Gonda News: गोंडा के सरकारी स्कूलों में छात्रों को अब तक नहीं मिलीं नई किताबें, पुरानी किताबों से पढ़ने को मजबूर बच्चे
Gonda Schools: यूपी के गोंडा में प्राथमिक और उच्च स्कूलों में नया सत्र शुरू हो चुका है लेकिन अब तक छात्रों के नई किताबें नहीं दी गई हैं. हालत ये है कि बच्चों को पुरानी किताबों से पढ़ाई करनी पड़ती है.
Gonda Government Schools: यूपी के गोंडा जिले (Gonda District) के 2611 सरकारी परिषदीय स्कूलों में नया सत्र भले ही प्रारंभ हो गया लेकिन बच्चों को अभी तक नई किताबें नहीं मिल पाई हैं. अध्यापक पुरानी किताबों के जरिए ही बच्चों की पढ़ाई (Students Studying From Old Books) करवा रहे हैं. वैसे तो कहने के लिए प्रदेश भर में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों के नामांकन बढ़ाने के लिए स्कूल चलो रैली (School Chalo Rally) और प्रवेश उत्सव के माध्यम से अभियान चलाया जा रहा है लेकिन जिले में नामांकित चार लाख छात्रों को निशुल्क पाठ्य पुस्तक तक नहीं दी गई है. जिसके चलते नए सत्र में छात्रों को पुरानी पुस्तक से पढ़ाया जा रहा है.
पुरानी किताबों से नए सत्र की पढ़ाई
स्कूलों बच्चों को समय रहते किताबें नहीं मिलने से उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है. बच्चे हर दिन स्कूल में टकटकी लगाए बैठे रहते हैं कि कब उन्हें किताबे मिलेंगी और वो ठीक से अपनी पढ़ाई कर पाएंगे. वहीं दूसरी तरफ इस बारे में जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अखिलेश प्रताप सिंह (Akhilesh Pratap Singh) से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी किताबों का टेंडर नहीं हुआ है. उम्मीद है कि इसी अगस्त तक टेंडर हो जाएगा और सभी छात्रों को नई पुस्तक दे दी जाएंगी. लेकिन तब तक तो छात्रों को पुरानी किताबों के सहारे ही पढ़ाई करनी पड़ रही है.
छात्रों को अब तक नहीं दी गई नईं किताबें
गोंडा जिले में 2611 परिषदीय सरकारी स्कूलों का संचालन हो रहा है. इसमें 1709 प्राथमिक और 902 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं. इनमें पढ़ाई कर रहे छात्रों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं. इसके साथ ही अशासकीय सहायता प्राप्त व राजकीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों को भी पाठ्य पुस्तकें दी जाती हैं. इस सत्र में अभी तक पाठ्य पुस्तक वितरण को लेकर कोई प्रबंध नहीं हो सका है. छात्र बिना पुस्तक के ही पढ़ाई करने आते हैं. स्कूल में बैठकर गृहकार्य लेकर वापस लौट जाते हैं. बिना किताबों के पढ़ाई करना बच्चों के लिए मुश्किल है तो इससे अध्यापक भी परेशान हैं. प्राथमिक विद्यालय पहाड़पुर द्वितीय की प्रभारी प्रधानाध्यापक सपना सिंह ने कहा है कि स्कूलों में पुरानी किताबों से ही पढ़ाई करवाई जा रही है.
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