UP News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के कैंपियरगंज से विधायक फतेह बहादुर सिंह के बाद गोरखपुर के ही चोरी-चौरा से विधायक सरवन निषाद ने अपनी जान का खतरा होने की बात कही है. भारतीय जनता पार्टी के विधायक सरवन निषाद ने कहा कि उनको पिछले समय में दो बार जान से मारने की धमकी तक मिल चुकी है पर पुलिस उनकी सुरक्षा वापस नहीं कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के समय पर पुलिस ने आचार संहिता के नाम पर उनसे उनकी सुरक्षा ले ली थी. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद पुलिस सुरक्षा वापस नहीं दे रही है.


सरवन निषाद ने एबीपी लाइव से बातचीत में कहा बताया कि एक साल पहले उन्हें जेल से जान से मारने की धमकी दी गई थी, जिसके बाद उन्हें सुरक्षा मिली थी. लेकिन जिला प्रशासन ने मनमाने तरीके से हटा लिया है. उन्होंने कहा कि  राजनीति में हम लोग अपने समाज के हक और अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं. तमाम विरोधी दल और विरोधियों की आंखों में खटकते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले समय में निषाद समाज के नेताओं की निर्मम तरीके से हत्या हुई हैं.


विधायक ने कहा कि चाहे वो फूलन देवी हो या जमुना निषाद सहित दर्जनों निषाद समाज के नेता हो. पिछले दिनों बिहार में निषाद समाज के नेता मुकेश सहनी के पिता की भी निर्मम हत्या हुई है. इसके बावजूद भी शासन प्रशासन मेरी सुरक्षा हटाकर मनमानी रवैया अपना रहा है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा हटाकर जिला प्रशासन उनके खिलाफ साजिश कर रहा है. 


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मुख्यमंत्री से मिलकर करेंगे शिकायत
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और पूरे देश में निषाद समाज के जोड़ने और उनके हक और अधिकारों की लड़ाई में लगातार वो और उनका संगठन लगा रहता है. इसके साथ ही अन्य गतिविधियों में पूरे प्रदेश और देश में भ्रमण करते हैं, जहां सुरक्षा जरूरी होती है. लेकिन सुरक्षा हटाकर गोरखपुर जिला प्रशासन मनमानी कर रहा है. विधायक ने कहा कि वो जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर पूरे मामले को अवगत करयाएंगे और दोषियों पर कार्रवाई की मांग करेंगे.


सरवन निषाद ने गोरखपुर पुलिस के बर्ताव कर एक और आरोप लगाते हुए कहा कि गोरखपुर पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ता से जो बर्ताव किया वो ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ा मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य दीपक कुमार जायसवाल के साथ चौरी-चौरा पुलिस का व्यवहार बेहद निंदनीय है. राजनीति में मुकदमे दर्ज होते हैं इसका यह मतलब नहीं है कि वह अपराधी है और चौरी-चौरा पुलिस ने जो दुर्व्यवहार किया है. वह सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि कार्यालय में घुसकर एक सम्मानित व्यक्ति को अपराधी कहना यह कहीं से भी सही नहीं है. इससे समाज में गलत संदेश जाता है और कार्यकर्ताओं में निराशा होती है.