Gorakhpur News: गीता प्रेस ने किताबों की सिलाई के लिए स्विट्जरलैंड से मंगाई 2 करोड़ की मशीन, 25 फीसदी काम में आएगी तेजी
Gorakhpur News: गोरखपुर की गीता प्रेस से छपने वाली धार्मिक पुस्तकों की पूर्ति मांग के हिसाब से नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से गीता प्रेस ने अब पेजों की सिलाई के लिए अत्याधुनिक मशीन मंगाई हैं.
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Gorakhpur Gita Press News: गोरखपुर (Gorakhpur) की गीता प्रेस (Gita Press) से छपने वाली धार्मिक पुस्तकों की मांग बढ़ने और उसकी पूर्ति नहीं हो पाने की वजह से गीता प्रेस प्रबंधन पेजों की सिलाई के लिए अत्याधुनिक मशीन मंगा रहा है. जर्मनी (Germany) मेड ये मशीन स्विटजरलैंड (Switzerland) से मंगाई जा रही है. इसकी कीमत दो करोड़ रुपए है. इसका प्रोडक्शन सेंटर भी स्विटरलैंड है. इस मशीन का वजन काफी अधिक है. इसे जलमार्ग से शिप के माध्यम से मंगाया जा रहा है. ये मशीन जुलाई के महीने में आ जाएगी. इसके आने से गीता प्रेस (Gita Press Book) में पेजों की सिलाई की क्षमता 25 प्रतिशत बढ़ जाएगी. इससे पुस्तकोंं की आपूर्ति में भी तेजी आएगी.
गीता प्रेस की धार्मिक किताबों की मांग बढ़ी
गोरखपुर के गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने बताया कि ये मशीन अत्याधुनिक तकनीक से बनी है. गीता प्रेस में सिलाई के लिए चार मशीनें हैं. लेकिन जो मशीन मंगाई जा रही है, वो काफी अत्याधुनिक है. इस मशीन से पेजों की सिलाई की क्षमता एक मिनट में 5 हजार और 12 घंटे में 80 हजार के करीब है. उन्होंने बताया कि पानी के शिप से इस मशीन को यहां पर आने में एक महीने का समय लगेगा. मशीन को कंपनी के इंजीनियर ही आकर सेट करेंगे. इस मशीन के आ जाने से उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होगी जिससे धार्मिक किताबों की डिमांड का जल्द से जल्द पूरा किया जा सकेगा.
किताबों की सिलाई के लिए मंगाई आधुनिक मशीन
देवी दयाल अग्रवाल ने बताया कि मूलर मर्टिनी कंपनी की ये जर्मनी मेड मशीन है. इसका प्रोडक्शन सेंटर स्विटजरलैंड है. वहीं से इस मशीन को मंगाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि गीता प्रेस में अत्याधुनिक तीन छपाई मशीनें लगी हैं. लेकिन सिलाई मशीन कम होने की वजह से उत्पादन की गति धीमी रही है. प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक सिलाई मशीनें लगाने से उत्पादन में तेजी आएगी. इससे वे पाठकों की डिमांड को पूरा कर सकेंगे. जुलाई के अंतिम सप्ताह में ये मशीन गीता प्रेस आ जाएगी.
25 फीसदी तेजी से हो सकेगी किताब की सिलाई
पुस्तकों की मांग बढ़ने से बाजार से लगभग 300 प्रकार की पुस्तकें अनुपलब्ध हो गई हैं. इसमें गीता, श्रीरामचरितमानस आदि के कई संस्करण भी शामिल हैं. इन दिक्कतों को देखते हुए नई मशीनें मंगाने का निर्णय लिया गया. प्रेस के पास छपाई की छह वेब और सात सीटफेड मशीनें पहले से हैं. 2020 में एक सीटफेड मशीन और मंगा ली गई, जो चार रंगों में छपाई करती है. इस साल दो वेब मशीनें भी आ गई हैं. इनकी वजह से छपाई की क्षमता तो बढ़ गई लेकिन सिलाई की मशीनें कम होने से पुस्तकें तैयार होने में समय लग रहा था.
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तेजी से तैयार हो सकेंगी नई किताबें
प्रेस के पास पहले से चार सिलाई मशीनें हैं, अब नई मशीन आ जाने से सिलाई की क्षमता बढ़ जाएगी. एक मिनट में 200 फर्मा (एक फर्मा 32 पेज का होता है) सिलने की क्षमता इस मशीन की है. लेकिन शुरुआत में 160 फर्मा प्रति मिनट सिलाई क्षमता पर इस मशीन को संचालित किया जाएगा. इस तरह एक मिनट में यह मशीन पांच हजार पेज की सिलाई कर सकेगी. एक मिनट में पांच ग्रंथाकार पुस्तकें सिली जा सकेंगी. वर्षवार अप्रैल से मार्च तक 2019-20 में 5813.17 लाख, 2020-21 में 5217.07 लाख, 2021-22 में 7762.27 पुस्तकों की बिक्री हुई है.
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