प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 27 फरवरी को वाराणसी (Varansi) के काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की थी. इस मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण किया गया है. अभी इसका एक चरण ही पूरा हुआ है. यह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है. प्रधानमंत्री जब पूजा करने काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath temple) के गर्भगृह में पहुंचे तो वह स्वर्णिम आभा में जगमगा रहा था. 


काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में लगा है कितना सोना?


मंदिर की देखभाल करने वाले ट्रस्ट के एक अधिकारी ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाई गई है. उन्होंने बताया कि इस काम में 37 किलो सोने का उपयोग हुआ है. अधिकारी ने बताया कि यह सोने की परत चढ़ाने का काम 25 फरवरी को शुरू हुआ था और 27 फरवरी को खत्म हुआ. अधिकारी ने बताया कि अगले चरण में बाहरी दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का काम किया जाएगा.


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इस अधिकारी ने नाम से प्रकाशित करने की शर्त पर 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि दक्षिण भारत के अनाम भक्त ने मंदिर को 60 किलो सोना दान किया है. इसी सोने में से 37 किलो सोने का इस्तेमाल अंदर की दीवारों पर परत चढ़ाने में किया गया है. 


कहां के दानकर्ता ने दान किया है इतना सोना?


वहीं बीजेपी के एक सूत्र ने बताया कि दान देने वाला व्यापारी चाहता था कि मंदिर के गर्भगृह के दीवारों पर 37 किलो सोने की परत चढ़ाई जाए, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का वजन भी 37 किलो ही है. नेता ने बताया कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंदिर और आसपास के लिए की गई सेवा के प्रति आभार जताने का बेहतर तरीका है.


अधिकारियों ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर में सोने की परत चढ़ाने का काम अंतिम बार पंजाब के महाराजा रंजीत सिंह ने 18वीं शताब्दी में किया था. उन्होंने मंदिर को 23 मन (1 मन बराबर 35 किलो) सोना दान दिया था. यह दान उन्होंने मंदिर के गुंबद को ढंकने के लिए दिया था. यह पहली बार था जब किसी व्यक्ति ने इतनी अधिक मात्रा में सोना मंदिर को दान दिया. 


गर्भगृह के दीवारों पर अबतक क्या लगा हुआ था?


मंदिर के गर्भगृह के अंदर की दीवारों पर 12 फीट की ऊंचाई तक संगमरमर और गुंबद तक लाल बलुआ पत्थर लगा हुआ था. अधिकारियों ने बताया कि मंदिर में जलने वाले दिए के धुंए की वजह से पत्थरों पर दाग-धब्बे पड़ गए थे. कई बार प्रयास करने के बाद भी उन्हें साफ नहीं किया जा सका. 


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अधिकारी ने बताया कि एक पखवाड़े पहले संगमरमर और बलुआ पत्थरों पर सिलिकॉन फाइबर की एक परत चढ़ाई गई थी. वहीं संगमरमर पर उकेरी गईं देवी-देवताओं की मूर्तियों और हर हर महादेव पर चढ़ाने के लिए तांबे का ढांचा बनाया गया था. उन्हीं पर और दीवारों पर सोने की परत चढाई गई है.  अधिकारी ने बताया कि गर्भगृह के दरवाजों पर अभी चांदी की परत है, जिसे जल्द ही हटाकर सोने की परत चढ़ा दी जाएगी.


बचा हुआ सोना कहां लगाया जाएगा?


मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश मिश्र ने बताया कि सोने की परत चढ़ाने से मंदिर की आभा बढ़ी है. जब लाइट जलाई जाती है तो यह जगमगाने लगता है. उन्होंने कहा कि जब गर्भगृह के दरवाजों और बाहरी दीवारों पर सोने की परत चढ़ा दी जाएगी तो मंदिर अपने आप में अलग होगा. 


वाराणसी के आयुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि हमें सूचना मिली कि एक अज्ञात दानदाता ने मंदिर को 60 किलो सोने का दान किया है. उन्होंने बताया कि इन आकृतियों को दिल्ली के एक जौहरी ने बनाया है. वही लोग उसे लगाने भी आए थे. उन्होंने बताया कि बचे हुए सोने का इस्तेमाल गुंबद को सजाने में किया जाएगा. क्या गर्भगृह में लगाए गए सोने का वजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के वजन के बराबर है, इस सवाल पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.