Gorakhpur News: गोरखपुर में हत्यारे हाथी के मालिक पर विभाग ने साधी चुप्पी, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
Gorakhpur News: सब जानते हैं कि गोरखपुर में तीन लोगों की जान लेने वाला हाथी बीजेपी विधायक विपिन सिंह का हैं, जिसने चार साल पहले महावत को भी मार डाला था. फिर भी वन विभाग चुप्पी साधे बैठा है.
Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर (Gorakhpur) में हाथी (Elephant) बिदकने के बाद दो महिलाओं और एक बच्चे के जान गंवाने के बाद वन विभाग की नींद खुली है. ये बात अलग है पूरा शहर जानता है कि हाथी किसका है लेकिन वन विभाग ये अब तक पता नहीं कर पाया है. इसकी साफ है कि वन विभाग शहर में हाथी पालकों का सर्वे किया जा रहा है कि आखिर ये हाथी किसका था, लेकिन सर्वे में ये पता ही नहीं चल पाया. जाहिर है कि हाथी का पंजीकरण भी नहीं हुआ था और उसे अवैध तरीके से पाला गया था.
16 फरवरी को चिलुआताल थाना क्षेत्र के जगतबेला कस्बे के मोहम्मदपुर माफी गांव में यज्ञ का आयोजन किया गया था. इस यज्ञ में दो हाथी और ऊंट को बुलाया गया. इसी दौरान नर हाथी अचानक बिदक गया. 50 वर्षीय कौशल्या देवी जब इस हाथी को प्रसाद खिलाने आईं तो हाथी ने उन पर हमला बोल दिया. हाथी ने कौशल्या देवी, उनके चार साल के नाती कृष्णा और गांव की 45 साल की महिला कांति देवी को रौंद दिया. जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. इस हादसे के बाद महावत और अन्य लोगों ने किसी तरह हाथी को खेत में पहुंचाया. इसके बाद वन विभाग की टीम वहां पहुंची और पांच घंटे की मशक्कत के बाद हाथी पर काबू पाया गया.
जानकार अनजाना बन रहा है वन विभाग
गोरखपुर के डीएफओ के निर्देश पर शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह की देखरेख में हाथी को विनोद वन पहुंचा दिया गया. वन विभाग अब ये तलाश करने की कोशिश में लगा है कि आखिर ये हाथी किसका है, मजेदार बात ये है कि यहां सब जानते हैं कि ये गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा से बीजेपी विधायक विपिन सिंह का वही हाथी ‘गंगाराम’ है, जिसने चार साल पहले महावत को पटक कर मार डाला था. हादसे के बाद सारी जानकारी होने पर भी अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है.
मामले में खानापूर्ति के लिए अब वन विभाग की ओर से हाथी के पंजीकरण का सर्वे कराया जा रहा है. ये सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि जो भी हाथी शहर में हैं, उनका पंजीकरण कराया गया है कि नहीं. गंगाराम हाथी की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग को बौराए हाथी के पंजीकरण के बारे में कोई भी जानकारी दर्ज नहीं मिली है. इसका मतलब ये है कि हाथी को अवैध रूप से रखा गया है.
सर्वे कराकर खानापूर्ति में जुटा विभाग
गोरखपुर के डीएफओ विकास यादव ने बताया कि साल 2018 में हाथी के पंजीकरण को लेकर सर्वे कराया गया था. गोरखपुर में 8 हाथी मिले थे, लेकिन उन्हें अवैध रूप से रखने की बात सामने आई थी. वन विभाग फिर से हाथी के पंजीकरण को लेकर सर्वे करा रहा है. वे कहते हैं कि अवैध रूप से हाथी पालने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जो हाथी बिदका था, उसके मालिक के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है.
हादसे के बाद जहां सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है. लेकिन सवाल ये है कि क्या बीजेपी विधायक विपिन सिंह का हाथी होने की वजह से आला अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है.
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