बेटियों को जन्म दिया तो पति ने छोड़ा साथ, तीन तलाक पीड़ित यास्मीन ने अपने दम पर हासिल किया ये मुकाम
यास्मीन के पति ने उन्हें तलाक दे दिया. 4 बच्चियों को लेकर तलाकशुदा यासमीन गोंडा में ही रहने को मजबूर हो गईं. यास्मीन ने महिलाओं को जोड़ा और सिलाई करने लगीं. आज समाज के लिए यास्मीन एक मिसाल बन गई हैं.
![बेटियों को जन्म दिया तो पति ने छोड़ा साथ, तीन तलाक पीड़ित यास्मीन ने अपने दम पर हासिल किया ये मुकाम gonda husband divorce wife yasmeen after birth of 4 daughters now she became example for society ann बेटियों को जन्म दिया तो पति ने छोड़ा साथ, तीन तलाक पीड़ित यास्मीन ने अपने दम पर हासिल किया ये मुकाम](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/03/12031903/gonda.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
गोंडा: तीन तलाक पीड़ित 4 बेटियों की मां यास्मीन ने गोंडा में वो कर दिखाया है जो दूसरों के लिए मिसाल है. यास्मीन ने आर्थिक तंगी की जिंदगी से उबरने के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया और सिलाई शुरू कर अपनी उड़ान को पंख दिए. यास्मीन अब खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ समूह की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं.
अधिकारी कर रहे हैं सराहना कटरा ब्लॉक के सर्वांगपुर जयसिंह गांव की रहने वाली तलाकशुदा यास्मीन को 2 साल पहले इसलिए तलाक दे दिया गया था क्योंकि वो लगातार बच्चियों को जन्म दे रहीं थी. तलाक के बाद कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते-लगाते यास्मीन जब परेशान हो गईं और उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रही तो उन्हेंने आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए गांव की महिलाओं के साथ समूह बनाया. समूह में सिलाई कर खुद को आत्मनिर्भर बनने के साथ ग्रामीण महिलाओं को भी जोड़ा. यास्मीन के इस कार्य की मुख्य विकास अधिकारी भी सराहना कर रहे हैं.
बेसहारा छोड़ दिया महिलाओं के समूह को प्रशासन ने बेसिक स्कूलों के 3 हजार ड्रेस सिलने का काम दिया. इलके लिए समूह को 3 लाख रुपए का पेमेंट मिला. महिला शक्ति की मिसाल बनी यास्मीन आज अपने समूह की महिलाओं और उनकी बच्चियों के लिए मसीहा बन गई हैं. यास्मीन की मानें तो उनके परिवार ने बच्चियों के पैदा होने का इतना बड़ा दंश दिया और भूखों मरने के लिए बेसहारा छोड़ दिया. स्वयं सहायता समूह के गठन के बाद से अब वो पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं.
शुरू की सिलाई यासमीन की मानें तो 16 साल पहले उसकी शादी इस गांव में हुई थी. वो राजी खुशी अपने पति के साथ महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहती थीं. लगातार चार बेटियों के पैदा होने से यास्मीन के पति ने उन्हें तलाक दे दिया, जिसका में मुकदमा भी चल रहा है. यास्मीन के पति और ससुराल के लोग उन्हें छोड़कर महाराष्ट्र चले गए. 4 बच्चियों को लेकर तलाकशुदा यासमीन गोंडा में ही रहने को मजबूर हो गईं. उनके सामने अपने बच्चों को पालने का गंभीर संकट पैदा हो गया. कुछ दिनों तक तो यास्मीन ने खेतों में मजदूरी की. बाद में यास्मीन ने सरकारी मदद से स्वयं सहायता समूह बनाकर गांव की ही 10 महिलाओं को जोड़ा और सिलाई करने लगीं.
मिसाल बनकर उभरी हैं यास्मीन इधर-उधर का काम करके गुजारा चलने लगा. इसी बीच मुख्य विकास अधिकारी के आदेश पर यास्मीन के समूह को बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के ड्रेस सिलने का काम दिया गया. करीब 3 हजार स्कूली ड्रेस सिलकर जब इस समूह ने विभाग को सौंपा तो इस समूह को 3 लाख सिलाई के मिले, जिससे समूह की बांछें खिल गईं. यास्मीन ने बताया कि उसने बैंक से लोन लिया था और सिलाई मशीन खरीदी थी. पेमेंट मिलने के बाद उसने बैंक का लोन चुका दिया है. बाकी जो बचा वो समूह की सदस्य महिलाओं में बराबर-बराबर बांट दिया. महिला सशक्तिकरण के लिए यास्मीन एक मिसाल बनकर उभरी हैं.
सीडीओ ने की सराहना सीडीओ ने यास्मीन के समूह की सराहना करते हुए बताया कि तलाक पीड़िता होने के बाद यास्मीन का हमारी एसआरएलएम टीम ने समूह बनवाया और बेसिक स्कूलों के ड्रेस सिलाई का काम दिया जिससे उनको 3 लाख का लाभ मिला. कटरा बाजार ब्लॉक के सर्वांगपुर गांव की हसनी हुसैनी नारी कल्याण स्वयं सहायता समूह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है.
ये भी पढ़ें:
अब घरेलू गैस की चोरी करने वालों की खैर नहीं, मेरठ के छात्रों ने बनाया अनोखा स्मार्ट लॉक, जानें- खासियत
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)