गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर की सदर सीट से बीजेपी विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने जिले में बाजार खोले जाने का विरोध किया है. पेशे से डॉक्टर और चार बार सदर सीट से बीजेपी के विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने अपने फेसबुक पेज पर शहर में दुकानें खोले जाने का विरोध दर्ज कराया है और कहा है कि जब शहर में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला नहीं था, तब लॉकडाउन का पूरा तरह से पालन कराया जा रहा था, लेकिन अब जिले में 60 कोरोना संक्रमित मामले हैं और पांच मरीजों की मौत हो चुकी है, जब बाजार खोले जाने का क्या औचित्य है।
फेसबुक पोस्ट पर 9 बिंदुओं में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा है कि बाजार खोले जाने का विरोध इसलिए दर्ज कराया है, ताकि नगर विधायक के तौर पर उन्हें जिम्मेदार न माना जाए.
नगर विधायक डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल ने लिखा है
हमने माननीय मुख्यमंत्री जी से खुलकर विरोध किया है, ताकि नगर विधायक के रूप में मैं कतई जिम्मेदार न बनूं. हमारा पक्ष बहुत ही स्पष्ट है, पूरी तरह से वैज्ञानिक है और रहेगा.
1) जब गोरखपुर में कोई मरीज नहीं था, तो 100% लॉकडाउन था.
2) आज जब 60 मरीज हो गए और 5 मौतें हो गई, तो सारे के सारे बाजार खोल दिए गए. ये कौन सा विज्ञान है, ये हमारी समझ के बाहर है.
3)मुख्यमंत्री जी का बयान है कि मुंबई के 75%, दिल्ली के 50% और अन्य जगहों के 26% मजदूर कोरोना से संक्रमित हैं.
4) गोरखपुर पूरे भारत में सबसे अधिक मजदूरों को लाने का सेंटर बना. अबतक 194 श्रमिक ट्रेनें जिले में आ चुकी हैं, जिनमें कम से कम 2 लाख 25 हजार लोग आ चुके हैं. मुख्यमंत्री के बयान के आधार पर जोड़ लीजिए कितने कोरोना संभावित मरीज आए होंगे.
5) आज गोरखपुर शहर में बेतियाहाता, रफी अहमद किदवई मोहद्दीपुर, मांटेसरी गली चारफाटक, प्रदूषण चौराहा झारखंडी, विशुनपुरवा आवास विकास कालोनी, झरनाटोला, रसूलपुर तथा तिवारीपुर आदि मोहल्ले बासं-बल्ली लगाकर सील कर दिए गए हैं. हम क्या चाहते हैं कि धीरे-धीरे पूरा शहर सील हो जाए?
6) हमारा कहना सिर्फ इतना है कि जितने भी संक्रमित मरीजों को बुलाना हो बुला लीजिए, लेकिन पूरे शहर को संक्रमित मत करिये।
7) इन्हें नियमानुसार होम-क्वारंटाइ कर दीजिए और फिर कुछ दिन रुककर जब जय हो जाए कि इन श्रमिकों से बीमारी अब नहीं फैलेगी, तो सिर्फ दुकान ही कयों स्कूल, सिनेमा हॉल, मॉल, अस्पताल सबकुछ खोल दीजिए.
8) ये हमारे समझ के बाहर है कि गैर-कोरोना के अन्य मरीजों का इलाज नहीं होगा, लेकिन कपड़े, होजरी और गहने बिकने जरूरी है.
9) हम दुकानों के खुलने के खिलाफ नहीं है, हमें चिंता दुकानदारों और उनके सेल्समैन्स की है. कोरोना के 80% मरीजों में बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं, वे कैसे समझेंगे कि किसे कोरोना नहीं है और अगर इस चक्कर में उन्हें या सेल्समैन्स को कोरोना हो गया, तो जिम्मेदारी किसकी होगी?
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