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जर्जर यूपी: खतरे की घंटी बजा रहे 207 परिषदीय स्‍कूलों के भवन, बच्‍चों की जान को खतरा

गोरखपुर का बेसिक शिक्षा विभाग 207 जर्जर भवन में बच्‍चों को शिक्षा का पाठ पढ़ा रहा है. ये भवन इतने जर्जर हैं कि कभी भी गिर सकते हैं.

गोरखपुर: गाजियाबाद के मुरादनगर के श्‍मशान घाट हादसे के बाद शासन ने प्रदेश के सभी जिलों में जर्जर भवनों को चिह्नित का उसके ध्‍वस्‍तीकरण के आदेश दिए हैं. इसके बाद से ही गोरखपुर जिला प्रशासन भी ऐसे भवनों को चिह्नित कर उसे ध्‍वस्‍त कर नए भवन बनाने की तैयारी कर रहा है. गोरखपुर के बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित 207 परिषदीय स्‍कूलों के भवन भी खतरे की घंटी बजा रहे हैं. ये भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. जिन्‍हें कई बार विद्यालयों की ओर से पत्र लिखने के बाद भी उसे न तो ध्‍वस्‍त किया गया है और न ही नया भवन बनाया गया है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्‍चों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है.

गोरखपुर में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित 207 परिषदीय स्‍कूलों के भवन खतरे की घंटी बजा रहे हैं. ये भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. इसके बावजूद वैश्विक महामारी के पूर्व तक इनमें से 145 में कक्षाओं का संचलन होता रहा है. कई ऐसे भी विद्यालय हैं, जहां छोटे-मोटे हादसे होने से बच्‍चे और शिक्षक भी घायल हो चुके हैं. विद्यालय को पूर्व माध्‍यमिक करने के बाद प्राथमिक विद्यालयों के बच्‍चों की संख्‍या बढ़ने की वजह से बच्‍चों को बैठने की बड़ी समस्‍या खड़ी हो रही है. वहीं दूसरे जगह पर विद्यालय शिफ्ट करने से उन बच्‍चों के स्‍कूल तक नहीं पहुंच पाने का संकट भी खड़ा हो गया है.

भवन इतने जर्जर हैं कि कभी भी गिर सकते हैं

गोरखपुर के बेसिक शिक्षा विभाग 207 जर्जर भवन में बच्‍चों को शिक्षा का पाठ पढ़ा रहा है. ये भवन इतने जर्जर हैं कि कभी भी गिर सकते हैं. ऐसे में इन भवनों में बढ़ने वाले मासूमों की जान कितनी सुरक्षित है, इसका अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है. बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र लिखने के बावजूद कई ऐसे प्राथमिक और पूर्व माध्‍यमिक विद्यालय हैं, जिनके भवन जर्जर हालत में हैं. लेकिन, अभी तक कोई भी पुरसाहाल नहीं लिया गया है. एबीपी की टीम ने गोरखपुर के अलहदादपुर के पूर्व माध्‍यमिक विद्यालय के जर्जर हो चुके भवन की पड़ताल की. यहां के भूतल पर कक्षा 6, 7 और 8 के छात्र पढ़ते हैं. वहीं प्रथम तल पर कक्षा 1 से 5 तक के बच्‍चों की कक्षाएं संचालित होती रही है. हालांकि कई बार पत्र लिखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. बल्कि कक्षा 1 से 5 तक के बच्‍चों को भी भूतल के कमरों में शिफ्ट कर दिया गया है.

जर्जर यूपी: खतरे की घंटी बजा रहे 207 परिषदीय स्‍कूलों के भवन, बच्‍चों की जान को खतरा

पूर्व माध्‍यमिक विद्यालय अलहदादपुर की प्रधानाचार्य सरिता दूबे और सहायक अध्‍यापिका सुषमा ओझा ने बताया कि ये भवन काफी जर्जर हो चुका है. कई बार हादसे में बच्‍चे और शिक्षिकाएं भी घायल हो चुके हैं. उन्‍होंने बताया कि ऐसे में प्रथम तल पर चलने वाली कक्षा एक से 5 तक की कक्षाओं को नीचे शिफ्ट कर दिया गया है. पहले जो प्रधानाचार्य रही हैं, उन्‍होंने भी कई बार विभाग को पत्र लिखा. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई. अभी भी डर बना रहता है. उन्‍होंने बताया कि ये जर्जर भवन की श्रेणी में आता है. उन्‍होंने बताया कि अधिकारियों से वार्ता हुई है. यहां पर कुल 162 बच्‍चे यहां पर पढ़ते हैं. अधिकारियों से आश्‍वासन मिला है कि इस भवन को ध्‍वस्‍त कर नया भवन बनाया जाएगा. उन्‍होंने बताया कि 3 कमरों में कक्षा 1 से 8 तक के विद्यालयों को संचा‍लित करना काफी मुश्किल है.

छत से भी पानी टपकता रहता है- टीचर्स

गोरखपुर के प्राथमिक विद्यालय बिलन्‍दपुर की प्रधानाध्‍यापिका ऊषा प्रियदर्शनी और सहायक अध्‍यापिका सुमन पाण्‍डेय बताती हैं कि ग्राम समाज का भवन है. बरसात में यहां पर पानी लग जाता है. कुर्सी पर पैर उठाकर बैठना पड़ता है. छत से भी पानी टपकता रहता है. उन्‍होंने बताया कि यहां पर शौचालय भी नहीं है. बच्‍चों को भी दिक्‍कत होती है. उन्‍होंने बताया कि अंदर एक कमरा है, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. बच्‍चों बाहर बरामदे के हिस्‍से में पढ़ाया जाता है. उन्‍होंने बताया कि नौकरी की मजबूरी है. यहां से विद्यालय शिफ्ट हो जाएगा, तो बच्‍चों का नुकसान होगा. उन्‍होंने बताया कि चंदा एकत्र कर मरम्‍मत का काम कराया. अब 86 बच्‍चे हो गए हैं. उम्‍मीद है कि जल्‍द ही भवन बन जाएगा.

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हजारीपुर स्थित पूर्व माध्‍यमिक विद्यालय में संचालित होने वाले कक्षा 1 से 5 तक के बच्‍चों के बैठने के लिए बने सन 1951 के बने भवन की हालत पूरी तरह से खस्‍ताहाल है. इस भवन में बने कमरों में जगह-जगह से प्‍लास्‍टर और छत तक गिर रही है. वहीं दीवारों से भी प्‍लास्‍टर टूट कर गिर रहा है. एहतियात के तौर पर वहां पर बच्‍चों की कक्षाओं का संचलन बंद कर दिया गया है. लेकिन, अभी तक भवन को ध्‍वस्‍त नहीं किया गया है. यही वजह है कि जर्जर भवन की जगह नया भवन भी अभी तक नहीं बन पाया है. पूर्व माध्‍यमिक विद्यालय हजारीपुर प्राचीन की प्रधानाध्‍यापिका आभा श्रीवास्‍तव और आलिया बानो ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से बच्‍चे नहीं आ रहे हैं. जर्जर भवन की सूचना भेजी जा चुकी है. भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. यहां के पूर्व प्रधानाचार्य ने भी पत्र लिखा था. ध्‍वस्‍त कर नया भवन बनाने के लिए पत्र भेजा था. इस कमरे में बच्‍चों को नहीं बैठाया जाता है. दो कमरों में कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाएं संचालित हो रही हैं. यहां पर 197 बच्‍चे यहां पर पढ़ रहे हैं. आदेश आने के बाद भी अभी तक नहीं बन पाया है.

गोरखपुर में 207 भवन जर्जर स्थिति में

गोरखपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेन्‍द्र नारायण सिंह ने बताया कि गोरखपुर में 207 ऐसे भवन हैं, जो बहुत पहले के बने हुए हैं. जो जर्जर स्थिति में हैं. इसके लिए शासन के निर्देश पर त्रिसदस्‍यीय समिति शासन के निर्देश पर बनाया गया है. उन्‍होंने बताया कि पीडब्‍लयूडी, लघु सिंचाई विभाग और आरईएस इसका अनुमान लगा रहे हैं कि कितने के ये भवन नीलाम हो सकते हैं. इस पर कार्रवाई एक सप्‍ताह के अंदर शुरू हो जाएगी. ऐसे भवनों में क्‍लासेज संचालित नहीं हो रही हैं. जहां भवन गिरने की वजह से क्‍लासेज नहीं चल सकती हैं, उन्‍हें दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया गया है. पूरी सावधानी बरती जा रही है. टीम द्वारा बताने के बाद इस पर ध्‍वस्‍तीकरण और नए भवन बनाने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी.

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