Gorakhpur University Today News: डीडीयू के विज्ञान संकाय के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के शिक्षा के मंदिर में गुरु-शिष्य परंपरा और मर्यादा को भी तार-तार करने वाले एक रसिक मिजाज निलंबित असिस्टेंट प्रोफेसर को छह महीने के बाद बहाल कर दिया गया है. फरवरी माह में उन्‍हें छात्रा की तरफ से यौन शोषण के आरोपों और मोबाइल पर गंदी बात करने के आरोप के बाद कुलपति के आदेश पर कुलसचिव ने निलंबित कर दिया था. इसके बाद से ही उनके ऊपर विश्वविद्यालय में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई थी और कुलसचिव कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया था. 


दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो. पूनम टंडन की अध्यक्षता में हुई बैठक में विज्ञान संकाय के रसिक मिजाज असिस्टेंट प्रोफेसर को बहाल करने का आदेश दिया गया. उन्हें भविष्य में दोबारा ऐसी गलती नहीं करने की चेतावनी भी दी गई है. डीडीयू की इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (आईसीसी) यानी आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ इसकी जांच कर रहा था. प्रकोष्ठ की जांच रिपोर्ट के बाद उन्हें बहाल करने का निर्णय लिया गया है. उनकी बहाली से एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं. 


शराब के नशे में छात्रा से गंदी बात


बीते साल नवंबर-दिसंबर माह में रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर जो एनएसएस के प्रभारी भी रहे हैं. वे छात्रा को मोबाइल पर शराब के नशे में धुत होकर ‘गंदी बात’ कर रहे थे. ये ऑडियो बीते फरवरी माह के पहले हफ्ते में वायरल हो गया. वे छात्रा से इसमें खुश करने की बात कहते हुए विभाग टॉप करवाने का सौदा कर रहे हैं. शराब के नशे में वे ये कहते भी नजर आ रहे हैं कि उन्‍हें कुछ खास गिफ्ट चाहिए. इसके बाद 6,7 और 8 फरवरी को विभिन्न छात्र संगठन सड़क पर उतर गए और असिस्टेंट प्रोफेसर को निलंबित करने की मांग करने लगे. 


मामला तूल पकड़ने पर लिया गया था एक्शन


बता दें कि मामला तूल पकड़ने की वजह से आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर को कुलसचिव के 9 फरवरी को कुलपति के आदेश पर जारी पत्र में निलंबन का आदेश जारी किया गया. विश्वविद्यालय परिनियमावली (यथा संशोधित) के परिनियम संख्‍या 16.4 एवं उसके उपबंध (e) के प्रावधान के अंतर्गत अध्ययनरत छात्र की तरफ से यौन उत्पीड़न की जांच हेतु अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. पत्र में ये निर्देशित किया गया कि इस दौरान उनका विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. निलंबन अवधि में उनका जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा. निलंबन की अवधि के दौरान वे कुलसचिव कार्यालय से संबद्ध रहेंगे. ये पत्र विश्वविद्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों और विभाग को भी प्रेरित किया गया था.


प्रोफेसर का वीडियो हो गया था वायरल 


इस बीच उनका एक वीडियो वायरल हो गया, इसमें वे छात्रा के साथ गंदी बात करते नजर आ रहे हैं. इसके बाद उन्‍हें एनएसएस की जिम्मेदारियों से भी मुक्त कर दिया गया. ऑडियो में वे बार-बार छात्रा से मिलने का दबाव बनाने के साथ ही उन्‍हें एनएसएस से हटाए जाने के बारे में भी बता रहे हैं. वे ये भी कह रहे हैं कि उनके विभाग की कुछ छात्राओं ने उनके खिलाफ शिकायत भी की है. ऑडियो में बातचीत के दौरान शराब के नशे में मदहोश असिस्टेंट प्रोफेसर की जुबान भी पूरी तरह से लड़खड़ा रही है. वे बार-बार छात्रा को सर्वाधिक नंबर देने और अन्य बातें भी कर रहे हैं.


गोरखपुर विश्वविद्यालय में किसी छात्रा की तरफ से किसी शिक्षक पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने का ये पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी एक से दो शिक्षकों के ऊपर छात्राओं की तरफ से इस तरह का आरोप लगा चुकी हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से इस मामले में आरोपों पर जांच भी बैठाई गई. इस मामले में भी विश्वविद्यालय प्रशासन जांच कर रही थी. इस बीच 23 मिनट 17 सेकंड के वायरल हुए ऑडियो को भी विश्‍वविद्यालय की तरफ से जांच में संज्ञान लिया था.  


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