गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में महिलाएं महिला सशक्तिकरण के तहत समूह बनाकर सशक्त और स्वावलंबी बनने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भी बन रही हैं. महिलाएं समूह बनाकर अपने उत्पाद को बनाने के बाद उसको मार्केट में बेचने के बाद पैसे कमा रही हैं. इन गरीब महिलाओं के मन में कुछ बनने, कुछ करने की ललक तब आई जब लॉकडाउन के दौरान इनके पति का काम ठप हो गया.


शासन की तरफ से मिलेगी मदद
आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो महिलाओं ने काम करने का विचार बनाया. महिलाओं ने महिला समूह के तहत समूह बनाया उसके बाद कोई समूह अगरबत्ती तो कोई समूह नमकीन या दालमोट बनाने के साथ धन उपार्जन में जुट गया. कल्याणी स्वयं सहायता समूह के तहत महिलाओं ने समूह बनाया है. मुख्य विकास अधिकारी ने भी महिलाओं के काम की सराहना की है. उनका कहना है कि शासन की तरफ से जो भी मदद होगी, इस समूह को दी जाएगी.


आगे आईं महिलाएं
गोंडा के झंझरी ब्लॉक के चंदवतपुर गांव की रहने वाली महिलाओं ने समूह बनाया है. गांव के ज्यादातर लोग पंडित-पुरोहित का काम कर अपनी आजीविका चलाते हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब मंदिरों के कपाट बंद हो गए तो ऐसे में लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हौ गया. इसके बाद महिलाओं में कुछ करने की ललक पैदा हुई. घर चलाने के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई और उनकी देखभाल करने के लिए गांव की महिलाओं ने 12-12 लोगों के दो समूह बनाए. एक समूह का नाम कल्याणी समूह और दूसरे समूह का नाम मां वैष्णो सहायता समूह रखा.


शहर में नए बाजार की तलाश
मां वैष्णो स्वयं सहायता समूह की महिला अध्यक्ष पूनम देवी का कहना है कि नमकीन बनाने के लिए महिलाओं के सहयोग से कार्य को किया जा रहा है. 5000 रुपये में किराए पर मकान लिया गया है. खुद ही नमकीन बना रहे हैं, धीरे-धीरे हम लोगों के पास पैसा आ रहा है. मेहनत करेंगे तो और पैसा आएगा. एक क्विंटल नमकीन बनाने में 10,000 हजार का खर्च आता है और वो 3 से 4 दिनों में बिक जाती है. जिसमें 2000 हजार का ही फायदा हो पाता है. उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में ज्यादा फायदा होगा. अब नमकीन को शहरों में बेचने ने की तैयारी हैं. नमकीन की पैकेजिंग और ब्रांडिंग भी प्रयास कर रहे हैं.


अभी शुरू हुआ है कार्य
कल्याणी सहायता समूह की अध्यक्ष दीपा तिवारी का कहना है कि कल्याणी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का काम अभी पिछले महीने से ही शुरू हुआ है. इस काम में इनकी 15,000 हजार की बिक्री हुई है. अब ये भी अगरबत्ती को शहर में बेचने तैयारी कर रही हैं. मिशन शक्ति के रूप में महिलाएं अगरबत्ती बनाने का काम कर रही हैं. एक ही गांव की 12-12 महिलाओं ने दो समूह बनाए हैं. एक समूह के तहत नमकीन और दालमोट बनाई जा रही है तो दूसरे समूह के तहत अगरबत्ती बनाने का काम हो रहा है.


अधिकारी ने की सराहना
वहीं, मुख्य विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी का कहना है कि सरकार ने ऐसी महिलाओं के लिए स्टार्टअप प्रोग्राम के तहत सहायता राशि की व्यवस्था करवाई है और आगे कई माध्यमों से इनकी मदद की जाएगी. बैंक के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मदद पहुंचाई जा रही है. समूह की महिलाओं की तरफ से किया जा रहा कार्य बेहद सराहनीय है.


ये भी पढ़ें:



जब एम्बुलेंस है बीमार, तो कैसे होगा मरीजों का इलाज, पढ़ें खास खबर


UP: कोरोना की दूसरी लहर रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कसी कमर, बनाया जा रहा है विशेष प्लान