गोरखपुर: आरोग्य मंदिर में धूप, हवा और मिट्टी से होता है बीमारी का इलाज, देश-विदेश से आते हैं लोग
Naturopathy Day: गोरखपुर के मेडिकल रोड स्थित आरोग्य मंदिर के निदेशक डा. विमल मोदी ने बताया कि 1940 में छह एकड़ जमीन में इसे शुरू किया था. पहले वे इसे छोटे स्तर पर किराए पर कहीं और चलाते थे.
Naturopathy Day: प्राकृतिक चिकित्सा दिवस 18 नवंबर को मनाया जाता है. गोरखपुर के आरोग्य मंदिर में एक सप्ताह तक सर्वांग मिट्टी लेपन का आयोजन किया जाता है. सर्वांग मिट्टी लेपन से त्वचा संबंधी रोगों के साथ अन्य रोगों को भी दूर किया जाता है. प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर एक सप्ताह पूर्व से ही चिकनी मिट्टी के शरीर पर लेपन के साथ नेचुरोपैथी को अधिक से अधिक अपनाने पर बल दिया जाता है. त्वचा, उदर, अवसाद समेत अनेक बीमारियों के इलाज के लिए हर साल यहां आने वाले लोगों की संख्या भी हजारों में हैं. यहां लोग 15 दिन से तीन माह तक रहने के लिए आते हैं और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से पूरी तरह से स्वस्थ होकर वापस जाते हैं.
गोरखपुर के आरोग्य मंदिर में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के एक सप्ताह पूर्व से आरोग्य मंदिर में सर्वांग मिट्टी लेपन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. ये निःशुल्क आयोजन पिछले 7 वर्षों से किया जा रहा है. आमतौर पर हर दिन इसका लाभ ले सकते हैं. सर्वांग मिट्टी लेपन में गोरखपुर शहर और बाहर के जिलों से आने वाले लोग प्रतिभाग करते हैं. इस अवसर पर आरोग्य मंदिर के निदेशक डा. विमल मोदी ने सर्वांग मिट्टी लेपन के लाभ और त्वचा से संबंधित रोगों के साथ अनिद्रा और मानसिक अवसाद जैसी बीमारियों से छुटकारे के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि मिट्टी लेपन वे सात वर्षों से आयोजित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि डेढ़ से दो फीट नीचे जमीन की मिट्टी को निकालने के बाद रातभर उसे भिगोया जाता है. इससे तमाम छोटी-मोटी बीमारियों का प्राकृतिक रूप से उपचार होता है.
1940 में हुई थी शुरूआत
गोरखपुर के मेडिकल रोड स्थित आरोग्य मंदिर के निदेशक डा. विमल मोदी ने बताया कि 1940 में छह एकड़ जमीन में इसे शुरू किया था. पहले वे इसे छोटे स्तर पर किराए पर कहीं और चलाते थे. धीरे-धीरे इसका विस्तार हुआ. यहां पर देश और विदेश से भी लोग प्राकृतिक चिकित्सा के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि आज विकास और भागदौड़ भरे जीवन में लोग अपने शरीर पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. यहां पर रहने वाले लोगों को प्राकृतिक रूप से खान-पान को सुदृढ़ कर किस तरह से स्वस्थ रहना है इसके बारे में जानकारी दी जाती है. उनके रहने से लेकर खाने तक का इंतजाम नियम के अनुरूप उनके यहां होता है. यहां पर 10 से 15 दिन रहकर मनुष्य जीवन को जीने के तरीके को जान जाते हैं. यहां शुद्ध वातावरण भी मिलता है. उन्होंने बताया कि यहां दिनचर्या को नियमित करने के साथ शुगर, गठिया और अन्य छोटी-मोटी बीमारियों को कम किया जा सकता है. लेकिन, हार्ट अटैक और गंभीर रोगों के लिए तो एलोपैथ का ही सहारा लेना होगा.
प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर गोरखपुर के राप्ती नगर स्थित आरोग्य मंदिर में सर्वांग मिट्टी लेप का कार्यक्रम के अवसर पर आरोग्य मन्दिर के निदेशक डॉ. विमल मोदी ने कहा कि आरोग्य मंदिर की स्थापना 1940 में महात्मा गांधी की प्रेरणा से प्रेरित होकर उनके पिता विट्ठल दास मोदी ने किया था. आरोग्य मंदिर में प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा सभी तरह के रोगों का उपचार होता है. जिन लोगों का एलोपैथ में उपचार नहीं हो पाता है, वह प्राकृतिक चिकित्सा में आते हैं और कई तरह की बीमारियों को इसमें ठीक किया जाता है.
इन बीमारियों से मिलेगी निजात
डॉ. राहुल मोदी ने बताया कि मिट्टी दुःख-दर्द, मानसिक परेशानी, शरीर के वेस्ट, अनिद्रा और अन्य रोगों को दूर करता है. उनके दादा विट्ठल दास मोदी ने प्राकृतिक चिकित्सा के लिए आरोग्य मंदिर की स्थापना 1940 में की थी. यहां प्राकृतिक चिकित्सा के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड नेचुरोपैथी डे मनाने के लिए लोगों से आह्वान किया था. इसके बाद से ही बीते 10 वर्षों से यहां पर वर्ल्ड नेचुरोपैथी डे यानी विश्व प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर नि:शुल्क सर्वांग मिट्टी लेपन का आयोजन एक सप्ताह तक किया जाता है. देश के अलग-अलग जगह और विदेशों से भी लोग यहां पर प्राकृतिक चिकित्सा के लिए आते हैं.
आरोग्य मंदिर में पहुंचे रिटायर्ड बैंक मैनेजर विजय बहादुर मल्ल और अरविंद गुप्ता और अन्य लोगों ने बताया कि उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सर्वांग मिट्टी लेप किया है. प्राकृतिक चिकित्सा सभी चिकित्सा पद्धतियों की जननी है और जिस बीमारी का इलाज न हो वह प्राकृतिक चिकित्सा में आए और इसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है. इससे उनकी त्वचा संबंधी बीमारी भी ठीक हो गई. उन्होंने बताया कि सर्वांग मिट्टी लेपन से शरीर का शोधन होता और वे लोगों से अपील करते हैं कि वे वर्ष में एक बार यहां पर जरूर प्राकृतिक चिकित्सा के लिए 10 दिन के लिए जरूर आए. क्योंकि शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है. ऐसे में आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी के करीब रहना शरीर के लिए काफी लाभ पहुंचाने वाला है.