Gonda News: गोंडा (Gonda) में जहां जिला प्रशासन सभी प्राथमिक विद्यालयों को हाईटेक करने की बात कर रहा है, लेकिन पुलिस लाइन में चीरघर के पास बना प्राथमिक विद्यालय विकास की आस लगाए बैठा है. प्राथमिक विद्यालय में 42 बच्चे हैं, लेकिन यहां पर लगभग 8 सालों से किसी भी शिक्षक की तैनाती नहीं की गई है. केवल एक महिला शिक्षामित्र के सहारे पूरी विद्यालय को छोड़ दिया गया है. विद्यालय जर्जर है और कभी भी गिर सकता है, जिसके चलते पेड़ के नीचे और खुले मैदान में शिक्षामित्र बच्चों को पढ़ाने को मजबूर है. जब क्लास रूम जर्जर है तो इसी बात से आप अंदाजा लगा दीजिए कि वहां का शौचालय और बाउंड्री वाल और अन्य सुविधाएं कितनी मुकम्मल होंगी.


फिलहाल पूरे मामले पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया है कि नगर क्षेत्र में शिक्षकों की कमी है. इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी और अगर गंदगी का अंबार है तो उस पर भी जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.


क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह मामला गोंडा जिले के पुलिस लाइन का है, जहां प्राथमिक विद्यालय पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. इस कारण बच्चें मौत के साए में शिक्षा प्राप्त करने के लिए मजबूर हैँ, संभावित हादसे से बचने के लिए बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करते हैँ, लेकिन गर्मी और बरसात में उन्हें मौत के साए में ही पढ़ना पड़ता है. प्राथमिक स्कूल की बिल्डिंग भवन की छत और दीवारों के साथ ही फर्श पर गंदगी का अंबार है. शौचालय टूटे पड़े है और न ही पानी की कोई व्यवस्था है, जिस कारण पढ़ने वाले बच्चे खुले मे शौच करने को मजबूर है. इसी वजह से यह स्कूल अब गुमनामी का शिकार होता जा रहा है. पिछले 8 सालों में एक भी शिक्षक की तैनाती नहीं हो सकी है.


पूरे मामले पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अखिलेश प्रताप सिंह का कहना है कि जिले में कुल 565 जर्जर विद्यालयों की संख्या सामने आई है. जिसमें से 265 जर्जर विद्यालयों के मूल्यांकन की रिपोर्ट आई है. इसको नीलामी करवाकर ध्वस्त करवाया जाएगा और फिर जब बजट आएगा तो स्कूलों का पुनर्निर्माण करवाया जाएगा. जहां तक प्राथमिक विद्यालय पुलिस लाइन का सवाल है तो वहां पर पूरे मामले की जांच की जाएगी. नगर क्षेत्र में शिक्षकों की कुछ कमी है, उसकी वैकल्पिक व्यवस्था जल्द ही की जाएगी. अगर स्कूल जर्जर है और गंदगी का अंबार है तो उसको खंड शिक्षा अधिकारी को जांच के लिए कहा जाएगा. सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जर्जर विद्यालयों में कोई भी बच्चे पढ़ने ना पाए.


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