UP Crime News: गोरखपुर में दिव्यांग को जिंदा जलाकर मारने का खुलासा हो गया है. पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया. दिव्यांग की हत्या जमीन और रुपए की लालच में की गई थी. चाचा और छोटे भाई ने रिश्तों को कलंकित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. चाचा और सगे भाई समेत दो अन्य चचेरे भाइयों ने मिलकर जघन्य वारदात को अंजाम दिया था. दिव्यांग की हत्या के बाद प्रधान परिवार को फंसाने की साजिश रची गई. आरोपियों ने जल-जीवन मिशन के तहत लगने वाली पानी की टंकी और ट्यूबवेल का विवाद बताया था.
दिव्यांग को जिंदा जलाकर मारने का खुलासा
बहन के हाथों तहरीर दिलाकर मुकदमा प्रधान परिवार पर मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस ने घटनास्थल पर मिले साक्ष्य और सर्विलांस की मदद से मामले का खुलासा कर चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. एसपी नार्थ मनोज अवस्थी ने बताया कि 30-31 जुलाई की रात चौरीचौरा थानाक्षेत्र के देवीपुर गांव में ट्रक चालक रहे 25 वर्षीय दिव्यांग सुरेन्द्र यादव की जली हुई लाश मिली थी. मृतक की बहन रीता देवी ने गांव की प्रधान प्रिया पासवान, प्रधान पति वीरेंद्र पासवान, प्रधान प्रतिनिधि लालबचन पासवान समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
चाचा और सगा भाई समेत चार लोग गिरफ्तार
आरोपी छोटा भाई योगेन्द्र यादव घटना की सुबह थाने पर अनजान बनकर मीडिया के सामने सफाई देता रहा. तफ्तीश के दौरान पता चला कि दिव्यांग सुरेन्द्र यादव की हत्या परिवार के सदस्यों ने की है. चाचा रामजीत, छोटे भाई योगेन्द्र, रामजीत के बेटे महेन्द्र और भतीजे पन्नेलाल ने सुरेन्द्र यादव के सिर पर वार कर बेहोश कर दिया. बेहोश होने के बाद डीजल डालकर दिव्यांग को जिंदा जला दिया गया.
उन्होंने बताया कि घटना के पीछे आरोपियों की गहरी साजिश थी. पारिवारिक रुपए के लेन-देन की वजह से वारदात को अंजाम दिया गया. आरोपियों की मंशा ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा और प्रधान परिवार को फंसाने की थी. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 201, 120 बी, 34 का मुकदमा दर्ज किया था.
प्रधान को फंसाने के लिए रची था गहरा षड़यंत्र
कोर्ट में पेशी के बाद आरोपियों को जेल भेज दिया गया. देवीपुर में ग्रामसभा की जमीन को चिह्नित कर ट्यूबवेल लगाने के लिए पूर्व प्रधान लालबचन ने प्रस्ताव भेजा था. कार्यकाल समाप्त होने के बाद कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी. वर्तमान में प्रधान लालबचन के भाई की पत्नी हैं. वर्तमान प्रधान से पैरवी कर ग्रामसभा की जमीन चिन्हित कर प्रस्ताव पारित हो गया. 31 जुलाई को ट्यूबवेल लगाने का काम पूरा होने वाला था. ग्रामसभा की जमीन रामजीत यादव और परिजनों के कब्जे में रही है.
यही वजह है कि रामजीत यादव का परिवार ट्यूबवेल लगने के विरोध में रहा है. पूर्व में पैमाइश के लिए आए राजस्वकर्मी से विवाद भी हुआ था. रामजीत यादव, भतीजा पन्नेलाल, बेटा महेन्द्र और योगेन्द्र पैमाइश के दौरान मिट्टी का तेल डालकर सभी लोगों को फंसाने की बात पूर्व में कर चुके थे. बेशकीमती होने की वजह से जमीन को छोड़ना नहीं चाहते थे. दूसरी तरफ रामजीत यादव, अयोध्या यादव और मृतक की मां मैना देवी की जमीन बिक्री के लिए खुद सौदा किया था.
प्रापर्टी डीलर से दो जमीन का बैनामा और एक जमीन का एग्रीमेंट की बात कही थी. उसने खुद और अयोध्या की जमीन को बैनामा करके 1 करोड़ 19 लाख रुपया ले लिया. मैना देवी के खाते में 27 लाख रुपया डलवा कर जमीन के एग्रीमेन्ट का दबाव बना रहा था. मृतक सुरेन्द्र यादव और मैना देवी विरोध कर रहे थे. प्रॉपर्टी डीलर लगातार रामजीत यादव पर जमीन एग्रीमेंट करवाने के लिए दबाव बना रहा था. मृतक का छोटा भाई योगेन्द्र यादव शराब पीने का आदी रहा है. रामजीत, पन्नेलाल, महेन्द्र योजनाबद्ध तरीके से मोहरा बनाकर शराब पिलाते रहे.
मृतक और मां मैना देवी के साथ योगेन्द्र उकसावे में आकर अक्सर मारपीट करता रहा है. उससे अपने हिस्से के रुपए की मांग करता. मैना देवी और मृतक सुरेन्द्र बराबर विरोध करते. जमीन का पूरा पैसा मिलने पर बैनामा करने पर अड़े थे. रामजीत बराबर बेटे महेन्द्र और पन्नेलाल के साथ मिलकर योगेन्द्र को भड़काते. ग्रामसभा की जमीन ट्यूबवेल लगाने के लिए प्रधान ने चिह्नित कर दी. उससे भी रामजीत के परिवार वाले उग्र हो गए और सुरेन्द्र को रास्ते से हटाकर प्रधान के परिवार को फंसाने की साजिश रच दी.