Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर में मियां साहब इमामबाड़ा इस्टेट में रमजान के पहले रोजा की इफ्तारी का आयोजन एक रोजेदार 45 साल से करता चला आ रहा है. गोरखपुर के इस परिवार की रोजा इफ्तारी की खास बात ये है कि यहां गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिलती है. मुसलमान भाईयों के साथ हिन्दू भी इस इफ्तारी में शरीक होते हैं. इसके साथ ही हर वर्ग और बिरादरी के लोग बराबरी के साथ इस इफ्तारी में भाग लेते हैं.
मुस्लिम समाज का पाक महीना माहे रमजान चांद दिखने के बाद से दूसरे दिन पूरे एक माह का रोजा शुरू हो जाता है. मुस्लिम समाज पूरे एक महीने पूरी शिद्दत के साथ इबादत करते हुए भूखे-प्यासे एक माह तक 13 से 14 घंटे का रोजा रखा जाता है. यहां मुसलमान के साथ हिंदू भाई भी रोजा इफ्तारी में हर साल शामिल होते हैं. जाति-मजहब की सीमा यहां पर टूट जाती है. इस रोजा इफ्तारी में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है. सभी बराबरी के साथ बैठकर रोजा इफ्तारी करते हैं.
पहले दिन होता है इफ्तार का आयोजन
वार्ड नंबर 62 माया बाजार के पार्षद समद गुफरान के पिता मरहूम गुफरान अहमद सिद्दीकी के जीवनकाल से ही रमजान के पहले दिन सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन करते चले आए. उनके निधन को 10 साल हो गए. उनके दोनों लड़के पार्षद समद गुफरान साजू और सेंट एंड्रयूज पीजी कालेज में केमिस्ट्री विभाग में कार्यरत कमर गुफरान अपने वालिद (पिता) की याद को ताजा रखते हुए हर साल रमजान के महीने में पहले दिन सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन करते हैं.
सभी धर्मों के लोग होते है शामिल
मोहल्ले के आसपास के लोगों और अपने मिलने-जुलने वाले सभी लोगों को रोजा इफ्तार की दावत दी जाती है. हालांकि पहले दिन लोग अपने घर पर ही रोजा खोलना बेहतर समझते हैं, लेकिन पार्षद समद गुफरान के परिवार की मोहब्बत में लोग पहले दिन अपने घरों से निकलकर मियां बाजार स्थित इमामबाड़ा इस्टेट में सामूहिक रोजा इफ्तार में शामिल होते हैं. सभी लोगों ने एक साथ रोजा खोलकर अल्लाह से दुआ की कि देश में अमन शांति मोहब्बत कायम रहे. आपसी भाईचारा बना रहे और इस पाक महीने में अल्लाह सबको बरकत दें.
45 साल पहले शुरु हुआ था इसका आयोजन
पार्षद समद गुफरान की माता सुल्तान जहां (सेवानिवृत प्रवक्ता इमामबाड़ा गर्ल्स कॉलेज) की सरपरस्ती में उनके दोनों लड़के सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहते हैं और लोगों की मदद भी करते हैं. रोजा का आयोजन करने वाले समद गुफरान साजू ने कहा कि अल्लाह की इबादत के पहले दिन उनके वालिद ने 45 साल पहले रोजा इफ्तारी का आयोजन इमामबाड़ा इस्टेट में शुरू किया. इनके मरहूम होने के बाद भी उनकी दिली इच्छा को पूरा करते हुए ये सिलसिला बदस्तूर जारी है.