मथुरा. मथुरा छावनी में स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह के तहत आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में ‘स्वर्ण ज्योति’ को विदाई दी गई. उल्लेखनीय है कि वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत को मिली ऐतिहासिक जीत में भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता को प्रदर्शित करने के लिए 16 दिसंबर को मशाल मथुरा पहुंचा थी.
कोर एक के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल सी पी करियप्पा ने कहा, ‘‘1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के शहीदों के सर्वोच्च बलिदान के लिए राष्ट्र ऋणी है.’’ वहीं, प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल आशीष बाजपेयी ने कहा, ‘‘स्वर्ण ज्योती मशाल नयी दिल्ली लौटने से पहले भरतपुर, अलवर, हिसार, जयपुर और कोटा जाएगी.’’
‘स्वर्ण ज्योति’ 20 दिसंबर और 21 दिसंबर को पास के अलीगढ़ और हाथरस जिलों में गई थी. स्वर्णिम विजय वर्ष मनाने के लिए मथुरा छावनी, हाथरस और अलीगढ़ में विभिन्न समारोह आयोजित किए गए. स्वर्णिम विजय वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की 50 वीं वर्षगांठ पर मनाया जा रहा है.
पाकिस्तान के साथ 13 दिन चली लड़ाई
1971 में पाकिस्तान के साथ चली 13 दिन की लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने फतह हासिल की थी. इस जंग में करीब 3843 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर किए. इस युद्ध की जीत का ही परिणाम था कि पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों ने सरेंडर किया. पूर्वी पाक अलग हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ.
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