UP Assembly Election 2022: यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. इसमें कई नए चेहरे भी सामने आए हैं. इस बार कई बार से जीत का सेहरा बीजेपी के सिर पर बांधने वाले विधायकों के टिकट भी कट गए हैं. इसकी वजह भी परिवार की राजनीतिक कार्यों में दखलअंदाजी, क्षेत्र के लोगों की नाराजगी और विधायकों की निष्क्रियता के फीडबैक को भी माना जा रहा है. गोरखपुर-बस्ती मंडल में जहां अधिकतर सिटिंग एमएलए ने चुप्पी साध रखी है. तो वहीं कुछ के बगावती सुर सामने आ रहे हैं.
जनता की नाराजगी बड़ी वजह
बीजेपी ने गोरखपुर-बस्ती मंडल में 41 सीटों में 27 घोषित सीटों पर नौ विधायकों का टिकट काट दिया है. एक विधायक खुद पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हो चुके हैं. इनमें से अधिकतर विधायक ऐसे हैं, जिन्हें लेकर क्षेत्र की जनता की नाराजगी बड़ी वजह है. उम्मीदवारों की घोषणा के पूर्व कराए गए गोपनीय सर्वे में मिले फीडबैक के आधार पर ये निर्णय लिया गया है. हालांकि इनमें ऐसे विधायक भी शामिल हैं, जिन्हें लगातार जीत के बाद भी टिकट से हाथ धोना पड़ा है.
डा. राधामोहन दास अग्रवाल का टिकट कटा
गोरखपुर शहर विधानसभा सीट पर लगातार चार बार से विधायक डा. राधामोहन दास अग्रवाल का टिकट कट गया है. हालांकि इस सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने की घोषणा की वजह से उनका टिकट कटा है. इसके बाद से डा. राधामोहन दास अग्रवाल ने चुप्पी साध ली है.
संत प्रसाद का कटा टिकट
गोरखपुर के खजनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक संत प्रसाद का टिकट कटने के बाद से वे नाराज हैं. उनके समर्थकों का उनके घर पर तांता लगा हुआ है. विधायक संत प्रसाद लगातार दो बार से खजनी से चुनाव जीत रहे हैं. इसके पहले वे साल 2007 में धुरियापार विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. शीर्ष नेतृत्व ने इस बार उनका टिकट काटकर संतकबीरनगर के धनघटा से विधायक और यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे श्रीराम चौहान को खजनी से टिकट दिया है. इससे संत प्रसाद के समर्थकों में काफी रोष है.
शीतल पांडेय का भी कटा टिकट
गोरखपुर के सहजनवां से विधायक शीतल पाण्डेय का भी टिकट कट गया है. उनके विकास कार्यों में निष्क्रियता के साथ जनता के बीच नाराजगी उनके टिकट कटने की बड़ी वजह माना जा रहा है. उनकी कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती दूरी और राजनीतिक कार्यों में परिवार के सदस्यों की बढ़ती दखलअंदाजी टिकट कटने की बड़ी वजह मानी जा रही है. गोरखपुर में आई बाढ़ के दौरान एक गांव में उनको जनता का विरोध झेलना पड़ा था.
देवरिया सदर से शलभ मणि त्रिपाठी को टिकट
देवरिया सदर सीट से भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने शलभ मणि त्रिपाठी को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है. साल 2017 में इस सीट पर बीजेपी के जनमेजय सिंह विधायक रहे हैं. उनके निधन के बाद साल 2020 में हुए उपचुनाव में डा. सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी ने जीत दर्ज की थी. उपचुनाव के समय से ही इस सीट पर खींचतान मची हुई थी.
रामपुर कारखाना से कमलेश शुक्ल का टिकट कटा
देवरिया जिले के रामपुर कारखाना सीट से बीजेपी विधायक कमलेश शुक्ल का टिकट कट गया है. उनके खराब स्वास्थ्य की वजह से पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है. चुनाव जीतने के कुछ माह बाद ही वे फाजिल का शिकार हो गए. इसके बाद डेढ़ साल तक उनका इलाज चलता रहा. इनकी जगह पर उनके बेटे संजीव शुक्ला टिकट की मांग कर रहे थे. लेकिन उनकी जगह पर बीजेपी ने रामपुर कारखाना विधानसभा सीट से सुरेन्द्र चौरसिया को टिकट दे दिया है.
सुरेश तिवारी का कटा टिकट
देवरिया जिले के बरहज में दीपक मिश्रा को बीजेपी ने टिकट दिया है. इनके पिता दिवंगत दुर्गा प्रसाद मिश्रा मंत्री रहे हैं. साल 2017 में बसपा से बीजेपी में आए सुरेश तिवारी को पार्टी ने टिकट दिया था. उन्होंने जीत हासिल की थी. सीएम के खिलाफ एक ऑडियो वायरल होने और कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाने का उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा.
रजनीकांत मणि त्रिपाठी का कटा टिकट
कुशीनगर से बीजेपी विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी को भी टिकट से हाथ धोना पड़ा है. उन्हें बेटे की करतूतों की वजह से पार्टी ने टिकट नहीं दिया. उनकी छवि पर भी इसका बराबर असर पड़ता रहा है. उनका बेटा खुद को विधायक के प्रतिनिधि के रूप में पेश कर विवाद खड़ा करता रहा है. इसके साथ ही कार्यकर्ताओं में भी इसे लेकर नाराजगी रही है.
पवन केडिया का भी कटा टिकट
कुशीनगर की हाटा सीट से बीजेपी विधायक पवन केडिया का भी टिकट भी बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने काट दिया है. उनके जगह पर पार्टी ने मोहन वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है. पार्टी कार्यकर्ताओं में पवन केडिया को लेकर खासी नाराजगी रही है. विकास कार्यों में मनमानी के आरोपों के बीच इनके परिवार पर कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी के भी आरोप लगते रहे हैं.
गंगा सिंह कुशवाहा का टिकट कटा
कुशीनगर के फाजिलनगर विधानसभा से विधायक गंगा सिंह कुशवाहा का टिकट कट गया है. उनकी जगह पर उनके बेटे सुरेन्द्र कुशवाहा को पार्टी ने टिकट दिया है. 85 साल के होने की वजह से उनके बेटे को टिकट देकर पार्टी ने उनका सम्मान बढ़ाया है. उनके ऊपर किसी भी तरह के आरोप नहीं लगे हैं.
संतकबीरनगर की धनघटा सीट से विधायक और प्रदेश सरकार में उद्यान राज्यमंत्री श्रीराम चौहान की जगह पार्टी ने नए चेहरे को टिकट देकर मैदान में उतारा है. पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने गणेश चौहान को टिकट दिया है. उनकी संघ में अच्छी पैठ हैं. श्रीराम चौहान को गोरखपुर की खजनी विधानसभा से टिकट दिया है.
संतकबीरनगर की खलीलाबाद विधानसभा सीट से शीर्ष नेतृत्व ने अंकुर राज तिवारी को टिकट दिया है. उन्होंने तीन महीने पहले ही बीजेपी का दामन थामा है. बीजेपी ने इस सीट पर सिटिंग एमएलए जय चौबे के सपा ज्वाइन करने के बाद इस सीट पर नए चेहरे को टिकट देकर दांव खेला है.
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