गोरखपुर: कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन ने बहुत से लोगों के सपनों को चकनाचूर कर दिया. लेकिन इनमें बहुत से ऐसे भी हैं, जिन्होंने न सिर्फ सपनों के महल खड़े किए बल्कि उसे पूरा कर अलग मुकाम भी हासिल किया. कक्षा 8 में पढ़ने वाले 14 साल के छात्र अमर के बड़े सपनों ने उसे शहर का सबसे नन्हा उद्यमी बना दिया है. लॉकडाउन में अमर ने पांच दिन बल्ब बनाने की ट्रेनिंग ली और छोटे पैमाने पर व्यापार शुरू किया. अब उन्होंने कंपनी खोलकर चार लोगों को रोजगार से भी जोड़ दिया है.
वैज्ञानिक बनना चाहते हैं अमर
गोरखपुर के सिविल लाइन्स के रहने वाले गीडा में कार्यरत रमेश कुमार प्रजापति के मंझले पुत्र अमर प्रजापति 14 साल के हैं. आरपीएम एकेडमी में 8वीं कक्षा के छात्र अमर का सपना वैज्ञानिक बनने का हैं. अमर बताते हैं कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेक इन इंडिया मुहिम से प्रभावित हैं. वे बाजार में मेड इन इंडिया के हितैषी हैं. चाइना बाजार को खत्म करना चाहते हैं. लॉकडाउन के दौरान एलईडी लाइट बनाने का प्रशिक्षण लेने के लिए अपने पिता रमेश कुमार प्रजापति से इच्छा जाहिर की. उन्होंने इसके लिए हामी भर दी.
पांच दिनों में ही सीख लिया काम
अप्रैल माहीने में अमर ने गीडा में ट्रेनर और उद्यमी विवेक सिंह से पांच तरह की एलईडी लाइट बनाना महज पांच दिनों में ही सीख लिया. वे 7 वॉट, 9 वॉट और छोटी ट्यूब, सीलिंग डेकोरेटिंग लाइट और लालटेन बनाते हैं. इसमें 9 वॉट का बल्ब लाइट जाने के बाद भी तीन घंटे तक प्रकाश दे सकता है. इसके अलावा सीलिंग डेकोरेटिंग लाइट सफेद के अलावा 5 से 7 कलर रंगबिरंगे रंग में भी जलती है. वहीं लालटेन का बगैर लाइट बैकअप 6 घंटे का है.
चार लोगों को दिया रोजगार
अमर उद्यमिता विकास संस्थान से रॉ मैटेरियल मंगाते हैं. इसके बाद उन्होंने घर पर ही लाइट बनानी शुरू की. शुरुआत में वे कम संख्या में बल्ब तैयार करते रहे. अब वे हर रोज 500 से 700 बल्ब तैयार करते हैं. उन्होंने पिता के गुरु के नाम से जीवन प्रकाश इंडस्ट्रीज प्रा.लि. के नाम से कंपनी भी रजिस्टर्ड कराई है. इसके साथ ही उन्होंने अपने यहां चार लोगों को रोजगार भी दिया है.
परिवार का मिला पूरा सहयोग
अमर बताते हैं कि पिता और मां का पूरा सहयोग मिला. शुरु में उन्होंने 2 लाख रुपए कंपनी में लगाए थे और अभी वे 8 लाख रुपए तक इनवेस्ट कर चुके हैं. अब तक वे 5 लाख रुपए का माल सेल आउट करने के साथ ढाई लाख रुपए का लाभ कमा चुके हैं. वे बताते हैं कि ऑनलाइन क्लासेज चलने के कारण 12 बजे तक वे पढ़ाई करने के बाद खाली हो जाते हैं. इसके बाद वे अपने प्रोडक्ट को तैयार करने के साथ कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर मां सुमन प्रजापति की देखरेख में नए कर्मचारियों को भी इसके गुर सिखाते हैं.
क्वालिटी से नहीं किया समझौता
अमर बताते हैं कि बाजार में कई बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट हैं. ऐसे में प्रतिस्पर्धा के दौर में उन्होंने क्वालिटी और ऑफर में कोई समझौता नहीं किया है. इसके साथ ही उनके बल्ब ब्रांडेड कंपनियों के बल्ब की अपेक्षा काफी सस्ते हैं. उन्हें इस काम में कक्षा 10वीं में पढ़ने वाली बहन प्रिया प्रजापति और कक्षा 7 में पढ़ने वाले छोटे भाई लकी प्रजापति का काफी सहयोग मिलता है. अमर कहते हैं कि अन्य बच्चों के माता-पिता को भी बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
माता-पिता को पूरा सहयोग करना चाहिए
अमर की मां सुमन प्रजापति बताती हैं कि उनके मंझले बेटे अमर प्रजापति को इलेक्ट्रिक के प्रोडक्ट बनाने में काफी रुचि रही है. उन्होंने पिता से इस बारे में बात की. उन्होंने सपोर्ट किया और लॉकडाउन के दौरान उन्होंने गीडा जाकर पांच दिन का प्रशिक्षण लिया और अपनी कंपनी रजिस्टर्ड करा ली. आज वे चार लोगों को रोजगार दे चुके हैं. वहीं, उनका काम भी दो लाख रुपए से शुरू होकर 8 लाख रुपए तक पहुंच गया है. वे कहती हैं कि बच्तों की जिस भी क्षेत्र में रुचि हो. उनके माता-पिता को उनका पूरा सहयोग करना चाहिए. जिससे बच्चे आगे बढ़ सकें.
कंपनी को ले जाना चाहते हैं आगे
अमर की कंपनी जीवन प्रकाश के मैनेजर मंजेश कुमार शर्मा और कर्मचारी भावेश कुमार प्रजापति बताते हैं कि लॉकडाउन में अमर ने एलईडी लाइट बनाना सीखा. उनके पिता ने बुलाया और बताया कि उनके बेटे अमर ने एलईडी लाइट बनाने की ट्रेनिंग ली है और वे कंपनी खोलना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में जहां रोजी-रोजगार की परेशानी थी. वहीं, कंपनी में काम करने का मौका मिला और आज सबकी मेहनत से कंपनी का काम अच्छा चल रहा है. रोजगार मिलने से उनका भी परिवार फल-फूल रहा है. वे इस कंपनी को काफी आगे ले जाना चाहते हैं. जिससे उनके प्रोडक्ट शहर से बाहर भी बाजार पा सकें.
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