यूपी: गोरखपुर में उफान पर राप्ती और रोहिन नदियां, गांवों में बाढ़ के हालात, बारिश ने भी बढ़ाई मुश्किलें
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. रोहिन नदी जहां उफान पर है तो वहीं राप्ती नदी खतरे के निशान से मात्र 94 सेमी नीचे बह रही है. बारिश ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. नेपाल के पानी छोड़े जाने की वजह से नदियां उफान पर हैं. राप्ती और रोहिन नदी के किनारे पर बसे गांवों तक पानी पहुंच गया है. बारिश ने शहर के बाहरी हिस्सों के मोहल्लों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. उत्तर-पश्चिम 52 गांवों का शहर से संपर्क कटने का खतरा भी मंडरा रहा है.
रोहिन नदी जहां उफान पर है तो वहीं राप्ती नदी खतरे के निशान से मात्र 94 सेमी नीचे बह रही है. राप्ती का जलस्तर सोमवार को बर्डघाट पर 74.04 मीटर दर्ज किया गया. यहां पर खतरे का निशान 74.98 मीटर है. दक्षिण में सरयू तुर्तीपार में खतरे के निशान से 12 सेमी ऊपर बह रही है. रविवार को जलस्तर 64.13 दर्ज किया गया. जबकि, लाल निशान 64.01 पर है. इसके अलावा कुआनो और गोर्रा नदियां भी उफान पर हैं. नेपाल ने पानी छोड़कर अलग मुसीबत खड़ी कर दी है. ऐसे में प्रशासन की मुकम्मल तैयारियों के दावे पर सवालिया निशान लग गए हैं.
वैश्विक महामारी कोरोना के बीच लगातार हो रही बारिश और बाढ़ के हालात ने लोगों को मुश्किल में डाल दिया है. शहर से सटे राप्ती और रोहिन नदी के पास के गांव के खेतों और बाग में पानी भर गया है. शहर के बाहरी छोर पर रहने वाले लोगों के लिए बारिश ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी बाढ़ मुसीबत का सबब बन रही है.
गोरखपुर के दक्षिणी छोर के खोराबार ब्लॉक का सेंदुली-बेंदुली और झरवा गांव हर साल बाढ़ की चपेट में आते हैं. हालांकि, इन गांवों में अभी बाढ़ का पानी नहीं पहुंचा है लेकिन, बाग, खेत और प्राथमिक विद्यालय पानी में डूब गए हैं. खोराबार के कजाकपुर गांव के रहने वाले विशाल बताते हैं कि वे कई सालों से देख रहे हैं सेंदुली-बेंदुली गांव में बाढ़ का पानी घुस जाता है. गांव डूबा नहीं है, लेकिन खतरा बना हुआ है. स्कूल पूरा डूब जाता है. पानी रोज बढ़ रहा है.
गोरखपुर के खोराबार के झरवा गांव का प्राथमिक विद्यालय बाढ़ और बारिश के पानी में पूरी तरह से डूब गया है. यहां रहने वाले संतोष निषाद बताते हैं कि हर साल चार से पांच माहीने तक ये स्कूल पानी में डूबा रहता है. इस बार कोरोना के कारण बच्चे नहीं हैं. लेकिन, पचास साल पुराने इस स्कूल में हर साल पानी लग जाता है. बाढ़ और बारिश के पानी के अलावा महामारी फैलाने का भी खतरा बना रहता है. प्रशासनिक अमले की करतूतों की वजह से स्कूल के ठीक बगल में कचरा घर बना दिया गया है. हर साल ऐसे ही हालत से दो-चार होना पड़ता है.
शहर के दक्षिणी छोर की दर्जनों कॉलोनियां भी बारिश के पानी में डूब गई हैं. यहां पर पिछले कई दिनों से हुई बारिश के कारण कॉलोनियां तालाब में तब्दील हो गई हैं. ऐसे में यहां पर लोगों को घरों के अंदर जाना और आना दोनों ही मुश्किलों भरा है. वैश्विक महामारी कोरोना के बीच प्रशासन चैन की नींद सो रहा है. वह भी तब जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए वृहद स्तर पर अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. कॉलोनियों में भरा पानी बीमारियों को दावत दे रहा है.
गोरखपुर सदर के तहसीलदार डॉ संजीव कुमार दीक्षित बताते हैं कि शहर से सटे जितने भी गांव हैं, हर साल प्रभावित रहते हैं. जंगल कौड़िया की ओर गांव कई प्रभावित हुए हैं. बाढ़ चौकियों और शरणा स्थलों को अलर्ट कर दिया गया है. जैसे ही पानी बढ़ेगा, लोगों को शिफ्ट किया जाएगा. उन्होंने बताया कि डोमिनगढ़ से डोहरिया होते हुए 50 गांवों पर खतरा है. सारे इंतजाम किए गए हैं. इसी तरह खोराबार के सेंदुली-बेंदुली गांव में भी बाढ़ का पानी आ रहा है. उन्होंने बताया कि वहां भी नायब तहसीलदार को भेजकर नजर बनाए हुए हैं.
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