cabinet 2022: साल 2014 से पहले भारतीय जनता पार्टी को शहरी क्षेत्र की पार्टी माना जाता रहा, लेकिन अब ऐसा नहीं है. सीएम योगी ने अपनी दूसरी पारी के लिए जो टीम बनाई है उसमें ग्रामीण क्षेत्रों को खास तरजीह मिली है. इसके पीछे ग्रामीण क्षेत्र की बहुसंख्यक बिरादरी के लोगों को साल 2024 के लिए अभी से भाजपा के खेमे से जोड़ने की रणनीति बताई जा रही है. प्रदेश में जब भी भाजपा सरकार रही है कानपुर शहर से किसी ना किसी को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व जरूर मिला. लेकिन यह पहला मौका है जब कानपुर शहर पूरी तरह से मंत्रिमंडल से गायब है.
भाजपा ने क्यों बदली रणनीति
भाजपा की बदली रणनीति के पीछे भी कई वजह बताई जा रही हैं. कहा ये भी जा रहा है कि जिन विधायकों को मंत्री बनाया गया है उनकी बिरादरी के लोगों की संख्या कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में अच्छी खासी है. जानकारों की माने तो पार्टी की कोशिश है कि राकेश सचान के जरिए कानपुर महानगर, कानपुर देहात और फतेहपुर में एक बड़ा कुर्मी नेता बनाकर अपना दल का विकल्प तैयार किया जाए. असीम अरुण के जरिए जाटव वोटबैंक को अपने पास ही बनाए रखा जाए. बांदा के तिंदवारी से राम के निषाद के जरिए पूरे क्षेत्र में निषादों में अपनी पैठ को और गहरा किया जाए. प्रतिभा शुक्ला के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पाले में बनाए रखा जाए.
असीम अरुण के जरिए जाटव वोट बैंक पर निशाना
सबसे ज्यादा चर्चा में इस बार जाटव बिरादरी की है जो अब तक बसपा का वोटबैंक माना जाता था, अनुसूचित जातियों में जाटव समाज के लोगों ने हमेशा मायावती को वोट दिया है लेकिन इस चुनाव में बसपा का पत्ता साफ हो गया. जाटव बिरादरी के असीम अरुण को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाकर उन्हें इस वोट बैंक को सहेजने का जिम्मा दिया गया है.
ग्रामीण क्षेत्रों के नाराज ब्राह्मणों पर भी नजर
वैसे तो ब्राह्मण बिरादरी को भाजपा की पूर्व सरकार में तरजीह मिलती रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े ब्राह्मणों के नजरअंदाज होने की बातें अक्सर सामने आती रही हैं. करीब 2 वर्ष पूर्व हुए बिकरू कांड के बाद अचानक से ब्राह्मणों की उपेक्षा की बात उठी और विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा भी बनाया. चर्चा है कि इसी वजह से इस बार ग्रामीण क्षेत्र से ब्राह्मण बिरादरी की विधायक प्रतिभा शुक्ला को सरकार में जगह दी गई है.
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