गोरखपुर: वैश्विक महामारी में छोटा हो गया रावण का कद, जानें- कैसा है मेघनाद और कुंभकर्ण का हाल
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रावण के पुतले को तैयार करने वाले कारीगरों पर कोरोना की मार पड़ी है. कोरोना संक्रमण के चलते न केवल शहर में होने वाली रामलीला के आयोजन का स्वरूप छोटा हुआ है. बल्कि, रावण के पुतले का आकार भी छोटा हो गया है.
गोरखपुर: वैश्विक महामारी कोरोना का असर पारंपरिक भारतीय उत्सव पर भी पड़ा है. बुराई का प्रतीक समझे जाने वाले रावण के पुतले की ऊंचाई भी इस वर्ष काफी कम हो गई है. इतना ही नहीं पुतला निर्माण के काम में जुड़े पुश्तैनी कारीगर और कलाकारों की आजीविका भी प्रभावित हुई है. अबकी बार गोरखपुर में रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकर्ण नहीं जलाए जाएंगे. दशहरे पर सिर्फ रावण का ही दहन होगा.
रावण के पुतले का आकार भी हुआ छोटा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बेनीगंज वर्कशॉप में रावण के पुतले को तैयार करने वाले कारीगरों की बातों में भी काफी दर्द दिखा. कोरोना संक्रमण के चलते न केवल शहर में होने वाली रामलीला के आयोजन का स्वरूप छोटा हुआ है. बल्कि रावण के पुतले का आकार भी छोटा हो गया है. इस बार सभी समितियों ने छोटे आकार के रावण के पुतले का दहन करने का फैसला किया है. यही नहीं इस बार मेघनाथ का पुतला नहीं जलाया जाएगा.
निराश है परिवार हर वर्ष 45 फीट के रावण के पुतले का दहन किया जाता रहा है. लेकिन इस बार केवल 12 से 15 फीट के रावण के पुतले का ही दहन किया जाएगा, जिससे फिजिकल डिस्टेंसिंग के पालन में सुविधा हो. इतना ही नहीं कई समितियां लंका दहन का प्रोग्राम भी अबकी बार नहीं कर रही हैं. गोरखपुर शहर की रामलीला समितियों के लिए तीन पीढ़ी से रावण का पुतला बना रहे बेनीगंज मोहल्ले के 70 वर्षीय मुन्नू और उनका परिवार इस बार निराश है.
रावण का पुतला ही बन रहा है मुन्नू बताते हैं कि उनकी तीन पुश्तें इसी काम से जुड़ी हुई है. हर साल रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला बनाया जाता था, जिसकी डिमांड भी ज्यादा रहती थी. अबकी बार रामलीला समितियां केवल रावण का पुतला ही बनवा रही हैं वो भी काफी छोटे. पहले 30 से 35 फीट के पुतले बनते थे. अबकी बार 12 से 15 फीट का ही पुतला बन रहा है. इस बार केवल रावण का पुतला ही समितियां बनवा रही हैं. मेघनाथ और कुंभकर्ण अबकी बार नहीं जलाए जाएंगे.
कम बने पुतले कलाकार मुन्नू के परिवार के सदस्य अफरोज खान की मानें तो कई पीढ़ियों से रावण का पुतला यहां बनाया जाता रहा है. इस बार काफी कम पुतले बन रहे हैं. पिछली बार 13 से 14 की संख्या में पुतले बने थे. अबकी बार केवल तीन पुतले बन रहे हैं. हर वर्ष 30 से 35 फीट के पुतले बनते थे. इस बार 12 से 15 सीट के पुतले बन रहे हैं. इस बार काफी नुकसान हुआ है. पहले इस रोजगार में 20 से 25 लोग शामिल होकर के पुतले बनाते रहे हैं. इस बार केवल 3 से 4 लोग ही पुतले बना रहे हैं.
कोरोना ने बढ़ाई परेशानी पुतले बनाने वाले कलाकार ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पहले इस रोजगार से लगभग 20 लोग जुड़े रहते थे. लेकिन अबकी बार केवल 4 लोग ही जुड़े हुए हैं. कोरोना के चलते काफी दिक्कत हुई है. कलाकार ताजिया बनाने का भी काम करते रहे हैं. लेकिन पूर्ण लॉकडाउन के चलते ताजिया भी नहीं बनी है और इस व्यापार में भी कमी आई है. जिससे इनके परिवार वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.
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