Gorakhpur News: नंदू मिश्रा रखते हैं रोजा तो सैयद शाहाब नवरात्र व्रत..दोस्ती की अनूठी मिसाल, जिसकी कसमें खाते हैं लोग
Gorakhpur Special Story: भजन सम्राट नंदू मिश्रा और उनके मुस्लिम दोस्त सैयद शाहाब अहमद की दोस्ती की कहानी आपको भी हैरान कर देगी. ये ऐसे दोस्त हैं जिनकी दोस्ती की कसमें खाई जाती है.
Eid 2024 Special: यूपी के गोरखपुर में हिन्दू मुस्लिम दोस्ती अनोखी दोस्ती सुर्खियों में छाई हुई है. भजन सम्राट नंदू मिश्रा और उनके मुस्लिम दोस्त सैयद शाहाब अहमद की दोस्ती की कहानी आपको भी हैरान कर देगी. ये ऐसे दोस्त हैं जिनकी दोस्ती की कसमें खाई जाती है. दोनों एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं. जितने ये अपने धर्म में आस्था रखते हैं उतना ही सम्मान दूसरे के धर्म को भी देते हैं. नंदू मिश्रा रोजा रखते हैं को सैयद शाहाबा नवरात्रि के व्रत करते हैं.
गोरखपुर के दीवान बाजार के रहने वाले 59 वर्षीय प्रख्यात भजन सम्राट नंदू मिश्रा और इमामबाड़ा इस्टेट में रहने वाले 57 वर्षीय सैयद शाहाब अहमद की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है. उनकी दोस्ती कितनी गहरी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रख्यात भजन सम्राट और जगराता गायक मातारानी मां दुर्गा और शिव के भक्त होने के बाद भी रमजान के पाक माह में 5 दिन रोजा रखते हैं. वहीं उनके दोस्त सैयद शाहाब अहमद चैत्र और शारदीय नवरात्रि के पहले और अंतिम दिन व्रत रखते हैं.
नंदू मिश्रा भजन गायिकी का बड़ा नाम है. उन्होंने देश और विदेश में भी कई शो किए हैं. उन्हें वर्ष 2012 में सिंगापुर में ‘भक्त शिरोमणि’ और 2008 में बैंकॉक में हिन्दू धर्म सभा की ओर से ‘भजन सम्राट’ की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है. वहीं विंध्याचल में उन्हें वर्ष 2006 में ‘जगराता सम्राट’ की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है.
नंदू मिश्रा और शैयद शाहाब की अनोखी दोस्ती
मातारानी मां दुर्गा और भगवान भोलेनाथ यानी शिवभक्त भक्त नंदू मिश्रा पूर्वोत्त्र रेलवे में चीफ टीटीईआई के पद पर कार्यरत हैं. उनके पिता पं. रामजी मिश्र भजन गायक और लेखक रहे हैं. वे अंतरराष्ट्रीय स्तर के तैराक भी रहे हैं. यही वजह है कि तैराकी भी नंदू और उनके बेटे अंजनी को विरासत में मिली है.
नंदू मिश्रा और सैयद शाहाब अहमद की दोस्ती 41 साल पुरानी है. शाहाब जुबिली चौराहा पर इस्लामियां इंटर कालेज में पढ़ते रहे हैं. वहीं पर नंदू मिश्रा का घर रहा है. वहीं से इनकी दोस्ती की शुरुआत हुई. हालांकि नंदू मिश्रा अब मेडिकल कालेज रोड पर रहते हैं. नंदू मिश्रा पिछले 46 सालों से भजन और जगराता गाते आ रहे हैं. जब दोनों की दोस्ती परवान चढ़ी, तो नंदू मिश्रा ने रमजान के बारे में शाहाब से पूछा और प्रभावित होकर वे रमजान के माह में हर साल 5 रोजा रखने लगे. वहीं शाहाब भी नंदू मिश्रा के साथ समारोह और मां के जगराते में जाते हैं और नवरात्र के पहले और अंतिम दिन व्रत करते हैं. दोनों 25 सालों से लगातार ऐसा कर रहे हैं.
हर त्योहार साथ मनाते हैं दोनों
नंदू मिश्रा और सैयद शाहाब की दोस्ती ऐसी है कि दुर्गापूजा, होली-दिवाली, ईद-बकरीद सहित सभी त्योहार वे साथ मिलकर मनाते हैं. जहां शाहाब उनके साथ जगराता में भी सम्मिलित होते हैं. तो वहीं नंदू भजन के अलावा कव्वाली और शायरी के समारोह में भी साथ शामिल होते हैं. दोनों का पारिवारिक संबंध है. उनकी दोस्ती जग जाहिर है. शाहाब बताते हैं कि नंदू मिश्रा के परिवार में आज तक किसी ने चाय नहीं पी है.
सैयद शाहाब अहमद एक प्राइवेट कंपनी में 41 वर्षों से चीफ फील्ड मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. उनके परिवार में पत्नी शाहिना अहमद, दो बेटियां शिफा अहमद, हिबा अहमद और बेटा सैयद अर्सलान अहमद हैं. शाहाब बताते हैं कि बहुत से लोगों को सेहरी और इफ्तार की दुआ नहीं याद रहती है. लेकिन, उनके दोस्त नंदू को सेहरी और इफ्तार की दुआएं जुबान पर याद है. रोजे के दौरान वे इसका पालन भी करते हैं.
दोस्ती निभाने कर्फ़्यू में भी पहुंच गए थे नंदू
शाहाब 1992 के कर्फ्यू के दौरान का एक वाकया याद करते हुए बताते हैं कि उस समय इमामबाड़ा इस्टेट पर भी काफी फोर्स लगी हुई थी. नंदू धोती-कुर्ता और माथे पर लाल टीका लगाए इमामबाड़े के दरवाजे पर आकर जोर-जोर से दरवाजा खोलने के लिए आवाज देने लगे. उनकी आवाज सुनकर वहां तैनात सुरक्षाकर्मी घबरा गए. उनका लिबास देखकर उन्होंने नंदू से वापस जाने के लिए कहा. तभी शाहाब भी अंदर से आ गए और उन्होंने दरवाजा खोलने के लिए कहा. लेकिन, सुरक्षाकर्मी इसके लिए तैयार नहीं हुए. जब जबरन दरवाजा खुला तो दोनों ऐसे गले मिले, जैसे कई साल का कोई बिछड़ा मिल गया हो. नंदू शाहाब को पास और खाने-पीने की चीजें पहुंचाने के लिए आए थे.
नंदू और शाहाब की दोस्ती जहां गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करती है. तो वहीं वे समाज को सर्वधर्म समभाव का संदेश भी देती है. हमारा देश अनेकता में एकता के इसी संदेश के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है. जिसे नंदू और शाहाब साकार समाज के लिए मिसाल बने हुए हैं.