(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gorakhpur News: करीब 13 घंटे तक चला पूर्व मंत्री के घर पर ईडी का छापा, काजल निषाद ने बताया राजनीति से प्रेरित
Gorakhpur ED Raid: गोरखपुर में ‘तिवारी अहाता’ पर ईडी की छापेमारी खत्म हो गई है. कार्रवाई के बाद ईडी की टीम आवास से वापस चली गई है. मामले ने राजनीतिक रंग अख्तियार कर लिया है.
ED Raid in Gorakhpur: गोरखपुर में पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत हरिशंकर तिवारी के आवास पर ईडी की कार्रवाई कुल 13 घंटे चली. कार्रवाई के बाद ईडी की टीम वापस लौट गई. सपा की लोकसभा प्रत्याशी काजल निषाद ने ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है. घर पर मौजूद हरिशंकर तिवारी के बेटे कुशल तिवारी ने राजनीतिक द्वेषवश की गई कार्रवाई करार दिया. बता दें कि ईडी की कार्रवाई के बीच समर्थकों ने नारेबाजी भी की. कुशल तिवारी और सपा नेता काजल ने कहा कि मामला न्यायालय में लंबित है.
ईडी की कार्रवाई पर सियासत तेज
ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. इस तरह अंग्रेजों के समय में किसी का घर नहीं घेरा गया होगा. पहले चंबल के डाकू घर घेर लेते थे. अब सरकार की तरफ से घर घेरकर दहशत फैलाई जा रही है. 'तिवारी अहाता' पर ईडी की रेड 13 घंटे तक चली. सुबह 5 बजे ईडी की टीम ने छापेमारी शुरू की. समर्थकों की भीड़ भी ‘तिवारी अहाता’ के बाहर जुटने लगी. ईडी की रेड शुक्रवार की शाम 6 बजे खत्म हुई. घर के बाहर जुटे समर्थकों ने नारेबाजी भी की. ईडी की कार्रवाई पर हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे ने प्रतिक्रिया दी.
राजनीति से प्रेरित- कुशल तिवारी
संतकबीरनगर के पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी ने कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि छापेमारी करना पूरी तरह से गलत है. उन्होंने समाजवादी पार्टी में होने की बात कही. कुशल तिवारी ने कहा कि विपक्ष में होने के नाते बीजेपी की सरकार कोर्ट में लंबित मामले पर रेड करने का काम कर रही है. उन्होंने बताया कि आवास से ईडी के अधिकारियों को कुछ नहीं मिला. अधिकारी आवास से खाली हाथ वापस लौट गए. कुशल तिवारी ने कहा कि संविधान में मिले अधिकारों का हनन किया जा रहा है. अपना विचार दबाव में नहीं बदल सकते हैं.
इतनी देर की कार्रवाई में एक कागज भी टीम को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि विचार-सोच को बदलने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. ईडी और सीबीआई का उपयोग सही जगह होना चाहिए. अंग्रेजों के समय में किसी का घर नहीं घेरा गया होगा. पहले चंबल के डाकू घर घेर लेते थे. अब सरकार की तरफ से घर घेरकर दहशत फैलाना ठीक नहीं है. ईडी के अधिकारियों को राजनीतिक दबाव डालकर भेजा गया था. आवास पर पहुंचे अधिकारी थके हुए थे. खाना खाकर आवास से चले गए.
काजल निषाद ने भी बोला हमला
गोरखपुर सदर से सपा की लोकसभा प्रत्याशी काजल निषाद ने कहा कि विनय शंकर तिवारी सपा का बड़ा चेहरा हैं. 14 घंटे की कार्रवाई में ईडी की टीम को कुछ भी नहीं मिला. अधिकारी आए और भोजन करके सो भी गए. उन्होंने बताया कि अधिकारी थके हुए थे. बीजेपी की सरकार विपक्ष के बड़े नेताओं को खोजवाकर घरों पर छापेमारी करवा रही है. गोरखपुर से आजमगढ़ तक की 90 किलोमीटर सड़क 6 हजार करोड़ रुपये में बन रही है. ईडी का छापा नहीं पड़ेगा. काजल निषाद ने कहा कि बीजेपी सरकार में 10 साल बाद भी एक रोड नहीं बन पा रही है.
तिवारी परिवार और ब्राह्मण परिवार में कुछ नहीं मिलेगा. सर्वसमाज का आशीर्वाद काजल निषाद के साथ है. यही वजह है कि बीजेपी के लोग डरे हुए हैं. बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. रवि किशन प्रत्याशी बनकर और चुनाव लड़कर देख लें. उन्हें लग रहा है कि सांसद के डर से काजल क्षेत्र छोड़कर भाग जाएंगी. निकाय चुनाव में बीजेपी की सरकार ने धांधली का काम किया था. काजल निषाद ने कहा कि इस बार चुनाव में जनता जवाब देगी. पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे चिल्लूपार से पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और अन्य पर बैंक से धोखाधड़ी करने का आरोप है.
बैंक धोखाधड़ी का है मामला
सर्वाधिक देनदारी बैंक ऑफ इंडिया की है. रकम 750 करोड़ रुपये के आसपास है. उनके ऊपर अलग-अलग बैंकों के 1150 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस पहले ही दर्ज हो चुका है. ईडी का छापा पड़ने की खबर से उनके रिश्तेदार, शुभचिंतक और समर्थकों की भीड़ आवास के बाहर जुटने लगी. विनय शंकर तिवारी और अन्य पर 750 करोड़ रुपये से अधिक के धोखाधड़ी का आरोप है. ईडी उनकी लच्छीपुर की प्रॉपर्टी को भी जप्त कर चुकी है. पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के गोरखपुर स्थित आवास पर शुक्रवार की सुबह ईडी ने छापा डाल डाला.
सुबह 5 बजे ईडी की कार्रवाई शुरू हुई. ईडी के अधिकारियों ने गहन पूछताछ की. विनय शंकर तिवारी और अन्य के खिलाफ 750 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी समेत मनी लॉन्ड्रिंग का पहले से केस है. पिछले दिनों उनकी सम्पत्ति भी जब्त की गई थी. इसी मामले में छापे की कार्रवाई देखी जा रही है. छापे की सूचना के बाद 'तिवारी अहाते' पर शुभचिंतकों की भीड़ लगने लगी. विनय शंकर और उनकी कम्पनी द्वारा लिए गए बैंक लोन के बारे में बैंक ऑफ इंडिया लखनऊ की टीम तीन साल पहले आई थी. सम्पत्ति की जानकारी करके लौट गई थी.
जालसाजी के मामले में 2020 में पहले सीबीआई की एंट्री हुई. 2021 में प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह से 750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी समेत अन्य पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. एजेंसी के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत चिल्लूपार (गोरखपुर) से पूर्व विधायक और लखनऊ स्थित गंगोत्री इंटरप्राइजेज के खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी.
ईडी ने विनय, उनकी पत्नी रीता, गंगोत्री इंटरप्राइजेज सहित अन्य के खिलाफ सीबीआई की एफआईआर के आधार पर केस दर्ज किया था. सीबीआई ने इस मामले में शिकायत दर्ज करने के बाद लखनऊ और नोएडा में छापे मारे थे. कथित धोखाधड़ी बैंक ऑफ इंडिया नीत बैंकों के समूह के खिलाफ की गई, जो 754.25 करोड़ रुपये की बताई गई थी. बताया जा रहा है कि रेड गोरखपुर, लखनऊ, दिल्ली समेत कई ठिकानों पर एक साथ डाली गई है.
बताया जा रहा है कि डेबिट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) के मुताबिक फर्म मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अन्य ने अलग-अलग सात बैंकों से 1129 करोड़ रुपये का ऋण लिया है. इन फर्मों के कर्ताधर्ता पूर्व विधायक और उनके सगे-संबंधी हैं. ज्यादातर बैंक अकाउंट नान परफार्मिंग एसेट (एनपीए) में चले गए हैं. बैंक अकाउंट भी बंद किए जा रहे हैं. इस मामले में डीआरटी ने एक जुलाई 2019 को पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी सहित 33 सगे-संबंधियों के खिलाफ समन जारी किया था.
फिर अलग-अलग समय पर मेसर्स कंदर्प इंटरप्राइजेज और मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड व अन्य प्रतिवादियों से जवाब मांगा था. डीआरटी के पास जो मामला पहुंचा था, उसके मुताबिक पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और अन्य ने सबसे ज्यादा ऋण बैंक ऑफ इंडिया से लिया है. इसी मामले में कार्रवाई चल रही है.