UP News: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) गुरुवार को गोरखपुरवासियों को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं. ये सौगात उन ग्रामीणों के लिए और भी बड़ी है, जिन्होंने आज से नौ साल पहले इसके लिए 10 दिनों तक भूखे-प्यासे उफनाती घाघरा नदी में जल सत्याग्रह (Jal Satyagrah) किया था. इसके लिए उन्हें पुलिस की लाठियां खाने के साथ जेल भी जाना पड़ा था. मुख्यमंत्री गुरुवार को बेलघाट में घाघरा नदी के ऊपर बहुप्रतीक्षित गोरखपुर-अंबेडकरनगर की सीमा पर बने डेढ़ किलोमीटर लंबे कम्हरिया घाट पुल (Kamhariya Ghat Bridge) की सौगात देने जा रहे हैं. घाघरा नदी पर कम्हरिया घाट पर इस पुल के बनने से गोरखपुर (Gorakhpur) से प्रयागराज (Prayagraj) की दूरी 80 किलोमीटर कम हो जाएगी. इसके साथ ही ये पुल से पांच जिलों गोरखपुर, संत कबीर नगर, आजमगढ़, जौनपुर और अंबेडकरनगर की कनेक्टिविटी को और आसान कर देगा. सामरिक और आध्यात्मिक दृष्टि से कुंभ करने पूर्वी यूपी से प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी ये पुल बड़ी सौगात है.
करीब 194 करोड़ में बना है यह पुल
गोरखपुर के बेलघाट में घाघरा नदी पर कम्हरिया घाट पुल बनकर तैयार हो गया है. ये पुल 193.97 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को इसका लोकार्पण करेंगे. बरसों पहले इसके लिए आंदोलन शुरू हुआ था. जल सत्याग्रह की अगुआई करने वाले विधनापार गांंव के प्रमुख सत्याग्रही और राष्ट्रीय अध्यक्ष सर्वहित क्रांति दल सत्यवंत प्रताप सिंह बताते हैं कि साल 1972 में सेना ने कहा था कि चीन की सीमा नेपाल के रास्ते गोरखपुर से नजदीक होने की वजह से यहां पर पुल का निर्माण जरूरी है. इससे प्रयागराज (इलाहाबाद) की दूरी 80 किलोमीटर कम हो जाएगी. वहां से गोरखपुर सैन्य सामग्री लाना सुविधाजनक होगा. लेकिन उस समय पुल के निर्माण की बात अधर में लटक गई. 1984-85 में आंदोलन शुरू हुए. साल 2013 में ग्रामीणों ने 15 से 24 अप्रैल तक घाघरा नदी में उतरकर 10 दिनों तक भूखे-प्यासे जल सत्याग्रह किया. इसके बाद आई नाबार्ड की टीम ने जांच-पड़ताल करने के बाद फाइल को हरी झंडी दे दी.
पुल बनने से इन तहसील के लोगों को होगा फायदा
सत्यवंत प्रताप सिंह बताते हैं कि पुल के निर्माण से चार जिले की चार अति पिछड़ी तहसीलें- गोरखपुर की खजनी, संतकबीरनगर की धनघटा, अंबेडरकरनगर की आल्हापुर और आजमगढ़ के रहने वाले लोगों को भी फायदा होगा क्योंकि ये रास्ता इन तहसीलों के बीचों-बीच जाता है. इससे ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर सुलभ होंगे. इसके बीच में एक सिक्स लेन का पुल गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से जा रहा है. इसके लिए वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद भी देते हैं कि वह समय-समय पर पुल के निर्माण का खुद निरीक्षण करने के लिए आते रहे हैं. वह कहते कि जल सत्याग्रह के कारण आज उन लोगों को पुल की सौगात उनके ‘महाराजजी’ यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों मिलने जा रही है.
पुल के अभाव में 60 किलोमीटर बढ़ जाती थी दूरी
कम्हरिया घाट के एक छोर पर गोरखपुर और दूसरे छोर पर अंबेडकरनगर जनपद स्थित है. इस घाट पर पुल क्षेत्र के लोगों की बहुप्रतीक्षित मांग रही है. पुल के अभाव में इन दोनों जिलों के बीच की दूरी 60 किलोमीटर बढ़ जाती थी. कम्हरिया घाट पर लंबे पुल का निर्माण होने से करीब पांच सौ गांवों की 20 लाख आबादी को फायदा पहुंचा है. इस पुल से होकर आने-जाने में कई स्थानों के लिए दूरी कम हो गई है. इससे लोगों के समय और ईंधन की बचत होगी. प्रदूषण भी कम होगा. सबसे बड़ी सहूलियत आस्था की नगरी प्रयागराज जाने वाले लोगों को होगी. कम्हरिया घाट पुल से होकर जाने में गोरखपुर से प्रयागराज की दूरी अब सिर्फ 200 किलोमीटर होगी. अभी तक लोगों को 280 से 300 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती थी. घाघरा नदी के कम्हरिया घाट (सिकरीगंज-बेलघाट-लोहरैया-शंकरपुर-बाघाड़) पर पुल का निर्माण 193 करोड़, 97 लाख, 20 हजार रुपए की लागत से हुआ है. कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड ने 1412.31 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण जून 2022 में पूर्ण करा दिया है.
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