रामायण काल के राजगिद्ध जटायु को लुप्‍त होने से बचाने का यूपी की योगी सरकार ने फैसला किया है. देश का पहला जटायु संरक्षण और संवर्धन केंद्र खुलने जा रहा है. रेड हेडेड वल्चर प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र गोरखपुर वन प्रभाग के अंतर्गत महराजगंज जिले में बनाया जाना है. लुप्‍त होने की कगार पर पहुंच चुके गिद्धों का संरक्षण और संवर्धन की दिशा में बीजेपी सरकार ने पहल की है. राजगिद्ध (रेड हेडेड वल्‍चर) का संरक्षण करने के लिए भारीवैसी में देश का पहला रेड हेडेड वल्‍चर संवर्धन और संरक्षण केंद्र बन रहा है. केंद्र के बनने से राजगिद्धों की संख्‍या बढ़ेगी और सैलानियों के आने से इको टूरिज्‍म को भी बढ़ावा मिलेगा.


गिद्धों का संरक्षण और संवर्धन की दिशा में बड़ा कदम


भारत का पहला रेड हेडेड वल्चर प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र के निर्माण के लिए सरकार दो किश्तों में 1.86 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. गोरखपुर के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) विकास यादव बताते हैं कि दो किश्तों में जारी रकम से निर्माण का काम तेजी से हो रहा है. सितंबर के पहले शनिवार, 3 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस मनाया जाएगा. डीएफओ के मुताबिक वन विभाग का प्रयास है कि सभी काम पूरा कराकर अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर जटायु संरक्षण और संवर्धन केंद्र का लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों कराया जाए. 


पांच हेक्टेयर भूमि पर भारत के पहला केंद्र का निर्माण


पांच हेक्टेयर भूमि पर निर्माणाधीन केंद्र के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और प्रदेश सरकार के बीच 15 साल का समझौता हुआ है. गिद्धों का संरक्षण करने के लिए शेड्यूल वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत संरक्षित और सुरक्षित रखने के नियम बनाए गए हैं. वर्तमान में दुनिया में नौ फीसदी से कम गिद्ध बचे हैं. लिहाजा गोरखपुर वन प्रभाग द्वारा तैयार डीपीआर के मुताबिक जटायु संरक्षण केंद्र से आगामी आठ-दस साल में 40 जोड़े रेड हेडेड वल्चर छोड़े जाने का लक्ष्य है. लक्ष्य हासिल करने के लिए कार्ययोजना के अनुसार पहले साल केंद्र में 2 ब्रीडिंग एवियरी बनाई गई है.


International Tiger Day: इंटरनेशनल टाइगर डे से पहले गोरखपुर में लोगों ने लगाई दौड़, युवाओं ने लिया हिस्सा


गिद्ध संवर्धन केंद्र के निर्माण से पर्यटन की संभावना


जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र में सामान्य जरूरतों के अलावा 2 होल्डिंग या डिस्प्ले एवियरी, 2 हास्पिटल एरियरी, 1 रिकवरी एवियरी, 2 नर्सरी एवियरी, 1 फूड सेक्शन और 1 वेटनरी सेक्शन का निर्माण होगा. सीसीटीवी कैमरों से गिद्धों की निगरानी की जाएगी. गिद्ध संरक्षण से पर्यावरण की शुद्धि का माध्यम मिलेगा. सभी जानते हैं कि गिद्ध प्रकृति को शुद्ध करने का कार्य करते हैं. संरक्षण केंद्र बनने से पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. देश विदेश के लोग देश की प्रकृति और वातावरण का अनुभव साझा करेंगे. गिद्ध संवर्धन केंद्र के निर्माण से पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ेगी.


OP Rajbhar के बयानों पर पहली बार Akhilesh Yadav बोले- उनके अंदर दूसरे दल की आत्मा घुस गई