Gorakhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्ता को विश्वविद्यालय प्रशासन ने निलंबित कर दिया है. साथ ही उन पर लगे आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है. जिसमें दो पूर्व कुलपति और एक कार्यपरिषद सदस्य शामिल हैं. इसके साथ ही दो और शिक्षकों को भी कार्रवाई के लिए चिन्हित किया गया है.
इन आरोपों पर दिया गया नोटिस
प्रोफेसर गुप्ता को विश्वविद्यालय के पठन-पाठन के माहौल को खराब करने, बिना सूचना आवंटित कक्षाओं में न पढ़ाने, समय सारिणी के अनुसार न पढाने, असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणी करने, विद्यार्थियों को अपने घर बुलाकर घरेलु कार्य कराने और उनका उत्पीडन करने, बात नहीं सुनने पर स्टूडेंट्स को फेल करने की धमकी देने पर नोटिस दिया गया था.
इसके तहत हुई कार्रवाई
इसके अलावा महाविद्यालयों में मौखिकी परीक्षाओं में धन उगाही की शिकायत, विभाग के लडकियों के प्रति उनका व्यवहार मानसिक रूप से ठीक नहीं रहना एवं नई शिक्षा नीति, नये पाठ्यक्रम तथा सीबीसीएस प्रणाली के बारे में दुष्प्रचार करने, सोशल मीडिया पर बिना विश्वविद्यालय के संज्ञान में लाए भ्रामक प्रचार फैलाने, विश्वविद्यालय के अनुशासनहीनता एवं दायित्व निर्वहन के प्रति घोर लापरवाही और कर्तव्य विमुखता के लिए कुलसचिव की ओर से समय समय पर आठ नोटिस जारी किए गए हैं. उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है. उनके द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन और अधिकारियों की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है. इनका यह आचरण विश्वविद्यालय के परिनियम के अध्याय 16(1) की धारा 16 की उपधारा, 2, 3, 4 और उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 के खिलाफ है.
धरने पर लगी है रोक
कुलसचिव ने कुलपति के निर्देश पर शैक्षिक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन के लिए विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार के धरना-प्रदर्शन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. इसका उल्लंघन शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी द्वारा किया जाता है तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाई सुनिश्चित की जाएगी.
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