Gonda News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का गोंडा जिला चिकित्सालय (Gonda District Hospital) एक बार फिर से सुर्खियों में है. गोंडा का जिला अस्पताल अक्सर विवादों में रहा है. प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने गोंडा के स्वास्थ्य कर्मियों को सख्त हिदायत दी थी उसके बाद भी स्वास्थ्य केंद्र में सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. गोंडा के जिला अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता का मामला सामने आया है. यहां 4 दिन से डेंगू वार्ड में भर्ती 70 साल के बुजुर्ग को सही से इलाज नहीं होने के कारण उसका बेटा बिना एंबुलेंस के ही पैदल लेकर निकल पड़ा.


इलाज नहीं मिल रहा था-परिजन
करीब 20 किलोमीटर तक 70 वर्षीय बुजुर्ग पीड़ित को लेकर उसका बेटा पैदल चला. बाद में मदद के पैसे से ऑटो करके घर तक पहुंचाया. परिजनों का आरोप है कि सही से उसके पिता का इलाज नहीं हो रहा था. एंबुलेंस लेने के लिए पैसे देने पड़ते. इसी डर से अपने पिता को कंधे पर लादकर जिला अस्पताल से निकलना उचित समझा. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने पहले तो यह बात मानने से इनकार कर दिया कि मरीज बिना बताए ही जिला अस्पताल से निकल गया है. फिलहाल पूरे मामले में मुख्य शिक्षा अधीक्षक ने कहा है कि जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.


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नर्स ने मांगा पैसा
योगी सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए तरह तरह का प्रयास कर रही हो लेकिन सरकारी अस्पतालों में गरीबों को बिना जेब ढीली किए इलाज नहीं मिल पा रहा है. आरोप है कि जिला अस्पताल के वार्ड में तैनात नर्स द्वारा फाइल बनाने के नाम पर एक सौ रुपए की मांग की गई. पैसा न होने के कारण वह नहीं दे सका तो उसे डेंगू वार्ड में डाल दिया गया. इस दौरान नर्स द्वारा उसे बाहर से 2 इंजेक्शन मंगाने के लिए कहा गया तो उसने किसी तरह 590 रुपए का 2 इंजेक्शन मंगवाया.


गिड़गिड़ाता रहा पीड़ित
4 दिनों में सिर्फ वही दो इंजेक्शन लगाकर अस्पताल से कोई भी दवा नहीं दी गई. पैसा ना मिलने से नाराज नर्स बार-बार वृद्ध को लखनऊ रेफर करने की बात कहती रही. पीड़ित गरीब नर्स के सामने गिड़गिड़ाता रहा कि पैसे नहीं हैं तो कैसे लखनऊ लेकर जाएं लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों को इस गरीब पर जरा सी भी दया नहीं आई. इस दौरान वृद्ध दर्द से चिल्लाता रहा. बेटा अस्पताल कर्मचारियों को पैसे ना होने की दुहाई देता रहा लेकिन किसी ने बेटे की बात नहीं सुनाी. 


कर्मचारियों की खुली पोल
इलाज के अभाव में वृद्ध का खाना पानी भी बंद हो गया. बस स्टॉप से कर्नलगंज रोड पर पीड़ित को पैदल कंधे पर लादकर वृद्ध को ले जाते देख कुछ समाजसेवी अपने आप को नहीं रोक पाए. उन्होंने उसे रोककर पूरे हालात का जायजा लिया तो बाबू ईश्वर सरण जिला चिकित्सालय के कर्मचारियों के कारनामों की पोल खुल गई.


सीएमएस ने क्या कहा
सीएमएस इंदुबाला को पूरे मामले से अवगत कराया गया तो उन्होंने गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है. हमनें वार्ड इंचार्ज से पूछा था तो उन्होंने बताया कि वह मरीज अपने आप चला गया है. हम इसकी जांच करेंगे कि मरीज अस्पताल से गया तो रजिस्टर पर एंट्री क्यों नहीं की गई और समय क्यों नहीं लिखा गया. यह पूछे जाने पर कि उसका आरोप है कि उसे बाहर से दवा लिखी गई तो उन्होंने कहा कि मैं यहां बैठी हूं उसे मेरे पास आना चाहिए.


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