Gonda Ambulance: गोंडा में सरकारी एंबुलेंस को खुद इलाज की जरूरत, अब तक 20 का चालान और 4 सीज
गोंडा में सरकारी एंबुलेंस मानक विहीन और बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ती नजर आ रही हैं. ऐसे में अगर एंबुलेंस में बैठे मरीज और उनके परिजनों के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो आखिर जिम्मेदारी किसकी होगी.
मरीजों को अस्पताल ले जाने वाली एंबुलेंस जब खुद लापरवाही की शिकार हो तो बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की आस रखना बेमानी हो जाती है. ऐसा ही हाल गोंडा का है. जहां सरकारी एंबुलेंस मानक विहीन और बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ती नजर आ रही हैं. ऐसे में अगर एंबुलेंस में बैठे मरीज और उनके परिजनों के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो आखिर जिम्मेदारी किसकी होगी.
स्वास्थ्य विभाग अनजान
आरटीओ विभाग समय-समय पर अभियान चलाकर एंबुलेंस का चालान और सीज करने की कार्रवाई तो करता है, लेकिन खुद स्वास्थ्य विभाग के मुखिया अपने सरकारी एंबुलेंस के फिटनेस के बारे में अनजान है. जिला अधिकारी और आरटीओ विभाग के स्तर से सीएमओ को लेटर भेजा जाता है कि वह अपनी अनफिट वाहनों का फिटनेस करवा लें लेकिन जिलाधकारी के आदेश का कोई पालन नहीं हो रहा है.
आरटीओ विभाग अभियान चलाकर स्वास्थ्य विभाग की अनफिट व बिना प्रदूषण की चल रही एंबुलेंस का चालान कर सीज करने की कार्रवाई में जुटा हुआ है. अब तक 20 एंबुलेंस का चालान और चार एंबुलेंस सीज भी किया जा चुका है.
सभी सरकारी गाड़ियों का फिटनेस जरूरी
आरटीओ बबीता वर्मा ने बताया है कि शासन की गाइड लाइन के अनुसार सभी सरकारी विभागों की सरकारी गाड़ियों का फिटनेस होना है, नहीं तो गाड़ियों का चालान किया जाएगा. हमारे विभाग और जिला अधिकारी के कार्यालय से सभी सरकारी कार्यालयों में एक पत्र भेजा गया है कि अनफिट वाहनों का फिटनेस करवाने के साथ गाड़ियों का प्रदूषण बनवा लें.
स्वास्थ्य विभाग में ज्यादातर गाडियां एंबुलेंस
उन्होंने कहा कि कि स्वास्थ्य विभाग में वाहनों के तौर पर 79 प्रतिशत तो एंबुलेंस दर्ज है और उनकी अपनी भी सरकारी गाड़ियां हैं, जिससे अधिकारी वर्ग चलते हैं. ऐसी गाड़ियां जो अनफिट हैं, उसमें आरटीओ विभाग की ओर से समय-समय पर जांच व कार्रवाई की जाती है.
बबीता ने बताया कि अब तक 4 से 5 गाड़ियों को सीज करने के साथ लगभग 20 गाड़ियों का चालान किया गया है. वहीं हमने सीएमओ को लेटर जारी किया था कि ऐसी गाड़ियां जो अनफिट है और प्रदूषण नहीं बना हुआ है वह कार्यालय में आकर संबंधित डॉक्यूमेंट और गाड़ियों की जांच करवा लें. जिसके बाद कुछ एंबुलेंस वाहनों का फिटनेस कराया गया है. लेकिन अभी भी ऐसे कई एंबुलेंस वाहन हैं जो इस प्रक्रिया से दूर हैं. जिसके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती रही है.
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