Gorakhpur Bulldozer: यूपी का गोरखपुर विकास के पायदान पर एक और लंबी छलांग लगाने जा रहा है. गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा वर्षो से बंद पड़े वाटर पार्क पर बुलडोजर चलाकर उसे समतल किया गया. जीडीए अब यहां पर 25 एकड़ में कन्वेंशन सेंटर बनाएगा. जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कांफ्रेंस को क्रियान्वित किया जा सके. इसके अलावा जीडीए की ओर से पार्क और अन्य स्थलों का भी निर्माण कार्य तेजी से किया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन सेंटर को बनाने के पीछे जीडीए का उद्देश्य यूपी की योगी सरकार की मंशा के अनुरूप गोरखपुर को तेजी से विकास के पथ पर उन्मुख करने के साथ ही गोरखपुर का नाम विश्व पटल पर अंकित करना है.
गोरखपुर के रामगढ़ताल रोड स्थित वर्षो से बंद पड़े वाटर पार्क पर शुक्रवार को जीडीए का बुलडोजर आखिरकार चल ही गया. गोरखपुर विकास प्राधिकरण के वीसी (उपाध्यक्ष) महेन्द्र सिंह तंवर ने बताया कि वाटर पार्क का करार बरसों पहले समाप्त हो चुका है. जीडीए पूर्व में ही इस पर कब्जा भी पा चुका है. बस जमीन को समतल करने का कार्य किया जा रहा है. पूर्व में कौन वाटर पार्क संचालित कर रहा था. यहां पर क्या कार्य किया जाता रहा है, इस पर चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है. वर्तमान में ये जमीन चंपादेवी पार्क मिलाकर 25 एकड़ है. जहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन सेंटर के कार्य को क्रियान्वित करने के लिए जमीन को समतल करने का कार्य किया जा रहा है. पहले 14 एकड़ जमीन में वाटर पार्क था, जिसका करार साल 2019 में ही समाप्त होने के बाद जीडीए कब्जा पा चुका है.
साल 2019 में गोरखपुर विकास प्राधिकरण में वाटर पार्क के करार को नियम के उल्लंघन कर 16 स्थानों पर अवैध निर्माण, तीन से आठ साझेदार हो जाने, 5 मैरिज हाल बना देने, पार्क की जगह बारात घर बनाने, शर्त के बाद एनवायरमेंट पार्क नहीं बनाने, पार्क में आम लोगों के टहलने के लिए पाथ वे नहीं बनाने, चारों ओर बाउंड्री वॉल बनाकर गार्ड की तैनाती करने के आरोप लगाए गए थे. इसी वजह से जीडीए ने अनुबंध को निरस्त कर दिया था. साल 2019 में साझेदारों के खिलाफ एफआईआर भी कराई गई थी. साझेदारों की सील खोलने की मांग को कमिश्नर ने निरस्त कर दिया था. साझेदारों को करार के मामले में कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी. हालांकि हाईकोर्ट ने साल 2019 में साझेदारों के खिलाफ जीडीए की ओर से कराए गए मुकदमे को यह कहकर खत्म करने का आदेश दे दिया कि इसमें बारात घर चलाने के कोई भी साक्ष्य नहीं मिले हैं. कैंट पुलिस इस मामले में एफआर लगा चुकी है. उस दौरान जीडीए ने पार्क के कुछ हिस्से को सील कर दिया था.
जीडीए पूर्व में करार निरस्त करने के बाद कब्जा भी पा लिया था. जीडीए ने मेसर्स आरए एम्यूजमेंट एंड रिसोर्टस पार्क रोड की ओर से मिस्टर कुक रेस्टोरेंट के जरिए जीडीए ने रोहित अग्रवाल से 28 अक्टूबर 2005 को एग्रीमेंट किया था. इस एग्रीमेंट से जुड़ा पूरक करार 2007 को हुआ. तत्कालीन जीडीए उपाध्यक्ष की ओर से 8 नवंबर 2019 को अनुबंध निरस्त करने के निर्देश जारी किए गए. वाटर पार्क की जमीन पर मैरिज हॉल संचालित करने की जानकारी के बाद जीडीए ने इसे सील कर दिया था.
इसके साथ ही गोरखपुर के जंगल सालिकराम के सेक्टर 3 के रहने वाले मारकंडेय मिश्रा ने आरटीआई से जानकारी मांगने के बाद आरोप लगाया था कि दीपक अग्रवाल ने 4 लाख रुपये सालाना पर मैरिज हॉल चलाने के लिए उन्हें वाटर पार्क की जमीन दी थी. उन्होंने 3000000 रुपये खर्च कर मैरिज हाल खोला बाद में आरटीआई के माध्यम से उन्हें पता चला कि मूल आवंटी और अन्य को किसी तीसरे व्यक्ति को वाटर पार्क की जमीन देने का अधिकार नहीं है. इसके बाद उन्होंने अपने रुपये वापस मांगे थे. हाईकोर्ट ने 23 फरवरी 2021 को वाटर पार्क के गलत इस्तेमाल के संदर्भ में साक्ष्य नहीं मिलने पर सारी दरों के खिलाफ कैंट थाने में जीडीए की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे को समाप्त कर केस बंद करने का आदेश दिया था. कैंट पुलिस ने इस मामले में एफआर लगा दी थी.
28 अक्टूबर 2005 में हुए अनुबंध के तहत वाटर पार्क में पहले रोहित अग्रवाल समेत तीन पार्टनर रहे हैं. बाद में इसमें आठ पार्टनर बना दिए गए. जिसे जीडीए ने पूरी तरह से अनुबंध के खिलाफ माना. वाटर पार्क खोलते समय रोहित अग्रवाल 30 फीसदी, नूतन अग्रवाल 30 फ़ीसदी और भूपेंद्र विक्रम सिंह 40 फ़ीसदी के हिस्सेदार रहे हैं. मुख्य अनुबंध के खिलाफ इसमें आठ साझीदार बना लिए गए. जीडीए ने इसे शर्तो का उल्लंघन मानते हुए कहा कि वर्तमान साझेदार ने मूल आवंटी के अस्तित्व को खत्म कर दिया. साथ निजी स्वार्थ के लिए पार्क को बारात घर बना दिया. जीडीए ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीर बहादुर सिंह की पत्नी के नाम के चंपा देवी पार्क को बारात घर में बदल दिया गया.
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