गोरखपुर: सावधान! पुराने आलू को नया बनाने का अनोखा खेल, हो सकता है किडनी-लीवर फेल
Fake Potato in Gorakhpur: गोरखपुर में फूड विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए हानिकारक आलू बेचने का पर्दाफाश किया है. इस मामले में फूड विभाग की टीम ने ढाई कुंतल आलू को नष्ट कराया है.
Gorakhpur News Today: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में खाद्य विभाग की टीम ने किडनी-लीवर सहित शरीर के अन्य तंत्रों को नुकसान पहुंचाने वाले रसायन और तेजाब से पुराने कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू को नया बनाने के खेल का पर्दाफाश किया है. व्यापारी थोड़े से मुनाफे की लालच में हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल कर पुराने आलू को नया बना रहे हैं, जबकि सफेद आलू को सेहत के लिए हानिकारक रंग का इस्तेमाल कर सफेद से लाल बनाया जा रहा है.
गोरखपुर में खाद एवं औषधि प्रशासन की टीम ने शिकायत मिलने पर मंडी में छापेमारी की कार्रवाई की. बाराबंकी और संतकबीर नगर के कोल्ड स्टोरेज में रखे गए पुराने आलू को तेजाब और खतरनाक केमिकल डालकर नया बनाया जा रहा है. इसे गोरखपुर की मंडी में भेजा जा रहा है.
सेहत के लिए हैं नुकसानदेह
खाद्य विभाग की टीम जब मंडी में पहुंची, तो उसे ऐसे कोल्ड स्टोरेज में रखे पुराने से नए बनाए गए ढाई क्विंटल आलू बिकते हुए मिले. गोरखपुर की मंडी में ऐसे हानिकारक तेजाब और केमिकल युक्त आलू देखकर टीम के होश उड़ गए. टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आलू को नष्ट करा दिया. क्योंकि ये आलू किडनी लीवर और शरीर के अन्य तंत्रों को नुकसान पहुंचाने के साथ जानलेवा भी हो सकते हैं.
दुकानदारों ने जताई अनभिज्ञता
गोरखपुर के घोष कंपनी चौक पर स्थित दुकानों पर लाल और सफेद आलू बिकते हुए दिखाई दे रहे हैं. हालांकि दुकानदारों ने इस तरह के आलू के बाजार में होने की जानकारी पर अभिज्ञता जाहिर की है.
दुकान पर सब्जी खरीदने आए ग्राहक भी बताते हैं कि उन्होंने इस तरह के आलू बिकने के बारे में सुना है, जिसे पुराने से नया बनाकर बेचा जा रहा है. लोगों ने कहा कि आलू तैयार कर बाजार में बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि यह आलू लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
चाट-फुलकी और टिकिया की दुकान चलाने वाले रमेश बाबू ने बताया कि वह नया आलू नहीं खरीद रहे हैं, क्योंकि टिकिया बनाने में नए आलू के इस्तेमाल से परेशानी होती है. उन्हें भी इस बात की जानकारी है कि पुराने आलू को तेजाब और केमिकल का प्रयोग करके नया बनाकर बेचा जा रहा है. रमेश ने मांग की कि इस तरह के कृत्य करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
किस तरह करते हैं आलू तैयार?
गोरखपुर के असिस्टेंट फूड कमिश्नर सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि पुराने कोल्ड स्टोरेज में रखे सफेद और लाल आलू को मिट्टी में गड्ढा खोदकर हानिकारक रसायन और तेजाब मिलकर ऊपर से मिट्टी डालकर रगड़ा जाता है. ऐसा करने से आलू की ऊपरी परत हल्की छूट जाती है और आलू पुराने से नया दिखने लगता है. उन्होंने बताया कि पुराना आलू जहां मार्केट में 30 से 40 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है, तो वहीं ये पुराना आलू नया बनाकर 50 से 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.
असिस्टेंट फूड कमिश्नर सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि इस आलू को पहचानने के लिए इसकी मिट्टी को धुल कर हल्के हाथ से रगड़ कर देखने की जरूरत है. स्किन आसानी से बराबरी के साथ निकल जाती है, तो इसका मतलब है कि आलू नया और सही है. स्किन पूरी तरह नहीं निकलती है और आलू दबाने पर दबता हुआ लगे, तो इसका मतलब है कि यह केमिकल और तेजाब का प्रयोग कर पुराने से नया बनाया गया आलू है.
'ढाई क्विंटल आलू किया नष्ट'
असिस्टेंट फूड कमिश्नर सुधीर कुमार सिंह के मुताबिक, इस आलू के इस्तेमाल से किडनी लीवर सहित शरीर के अन्य तंत्रों को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने बताया कि इस तरह की शिकायत मिलने के बाद उन लोगों ने बाजार पहुंचकर कार्रवाई की है और लगभग ढाई क्विंटल आलू को नष्ट कराया है.
'हानिकारक रंगों का होता है इस्तेमाल'
इस मामले में असिस्टेंट फूड कमिश्नर सुधीर कुमार सिंह ने आगे बताया कि बाजार में हानिकारक रंगों का प्रयोग कर सफेद आलू को लाल बनाकर बेचा जा रहा है. इन आलुओं को रंगों के साथ मिट्टी में लपेट दिया जाता है. जिससे यह आलू लाल दिखने लगते हैं.
सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि थोड़े से मुनाफे की लालच में मुनाफाखोर इस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि बाजार से आलू खरीदते समय सावधानी बरतें अन्यथा उनकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है.